
कैलाश यादव

विधानसभा हो, लोकसभा या फिर नगरीय निकाय के चुनाव। ये बेहद गंभीर होते हैं, क्योंकि देश-प्रदेश और शहर के भविष्य का निर्धारण इसी से होता है। यही कारण है कि इन चुनावो को लेकर गंभीरता की अपेक्षा की जाती है। लेकिन चुनाव दर चुनाव हर बार कुछ ऐसे उम्मीदवार भी मैदान में चले जाते हैं जो पहली नजर में ही समझ में आ जाते हैं कि इनका चुनाव लड़ने या फिर देश का भला करने का कोई इरादा नहीं है। वह केवल सुर्खियां बटोरने के लिए ही इस तरह का प्रोपोगेंडा करते हैं, जिससे वे लोगों में चर्चा का विषय बन जाए । इन दिनों पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जिले में शनिवार से नामांकन पत्र भरने का क्रम आरंभ हो गया। बिलासपुर जिले में कलेक्ट्रेट में पहले दिन ही कुछ लोग नामांकन भरने पहुंच गए। इस चुनाव को लेकर अधिकांश लोग जहां पूरी तरह गंभीर है तो फिर ऐसे प्रत्याशी भी पहले ही दिन नजर आए जिनके लिए चुनाव लड़ना मानो कोई कॉमेडी शो हो।

यहां पर्चा दाखिले के लिए पहुंचे एक दंपति पर सब की निगाह इसलिए टिक गई क्योंकि उन्होंने चुनाव नामांकन दाखिले के लिए आवश्यक राशि पटाने में अनोखा अंदाज अपनाया। इस चुनाव में सामान्य प्रत्याशियों को ₹10000 और आरक्षित को प्रत्याशियों से ₹5000 लिए जा रहे हैं। शनिवार को बिलासपुर विधानसभा सीट से नामांकन दाखिले के नाम पर अमलेश मिश्रा अपनी पत्नी नीतू मिश्रा के साथ पहुंचे थे। इनके हाथ में एक बोरी भी थी। नामांकन पत्र उपलब्ध करा रहे चुनाव कार्य में लगे कर्मचारियों के टेबल पर इन लोगों ने बोरी पलट दी तो उसमें एक, दो, पांच और ₹10 के सिक्के थे। यह सिक्के कुल मिलाकर ₹10,000 थे । पूछताछ में पता चला कि यह दंपति पिछले 5 सालो से इन सिक्कों को इसी उद्देश्य से इकट्ठा कर रहा था, ताकि विधानसभा चुनाव के दौरान इन्हें जमा कर सुर्खियां बटोरी जाए । हालांकि नीतू मिश्रा की दलील है कि बैंक यह सिक्के नहीं ले रहा है इसीलिए उन्होंने विरोध स्वरूप यहां इन सिक्कों को जमा कर एक संदेश देना चाहा है, लेकिन इससे एक अजीब उलझन जरूर पैदा हो गई। नियम अनुसार कर्मचारी इन सिक्कों को लेने से मना भी नहीं कर सकते, तब भी ₹10000 के सिक्के गिनना उनके लिए आसान भी नहीं था । नामांकन दाखिल करने के पहले ही दिन ₹10,000 के सिक्के लेकर पहुंचने का यह मामला खूब सुर्खियों में रहा।

वैसे कोई पहला मामला नहीं है जब इस तरह किसी प्रत्याशी ने बोरी भरकर सिक्के जमा करने का प्रयास किया हो। लगभग लगभग हर वर्ष इस तरह का कोई ना कोई प्रत्याशी मैदान में नजर आ ही जाता है। बिलासपुर विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल करने वाले अमलेश मिश्रा चुनाव को लेकर कितने गंभीर है यह कहना फिलहाल भले ही जल्दबाजी हो, लेकिन वे चाहते तो आसानी से ₹10,000 जमा कर सकते थे लेकिन उन्होंने सोची समझी रणनीति के तहत सिक्के जमा किए। यह कह सकते हैं कि वे अपने मकसद में कामयाब भी हुए हैं क्योंकि ऐसा कर उन्होंने मुफ्त में सुर्खियां जो बटोर ली।
