अपने पिता की हत्या का बदला लेने, हत्यारे के मूकबधिर बेटे का कर लिया अपहरण, हत्यारे को अपने परिवार के साथ खुशहाल देखकर आक्रोश की आग में जल रहा आरोपी फिरौती हासिल करने से पहले ही हुआ गिरफ्तार

पिता का हत्यारा जेल से छूटने के बाद अपने परिवार के साथ आराम की जिंदगी गुजार रहा था ,जबकि पिता की हत्या होने के बाद उसका परिवार मुफलिसी में जीने को मजबूर था, इसीलिए बदला लेने की गरज से युवक ने मूकबधिर बालक का अपहरण कर लिया।
पचपेड़ी थाना क्षेत्र के ग्राम लोहरसी में रहने वाला 9 वर्षीय मुकबधिर ऋतिक कुमार 4 अक्टूबर को अचानक कहीं गायब हो गया । उसके पिता ने समारू बंजारे ने थाने में रिपोर्ट लिखाया है कि उनका बड़ा बेटा खेलने के लिए बाहर गया था, फिर वापस नहीं लौटा। गांव में और आसपास तलाश की लेकिन रितिक कुमार बंजारे का कुछ पता नहीं चला। समारू ने आशंका जताई कि गांव के ही दिनबंधु उर्फ झकला बंजारे से उसकी पुश्तैनी दुश्मनी है। हो सकता है दीनबंधु ने ही उसके बेटे का अपहरण किया हो।

पुलिस ने मामला दर्ज कर चिंगराज पारा सरकंडा से 48 वर्षीय दिनबंधु उर्फ छक्कला बंजारे को हिरासत में लेकर पूछताछ किया तो उसके घर से गुम मूकबधिर बालक ऋतिक कुमार मिल गया। पुलिस ने दिव्यांग बालक के अपहरण की वजह पूछी तो फिर चौंकाने वाली कहानी सामने आई ।

पता चला कि रितिक के पिता समारू बंजारे ने ही दीनबंधु के पिता बावरीलाल बंजारे की हत्या कई साल पहले कर दी थी। बचपन में ही पिता की हत्या हो जाने से दीनबंधु का बचपन और जवानी बेहद गरीबी और परेशानी में गुजरी। वह हर वक्त अपने पिता की असमय मौत से आहत रहा। उसका गुस्सा तब प्रतिशोध में बदल गया जब उसने देखा कि अपनी सजा काटकर जेल से छूटने के बाद समारु अपने परिवार के साथ मजे की जिंदगी गुजार रहा है। इसलिए उससे बदला लेने के लिए दीनबंधु ने अपने पिता के हत्यारे समारू राम बंजारे के बेटे ऋतिक को अगवा करने की योजना बनायी। उसकी योजना थी कि ऋतिक को अगवा कर वह समारू बंजारे से 7 से 8 लाख रुपए फिरौती मांगेगा। इसी उद्देश्य से उसने मौका पाकर 4 अक्टूबर को लोहरसी से समारू के बड़े बेटे रितिक का अपहरण कर लिया था, जिसे उसने अपने चिंगराज पारा स्थित घर में छुपा कर रखा था।

लेकिन इससे पहले कि वह अपने मकसद में सफल हो पता पुलिस ने उसे ढूंढ निकाला। अपहृत बालक को सकुशल बरामद कर पुलिस ने उसके परिजनों के हवाले कर दिया , तो वहीं दीनबंधु उर्फ झकल्ला को अपहरण के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। भले ही दीनबंधु ने अपराध किया है लेकिन मानवीय दृष्टिकोण से देखे तो बचपन में ही उसके पिता बावरी लाल बंजारे की हत्या हो गई । उसकी पूरी जिंदगी अभाव और गरीबी में बीती और अब इस उम्र में अपहरण के आरोपों से जेल की सजा भी मिली। यानी जिंदगी भर उसने केवल सजा ही पायी। कभी अपनी करनी से तो कभी किसी और के बुरे कर्म से।

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