
यूनुस मेमन


रतनपुर में भी भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा महापर्व मनाया गया। इसे स्थानीय भाषा में राजुतिया भी कहते हैं। रतनपुर धार्मिक आस्था का केंद्र है, यहां छोटे-बड़े न जाने कितने मंदिर है। रतनपुर की पहचान भले ही मां महामाया मंदिर के लिए हो लेकिन यहां और भी कई प्रसिद्ध मंदिर है, जिनमें प्राचीन जगन्नाथ मंदिर भी शामिल है। गज किला में निर्मित महाप्रभु श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर का निर्माण 15 वी शताब्दी में तत्कालीन राजा कल्याण साय ने किया था। बताया जाता है कि वे भगवान जगन्नाथ के परम भक्त थे, लेकिन बीमार पड़ने पर वे पुरी धाम नहीं जा पा रहे थे तो भगवान ने उन्हें सपने में आकर आदेश दिया। इसके बाद इस मंदिर का निर्माण कराया गया। गज किला में निर्मित इस ऐतिहासिक मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाएं विराजमान है। उनके समक्ष राजा कल्याण साय की भी करबद्ध प्रतिमा स्थापित है।

वर्ष भर यहां दर्शन के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं लेकिन हर वर्ष रथ यात्रा के अवसर पर यहां भक्तों का तांता लगता है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के अलावा श्री हरि विष्णु, राधाकृष्ण, देवी दुर्गा की प्रतिमा भी विराजमान है।
परंपरा अनुसार इस वर्ष भी यहां रथ यात्रा पर्व मनाया गया इसे । यहां महोत्सव के रूप में मनाते हैं। इस अवसर पर रतनपुर में रहने वाले श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए मंदिर पहुंचते हैं। रथयात्रा महोत्सव में भगवान को छप्पन भोग लगाया जाता है जिसमें अंकुरित मूंग भी शामिल होता है। इसे गजमुंग कहते हैं। पूजा अर्चना के बाद यही प्रसाद भक्तों में वितरित किया गया।

विशेष बात यह है कि यहां रथ यात्रा उत्सव पर रथयात्रा नहीं निकाली जाती, बल्कि भगवान जगन्नाथ बलभद्र और सुभद्रा की विशेष पूजा-अर्चना होती है । हालांकि रतनपुर के अन्य स्थानों में उड़ीसा के पुरी की तर्ज पर रथयात्रा भी निकलती है। यह रथयात्रा रतनपुर के करैहा पारा, सोनार, पारा बनिया पारा आदि स्थानों से निकलती है, जो नगर भ्रमण कर जगन्नाथ मंदिर पहुंचती है। इस रथयात्रा महोत्सव पर भी यहां भगवान का विशेष श्रृंगार किया गया। पूजा अर्चना आरती के बाद प्रसाद ग्रहण करने भक्त मंदिर में उमड़ पड़े।
