गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा दयालबंद में सिखों के वर्तमान गुरु श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पहला प्रकाश पूरब बड़े ही हर्षो उल्लास के साथ मनाया जा रहा है सबसे पहले सन 1604 में गुरु अर्जन देव जी ने आदि ग्रंथ की रचना की थी एवं 1708 में श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने देहधारी गुरु की परंपरा को समाप्त करते हुए श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की दमदमी बीड को सिखों को गुरु मानने का आदेश दिया हर साल की तरह यह सिख धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण एवं भक्तिमई रूप से मनाया जाता है इस वर्ष भी इस पर्व को मनाने हेतु गुरुद्वारा दयालबंद में विशेष तौर पर अमृतसर से आए भाई दविंदर सिंह जी बटाला अपने अमृत रस कीर्तन द्वारा 14 एवं 15 सुबह शाम गुरु जस सुना कर संगतो को निहाल कर रहे हैं
16 तारीख को विशेष तौर पर सुबह 4:00 बजे पंजाबी कॉलोनी से लेकर गुरुद्वारा तक एक विशाल नगर कीर्तन का आयोजन किया गया है जिसके लिए बहनों एवं भाइयों के लिए सफेद वर्दी एवं केसरी दुपट्टा या दस्तार नियत की गई है उपरांत 10:00 बजे से लेकर दोपहर 2:00 बजे तक विशेष सजाया जाएगा इसके उपरांत गुरु का अटूट लंगर भी वरताया जाएगा इस कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सभी मेंबर अध्यक्ष नरेंद्र पाल सिंह गांधी मनदीप सिंह गंभीर सुरेंद्र सिंह छाबड़ा जगमोहन सिंह जोगिंदर सिंह गंभीर गुरभेज सिंह त्रिलोचन सिंह महेंद्र सिंह गंभीर एवं जसवीर सिंह रोमिंदर सिंह अजमानी जगदीप सिंह मक्कड़ एवं प्रबंधक कमेटी के सभी सदस्य सभी समितियां खालसा सेवा समिति खालसा युवा समिति खालसा पंजाबी सेवा समिति खालसा युवा समिति पंत प्रचार कमेटी स्त्री सत्संग श्री सुखमणि साहिब सर्कल आदर्शमहिला समिति गुरमत सोसाइटी के सभी सदस्य सहयोग कर रहे हैं