जानिए क्यों प्रत्येक मनुष्य को प्रतिदिन करना चाहिए मानस पूजा ?

श्रावण मास में श्री पीताम्बरा पीठ सुभाष चौक सरकंडा स्थित त्रिदेव मंदिर में सावन महोत्सव एवं परम पावन पुरुषोत्तम मास पर श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारूद्राभिषेकात्मक महायज्ञ 4 जुटाई से लेकर 31अगस्त तक प्रातः8:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक किया जा रहा है,तत्पश्चात श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महाआरती दोपहर 1:30 बजे किया जाता है। द्वितीय महारूद्र पाठ के साथ महारुद्राभिषेक नमक चमक विधि से किया जा रहा है।श्री पीताम्बरा हवनात्मक महायज्ञ रात्रि 8:30 बजे से प्रारंभ होकर रात्रि 1:30 बजे तक निरंतर चलता है। तत्पश्चात माँ ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी की महाआरती रात्रि 1:30 बजे किया जाता है।श्री सुरेंद्र पाण्डेय, श्रीमती रीमा पाण्डेय बिलासपुर छत्तीसगढ़ अभिषेक पूजन में सम्मिलित हुए।

पीठाधीश्वर आचार्य दिनेश जी महाराज ने बताया कि भगवान सदाशिव भोलेनाथ का मानस पूजा प्रत्येक मनुष्य को प्रतिदिन प्रत्येक परिस्थिति में करना चाहिए।

शिव मानस पूजा स्तोत्र:-
हे शिव शंभु सदा आपकी मानस पूजा करता हूँ।
पूजा की कल्पित सामाग्री मन मंदिर में धरता हूँ।।
रत्न जटित सिंहासन ऊपर आसन एक बिछाता हूँ।
स्नान करा निर्मल हिम जल से सुंदर वस्त्र पहनाता हूँ।।
कस्तूरी चंदन सुगंध का तन पर लेप लगाता हूँ।।
जूही चम्पा बिल्पत्र की पुष्पाजंली चढ़ाता हूँ।
धूप दीप की मधुर गंध मै मन ही मन मे धरता हूँ।
हे शिव शंभु सदा आपकी मानस पूजा करता हूँ।।
छत्र चंवर पंखा शुचि दर्पण अर्पण देव तुम्हे करके।
वीणा भेरी मृदंग दुंदुभी बजा रहा ध्वनि मन भरके।।
नृत्य गीत प्रणिधान प्रार्थना करता हूँ सुमिरन करके।
यह सब है संकल्प साधना जो समक्ष शिव शंकर के।
करो ग्रहण पूजा यह मेरी शीष चरण में धरता हूँ।।
हे शिव शंभु सदा आपकी मानस पूजा करता हूँ।।
नूतन रत्न खंड से मंडित स्वर्ण पात्र हैं धरे लिये।
दुध-दही घी मधुर पंचरस व्यंजन जिसमें भरे हुये।।
शुद्ध शाक कदलीफल शर्बत स्वच्छ सुवासित अर्पित है।
मन से निर्मित तांबूल हे शंकर तुम्हें समर्पित हैं।।
शुद्ध कल्पना मन ही मन कर मन की पीड़ा हरता हूँ।
हे शिव शंभु सदा आपकी मानस पूजा करता हूँ।।
शिव है मेरी अमर आत्मा बुद्धि शैलजा माता है।
प्राण आपके गण है सारे तन मन के सुख दाता है।।
विषय भोग की सारी रचना नाथ आपका वंदन है।
भ्रमण परिक्रमा नींद समाधि शब्द स्तोत्र अभिनंदन है।।
जो मै करूँ वहीं है पूजा पग पग तुम्हें सुमरता हूँ।
हे शिव शंभु सदा आपकी मानस पूजा करता हूँ।।
हाथ पैर वाणी शरीर से कर्म कर्ण आंखों द्वारा।
तन मन का अपराध हमारा हे शिव नष्ट करो सारा
मानस पूजा को स्वीकारो ,भव बाधा से त्राण करो।
हे शिव शंकर करूणा सागर अब मेरा कल्याण करो।।
सोते जगते चलते फिरते तुमको नहीं बिसरता हूँ।
हे शिव शंभु सदा आपकी मानस पूजा करता हूँ।।

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