

बिलासपुर के रेलवे क्षेत्र स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में रविवार को नेत्र उत्सव मनाया गया। स्नान पूर्णिमा पर 108 कलश जल से स्नान करने के बाद जगन्नाथ महाप्रभु, दाऊ बलभद्र और बहन सुभद्रा बीमार पड़ गए थे। भगवान भी अजब लीला करते हैं। स्वयं को मानव दर्शाने के लिए और भक्तों को सेवा का अवसर देने वे भी वर्ष में 15 दिन के लिए इसी तरह बीमार पड़ जाते हैं। इस अवधि को अनासारा कहते हैं। तीनों के बीमार पड़ने पर मंदिर में आयुर्वेदिक उपाय से उनका उपचार किया गया। पिछले 15 दिनों से दसमूली दवा तैयार कर उन्हें दी जाती रही। वहीं भोजन में उन्हें दलिया खिचड़ी और मूंग की दाल जैसे सुपाच्य भोग चढ़ाए गए। काढ़ा, और हल्दी , सौंठ आदि से निर्मित पेड़े के सेवन उपरांत मान्यता अनुसार 15 दिन के उपचार के पश्चात नेत्र उत्सव पर भगवान आंशिक रूप से स्वस्थ हुए हैं।

नेत्र उत्सव में भगवान को लगाया गया काजल
15 दिन के अंतराल के बाद एक बार फिर से श्री जगन्नाथ मंदिर के पट भक्तों के लिए खोलें गए और भगवान ने नव यौवन दर्शन भक्तों को दिया। सुबह करीब 9:30 बजे से 10:30 बजे तक मंदिर के पुजारी गोविंद पाढ़ी ने विशेष पूजा अर्चना की। परंपरा अनुसार मंदिर पर नया ध्वज चढ़ाया गया। नेत्र उत्सव में परंपरा के साथ पुजारी भगवान की आंखों में काजल लगाते हैं और चंदन का तिलक किया जाता है । इसके बाद प्रभु सार्वजनिक रूप से दर्शन के लिए तैयार होते हैं। हेरा पंचमी से पहले नेत्र एवं नव यौवन उत्सव पर भी बड़ी संख्या में भगवान जगन्नाथ के भक्त मंदिर में उपस्थित थे।

बिलासपुर में भी रथयात्रा की तैयारी
भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ हर वर्ष भक्तों के बीच पहुंच दर्शन देते हैं। इस वर्ष भी रथ यात्रा के माध्यम से भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी माँ के घर गुंडिचा मंदिर जाएंगे । उसी परंपरा का निर्वहन बिलासपुर में भी किया जाएगा। 20 जून को जगन्नाथ मंदिर से भगवान की रथ यात्रा निकलेगी। छेरा पहरा की परंपरा का पालन कर भक्त रथ का रस्सी खींचते हुए उन्हें नगर भ्रमण कराएंगे। बिलासपुर में रथयात्रा के लिए 16 फीट लंबा, 17 फीट ऊंचा और 12 फीट चौड़ा रथ तैयार किया गया है । रथ को खींचने के लिए 108 फीट लंबी रस्सी भी तैयार है। रंग रोगन और साज सजावट के साथ ये अब रथ यात्रा के लिए तैयार है। 20 जून को रेलवे क्षेत्र स्थित श्री मंदिर से रथयात्रा निकलकर तितली चौक, रेलवे स्टेशन, तार बाहर, गांधी चौक, तोरवा थाना काली मंदिर होते हुए उड़िया स्कूल में निर्मित गुंडिचा मंदिर पहुंचेगी और फिर 28 जून को बहूडा यात्रा में इसी रास्ते से वापस चलकर मंदिर पहुंचेगी।
जगन्नाथ मंदिर में रथ यात्रा के अवसर पर महाप्रसाद कनिका का वितरण किया जाएगा। भक्तों की बढ़ती संख्या को देखकर इसकी मात्रा 1 क्विंटल से बढ़ाकर 5 क्विंटल कर दी गयी है । कनिका का महा प्रसाद चावल, काजू ,किसमिस, लोंग ,इलाइची ,चीनी, हल्दी आदि से तैयार किया जाता है ।
विधायक पांडे करेंगे छेरा पहरा
20 जून सुबह से ही पूजा-अर्चना का क्रम आरम्भ हो जाएगा। विविध अनुष्ठान के पश्चात दोपहर 1:00 बजे गुंडीचा यात्रा से पहले विधायक शैलेश पांडे छेरा पहरा की परंपरा का पालन करते हुए विशेष झाड़ू से झाड़ू लगाएंगे । दोपहर करीब 2:00 बजे मंदिर से रथ यात्रा आरंभ होगी। देर शाम भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ गुंडीचा मंदिर पहुंचेंगे , जहां आगामी 8 दिनों तक विविध सांस्कृतिक , धार्मिक अनुष्ठान होंगे । 28 जून को घर वापसी होगी । मंदिर पहुंचकर भगवान जगन्नाथ रूठी हुई देवी लक्ष्मी को मनाएंगे जिसके बाद पुनः भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा भक्तों को नियमित रूप से मंदिर में ही दर्शन देंगे । भगवान के इस अनोखे लीला का साक्षी बनने भक्तों में अपार उत्साह है। नेत्रोत्सव से लेकर बहूडा यात्रा तक यही उत्साह हर बार दिखेगा।
