त्रिशताब्दी जन्म समारोह के तहत लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के जीवन पर व्याख्यान का आयोजन

मुंगेली, पुण्यश्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की त्रिशताब्दी जन्म समारोह समिति, मुंगेली द्वारा सरस्वती शिशु मंदिर, पेंडराकापा और एसएनजी महाविद्यालय, मुंगेली में आज विशेष व्याख्यान आयोजित किए गए, जिसमें छात्र-छात्राओं को अहिल्याबाई होल्कर के जीवन और उनके ऐतिहासिक योगदान की जानकारी दी गई।

सरस्वती शिशु मंदिर, पेंडराकापा में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक श्री गणेश साहू ने अपने संबोधन में कहा, “अहिल्याबाई होल्कर न केवल वीरांगना थीं, बल्कि वे एक उत्कृष्ट शासिका और धर्म-परायण महिला भी थीं। उनके नेतृत्व और सामाजिक कार्यों के कारण ही उन्हें ‘लोकमाता’ की उपाधि मिली। वे महिला सशक्तिकरण की प्रतीक थीं और उनका योगदान आज भी हमारे लिए प्रेरणादायक है।”

इस अवसर पर समारोह समिति के संयोजक, समाजसेवी श्री आकाश परिहार ने कहा, “अहिल्याबाई होल्कर के योगदान को शिक्षा पद्धति में वह स्थान नहीं मिल पाया जिसके वे हकदार थीं। लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति ने योजनाबद्ध तरीके से हमारे महापुरुषों और वीरांगनाओं के योगदान को कमतर करके प्रस्तुत किया। अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से भारत के गौरवशाली इतिहास को सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया जाएगा।”

सरस्वती शिशु मंदिर के इस कार्यक्रम में विद्यालय के संचालक सदस्यों में से एक श्री मोनू उपाध्याय, समारोह समिति के कोषाध्यक्ष श्री ब्रह्म दत्त त्रिपाठी, जिला कार्यवाह श्री विजय नंदवानी, विद्यालय के शिक्षकगण और सभी छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।

एसएनजी महाविद्यालय, मुंगेली में आयोजित कार्यक्रम में भी मुख्य वक्ता के रूप में श्री गणेश साहू ने अहिल्याबाई के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा, “अहिल्याबाई ने अपने राज्य में वेलफेयर स्टेट की अवधारणा को सिद्ध किया, जो उनके प्रशासन और न्याय की उच्चतम मिसाल है। उनके द्वारा स्थापित समाज कल्याण की नीतियाँ आज भी प्रासंगिक हैं।”

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में कृषि महाविद्यालय के प्राध्यापक श्री अमरजीत देवांगन, एसएनजी महाविद्यालय के प्राचार्य श्री दवे, और महाविद्यालय के प्राध्यापकगण जैसे श्री प्रमोद देवांगन, श्री ब्रजेश उपाध्याय, श्री अशोक गुप्ता और श्री मुकेश मिश्रा उपस्थित थे।

प्राचार्य श्री दवे ने अपने उद्बोधन में कहा, “अहिल्याबाई होल्कर को ‘लोकमाता’ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने न केवल अपने राज्य में सामाजिक कल्याण की दिशा में अद्वितीय कार्य किए, बल्कि उन्होंने धर्म और न्याय के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।”

इस अवसर पर समारोह समिति के संयोजक श्री आकाश परिहार ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, “छात्र-छात्राओं को अपने गौरवशाली इतिहास से अवगत कराना आवश्यक है ताकि वे राष्ट्र निर्माण में अपने योगदान को समझ सकें।”

सरस्वती शिशु मंदिर और एसएनजी महाविद्यालय के कार्यक्रमों का संचालन क्रमशः समारोह समिति के कोषाध्यक्ष श्री ब्रह्म दत्त त्रिपाठी और प्राध्यापक श्री ब्रजेश उपाध्याय द्वारा किया गया। श्री त्रिपाठी ने बताया कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की त्रिशताब्दी को जिलेभर में मनाने के लिए एक समिति का गठन किया गया है, और इसके अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों और नाट्य मंचों के माध्यम से छात्र-छात्राओं को उनके जीवन और ऐतिहासिक योगदान के बारे में जागरूक किया जा रहा है।

इस कार्यक्रम में दोनों शिक्षण संस्थानों के समस्त छात्र-छात्राएँ, शिक्षकगण, और स्थानीय नागरिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

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