बिलासपुर में 400 करोड़ रुपए जमीन में अंडरग्राउंड सीवरेज के नाम पर दबा दिए गए, जिसका जख्म आज भी रह रहकर फूट पड़ता है। अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने बिलासपुर में 400 करोड़ से अधिक के भूमिगत सीवरेज प्रोजेक्ट को लागू किया। 15 साल और 4 अरब से अधिक रुपए खर्च होने ,दर्जनों लोगों की जान जान के बावजूद आज भी इसका कोई अस्तित्व नहीं है, लेकिन बिलासपुर की हर सड़क को इस योजना के नाम पर खोदे जाने और कमजोर रेस्टोरेशन की कलई आज भी रह रहकर खुल जाती है।
एक बार फिर दयालबंद में सड़क पर बीचो-बीच बड़ा गड्ढा उभर आया। कमजोर रेस्टोरेशन की वजह से बरसात के मौसम में इस तरह की घटनाएं पिछले कई सालों में बार-बार देखी गई। दयालबंद में तो यह हर साल की कहानी है । 15 सालों से बिलासपुर वासी यह जख्म झेल रहे हैं , यहां तक कि इस शहर का नाम खोदापुर भी रख दिया गया है। जैसे ही दयाल बंद में सड़क पर गड्ढा बनने की खबर विधायक शैलेश पांडे को हुई उन्होंने तत्काल मामले में पहल करते हुए तुरंत उसे भरवारा।
सीवरेज की वजह से गयी सत्ता
बिलासपुर के पूर्व विधायक और मंत्री अमर अग्रवाल चार बार जीतने के बावजूद पांचवीं बार एक गुमनाम और पहली बार चुनाव लड़ रहे शैलेश पांडे से चुनाव हार गए थे, जिसके पीछे अंडरग्राउंड सीवरेज सिस्टम को वजह माना जाता है। कई बार अमर अग्रवाल स्वयं भी यह बात स्वीकार कर चुके हैं। लोगों का कहना है अगर 400 करोड रुपए किसी और विकास कार्यों पर खर्च किए होते तो बिलासपुर कहां से कहां पहुंच गया होता। अंडर ग्राउंड सीवरेज सिस्टम का आज भी कोई अस्तित्व नहीं है, लेकिन 15 साल से लोग यह दर्द बार-बार महसूस कर रहे हैं। अंडरग्राउंड सीवरेज की वजह से पूरा शहर खोखला हो चुका है और कभी भी कहीं भी सड़के धंस जाती है।
खोदापुर की वजह से पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने पहली बार हार का स्वाद चखा था और अब तक उनका राजनीतिक भविष्य अधर में है। इस बार भी उन्हें भारतीय जनता पार्टी टिकट देती है या नहीं इस पर भी संशय की स्थिति है, लेकिन दूसरी सच्चाई यह भी है कि आज भी अंडरग्राउंड सीवरेज की वजह से पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल उतने ही अलोकप्रिय है । आज भी उनका नाम सामने आते ही लोग खोदापुर और अंडर ग्राउंड सीवरेज सिस्टम की चर्चा करते हैं। इस कारण भी एक बड़ा वर्ग ऐसा है, जिसका मानना है कि अगर अमर अग्रवाल को भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव में टिकट देती है तो इस बार भी उनकी जीत की संभावना बेहद कम होगी, क्योंकि लोग अभी भी अंडरग्राउंड सीवरेज सिस्टम का दर्द नहीं भूले हैं और इस तरह से बार-बार उभर आते गड्ढे उन्हें भूलने भी नहीं देते।