डॉ अलका यतींद्र यादव
योग, आध्यात्मिक भारत को जानने और समझने का एक तरीका है। इसके साथ ही योग भारत की संस्कृति और विरासत से भी लाल रंग रखता है। संस्कृत में योग का अर्थ है “एकजुट होना”। योग स्वस्थ जीवन वन्य जीवन का वर्णन करता है। योग में ध्यान लगाने से मन अनुमत होता है। योग से शरीर का उचित विकास होता है और योजनाएं होती हैं। योग के अनुसार, यह वास्तव में हमारे स्वास्थ्य पर अपना प्रभाव डालने वाला शरीर का तंत्रिका तंत्र है।
मानव सभ्यता जितनी पुरानी है, उतनी ही पुरानी योग की उत्पत्ति मानी जाती है, लेकिन इस तथ्य को सिद्ध करने का कोई ठोस प्रमाण मौजूद नहीं है। इस क्षेत्र में व्यापक खोज के बावजूद भी योग की उत्पत्ति के संबंध में कोई ठोस परिणाम प्राप्त नहीं हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि भारत में योग की उत्पत्ति लगभग 5000 साल पहले हुई थी। बहुत से पश्चिमी तार्किक का मानना था कि योग की उत्पत्ति 5000 साल पूर्व नहीं, बल्कि बुद्ध (लगभग 500 ईसा पूर्व) के समय में हुई थी। सिंधुरा घाटी की सबसे प्राचीन सभ्यता की खुदाई के दौरान कई आश्चर्यजनक तथ्य सामने आए। खुदाई के दौरान, इस सभ्यता के अस्तित्व वाले साबुन के पत्थर (सोपस्टोन) पर आसन की मुद्रा में बैठे योगी के चित्र मिले हैं। मूल रूप से, योग की शुरुआत स्वयं के हित की बजाय सभी लोगों की दिलचस्पी के लिए हुई है।
शास्त्री योग
अवधि का योग हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म से भी जुड़ा हुआ है क्योंकि सोलहवीं शताब्दी पूर्व में भगवान बुद्ध ने ध्यान के महत्व पर शिक्षा देना शुरू कर दिया था
: हिंदू की एक अत्यंत महत्वपूर्ण पवित्र पुस्तक भगवद-गीता (“भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों का संग्रह”), इस अवधि के उत्कृष्ट योग धर्मग्रंथों में से एक है। इसके अलावा रामायण और महाभारत (भगवद-गीता की तरह ही) में भी योग का समावेशन था। इस समय वाले योग में शरीर और मन को अपने वश में करके ध्यान केंद्रित करने की कई तकनीक और आत्म यथार्थ की खोज करने के लिए दिव्य शक्तियाँ मौजूद थीं।
इस अवधि का योग हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म से भी जुड़ा हुआ है क्योंकि सोलहवीं शताब्दी पूर्व में भगवान बुद्ध ने ध्यान के महत्व पर शिक्षा देना शुरू कर दिया था
आधुनिक योग
माना जाता है कि वर्ष 1893 में शिकागो में धर्मों की संसद में आयोजित आधुनिक योग की उत्पत्ति हुई थी। स्वामी विवेकानंद ने धर्मों की संसद में, अमेरिकी जनता पर अस्थायित्व से पूर्ण प्रभाव डाला था। उसके अनुरूप वह योग और वेदांत की ओर छात्रों को आकर्षित करने में काफी सफल रहे। उसके बाद दूसरे योगगुरु परमहंस योगानन्द को माना जाता है। वर्तमान समय में, पतंजली योग पीठ ट्रस्ट के स्वामी रामदेव ने भारत के प्रत्येक घर में और यहां तक कि विदेशों में भी योग का प्रसार करने में सफलता प्राप्त की है।
योग भारतीय संस्कृति का एक अनुपम उपहार है। जो आज के मनुष्य के व्यस्ततम और तनावग्रस्त जीवन की एक अमूल्य औषधि है। योग स्वास्थ्य का कुजी है। इसके नियमित अभ्यास से मनुष्य सौ वर्ष तक जीवित रहने की इच्छा पूरी कर लेता है। इसीलिए आज सभी के लिए योग लाभदायक सिद्ध हो रहा है और इसका प्रचार–प्रसार दिनों–दिन बढ़ता चला जा रहा है
वर्तमान समय में पौराणिक भारतीय संस्कृति के द्वारा प्राप्त इस दुर्लभ विज्ञान “योग” को पुनः जन-सामान्य तक पहुँचाने में बाबा रामदेव का नाम आज देश के साथ ही विदेशों तक भी जाना-पहचाना जाता है I योग के इस दुर्लभ महत्व को समझते हुए ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र संघ में 177 देशों की मंजूरी मिलने के बाद योग को पूरे विश्व में प्रचारित- प्रसारित करने का बीड़ा स्वयं उठाया और “संयुक्त राष्ट्र महासंघ” में सम्मिलित देशों की सर्व-सहमति लेकर प्रतिवर्ष “21 जून” को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” घोषित किया ।