

छत्तीसगढ़ सिनेमा एसोसिएशन सीसीए के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की। इस दौरान छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता देखकर इससे जुड़े लोगों को सक्षम, दक्ष और सांस्कृतिक अनुकूल मनोरंजन के लिए प्रोत्साहित करने की मांग की गई। बताया गया कि सन 2016-17 में फिल्म विकास बोर्ड का गठन और साल 2020-21 में फिल्म नीति लागू करने के बाद भी जमीनी स्तर पर छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री को उसका कोई फायदा नहीं मिला। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि राजपत्र में प्रकाशित होने और अस्तित्व में आने के बाद भी फिल्म विकास बोर्ड फ़िल्म द्वारा नीति को उस तरह से छत्तीसगढ़ में लागू नहीं किया जा सका जैसे दूसरे प्रदेशों में अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों को मिला, जिसका लाभ उन्हें निरंतर जा रहा है । छत्तीसगढ़ में सिनेमा जगत की प्रतिकूल स्थिति से अवगत कराते हुए बताया गया कि किस तरह से छत्तीसगढ़ में सिनेमा हॉल लगातार बंद हो रहे और घट रहे हैं। फिल्मों को जनता के बीच प्रदर्शित करना लगातार मुश्किल होता जा रहा। मॉल में फिल्म को प्रदर्शित करना महंगा और नुकसानदायक है, क्योंकि वह छत्तीसगढ़ी फिल्मों के दर्शक कम मिलते हैं और टिकट दर भी बहुत ज्यादा होती है।

छत्तीसगढ़ी फिल्मों के स्तर में भी व्यापक सुधार ना होने के पीछे मुख्य वजह फिल्मों का बजट कम होना और इसे निर्माण मैं मिलने वाली आवश्यक संसाधनों की कमी है। सरकारी अनुदान और सहयोग से ही इस कमी को दूर करना संभव होगा। बोर्ड और नीति के लागू होने से फिल्म निर्माताओं को तकनीकी सहयोग मार्गदर्शन रजिस्ट्रेशन , रिलीजिंग के लिए एक कार्यालय और सिंगल विंडो से विश्वसनीय मदद मिल सकेगी । फिलहाल लोग इन कार्यों के दौरान अक्सर ठगी का शिकार हो जाते हैं। इसी कारण से नए निर्माता फ़िल्म निर्माण का जोखिम नहीं लेते। सरकार द्वारा समय-समय पर सेमिनार और कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर अन्य फिल्म इंडस्ट्री के प्रसिद्ध हस्तियों के साथ छत्तीसगढ़ी कलाकारों को प्रशिक्षित कर इसे बड़ा लाभ पहुंचा सकती है। छत्तीसगढ़ी सिनेमा असोसिएशन के अध्यक्ष अजय खांडेकर और संरक्षक अजय शर्मा ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर फिल्म विकास बोर्ड को मजबूत करने की मांग की है। उनके द्वारा बताया गया कि इससे शॉर्ट फिल्म, वित्तचित्र, रंगमंच को नया जीवनदान मिलेगा। दक्षिण भारत की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी मिनी टॉकीज के निर्माण से ग्रामीण इलाकों में भी छत्तीसगढ़ी फिल्मों को दशकों तक पहुंचाना मुमकिन होगा, जहां कम टिकट दर पर दर्शक अपनी भाषा और संस्कृति से जुड़ी फिल्में देख पाएंगे।

फिल्मों की शूटिंग के लिए लोकेशन , स्पॉट चयन की अनुमति में भी फिलहाल भारी समस्या है, इसके लिए महंगा शुल्क भी पटाना पड़ता है, इससे निजात दिलाने की मांग की गई है। फिल्म से जुड़े अवॉर्ड शो सरकारी स्तर पर आयोजित करने की मांग भी की है, ताकि छत्तीसगढ़ी फिल्म के कलाकारों को आत्म गौरव का अनुभव हो सके। कहा गया कि सरकार का संरक्षण मिलने से छत्तीसगढ़ी फिल्मों के कलाकारों को अन्य प्रादेशिक इंडस्ट्री के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। यह सब कुछ सरकारी संरक्षण से ही संभव है। छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री को 2 दशक से अधिक समय होने के बावजूद आज भी यह अन्य प्रादेशिक फिल्मों के मुकाबले काफी पिछड़ा हुआ है, इसलिए मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इसे प्रोत्साहित करने की मांग की गई है, ताकि छत्तीसगढ़ में भी बेहतरीन फिल्मों का निर्माण संभव, जिसकी ख्याति राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संभव हो सके। इस मुलाकात की जानकारी छत्तीसगढ़ फ़िल्म एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी संजय यादव ने दी।
