
कैलाश यादव


पवित्र सावन मास के अंतिम सोमवार पर सभी शिव मंदिरों में श्रद्धालु उमड़ पड़े। इस वर्ष अधिमास होने पर सावन दो महीने का रहा और इन दो महीनो में आठ सावन सोमवार मनाए गए। सावन के अंतिम सोमवार सोम प्रदोष के संजोग के साथ मनाया गया।

सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। समुद्र मंथन के अवसर पर वासुकी नाग से उत्पन्न हलाहल विष को ग्रहण करने वाले भगवान शिव के शरीर का ताप अत्यधिक बढ़ गया था, जिसे शांत करने के लिए इंद्र देवता ने वर्षा की। तब से शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन मास में उनका जलाभिषेक किया जाता है। वैसे तो पूरा सावन मास ही शिव आराधना के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन सावन महीने के सोमवार अति महत्वपूर्ण होते हैं। शिव भक्तों के लिए इस बार भोले भंडारी की पूजा अर्चना का अधिक अवसर रहा। आठो सोमवार पर विधि विधान के साथ शिव आराधना की गई।


इस सोमवार को प्रदोष के संजोग के साथ शिवालयों में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर भोले भंडारी का बेलपत्र, पुष्प दूध, दही, शहद , पंचामृत आदि अर्पित कर पूजा अर्चना की। वही शिव मंत्र का 108 बार जाप करते हुए परिक्रमा किया। भोले भंडारी की आरती उतारी गई और प्रसाद का वितरण किया गया। इस दिन फल ,वस्त्र आदि दान का भी महामात्य है।
बिलासपुर के भी सभी शिव मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ नजर आई । मध्य नगरी स्थित शिव पंचायती मंदिर में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और भोले भंडारी का जलाभिषेक करते हुए पूजा अर्चना की। इसके साथ ही सावन सोमवार का व्रत संपन्न हुआ। सावन के अंतिम सोमवार को भी पवित्र नदियों से कावड़ में जल लाकर शिव भक्तों ने भगवान शंकर का जलाभिषेक किया।

