मुंगेली जिला अस्पताल का एक और कमाल, स्टाफ की लापरवाही के चलते नवजात बच्चों की हो गई अदला-बदली, जब तक डीएनए टेस्ट नहीं हो जाता, तब तक संदेह रहेगा बरकरार

आकाश दत्त मिश्रा

ऐसा तो पुरानी मुंबईया फिल्मों में ही हुआ करता था, जहां अक्सर बच्चे बदल जाते थे, लेकिन इस आधुनिक दौर में भी मुंगेली के जिला अस्पताल ने ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है। एक ही वक्त पर डिलीवरी के लिए पहुंचे दो बच्चे आपस में बदल गए और ऐसा गजब हुआ मुंगेली के जिला अस्पताल में, जो अपने इसी तरह की कार्यप्रणाली की वजह से हमेशा सुर्खियों में रहता है।


इस बार तो हद ही हो गई। एक ही वक्त पर डिलीवरी के लिए पहुंचे दो परिवारों के बच्चे बदल जाने से बवाल मच गया। अब दोनों ही परिजन डीएनए जांच की मांग कर रहे हैं । शुक्रवार देर शाम अस्पताल में प्रसव के लिए दो प्रसूता पहुंची। मुंगेली के जिला अस्पताल में प्रसव के लिए ग्राम करही देवरी की मितानिन प्रमिला बंजारे के साथ पहुंची संस्कृति बंजारे के अलावा पथरिया विकासखंड स्थित गोयन्द्री निवासी सुनीता मिरे का भी प्रसव उसी वक्त हुआ। लगभग एक साथ दोनों महिलाओं के प्रसव के बाद बताया जा रहा है कि अस्पताल के स्टाफ ने करही देवरी की मितानिन प्रमिला बंजारे को नवजात बालक सौंपा। लड़का होने की खुशी में पूरा बंजारे परिवार झूम उठा। यहां तक कि आनन-फानन में इन लोगों ने मिठाई बांट दी और पटाखे भी फोड़ डाले।

लेकिन उनकी खुशी घंटे भर ही टिक पाई । उन्हें भी अहसास नहीं था कि उनकी खुशी अस्थायी है। करीब घंटे भर बाद आकर अस्पताल स्टाफ ने जानकारी दी कि उन को जो बेटा सौंपा गया है वह दरअसल उनका नहीं बल्कि वह नवजात तो पथरिया विकास खंड के गोएन्द्री निवासी सुनीता मिरे का है। जैसे यह झटका ही कम नहीं था। इसके साथ ही बताया गया कि उनको तो बेटी हुई है और फिर उनसे नवजात बालक लेकर उन्हें नवजात बेटी सौंप दी गई।

हालांकि इस जमाने में बेटा और बेटी में कोई खास फर्क नहीं है। यूपीएससी हो या फिर कोई और क्षेत्र, हर जगह बेटियों ने झंडे गाड़ रखे हैं। फिर भी ग्रामीणों की मानसिकता इतनी जल्दी बदलने वाली नहीं है। बेटा की जगह बेटी होने की खबर से पूरे बंजारे परिवार के चेहरे लटक गए। खुशी, मायूसी में बदल गयी। परिजनों का आरोप है कि उनके हाथ में नवजात आने के बाद उसके साथ एक कनेक्शन बन गया था। पूरा परिवार उसके साथ जुड़ चुका था कि तभी इस तरह की जानकारी दी गई। दिलचस्प बात तो यह है कि करही देवरी का परिवार अब भी यह मानने को तैयार नहीं है कि उनके घर बेटी आई है ।उनका दावा है कि संस्कृति को बेटा हुआ है। इधर पहले बेटी और फिर बाद में बेटा होने की जानकारी मिलने पर सुनीता मिरे का परिवार खुश है लेकिन उनकी खुशी पर भी फिलहाल ग्रहण लगा हुआ है। क्योंकि बंजारे परिवार नवजात बालक पर अपना दावा ठोक रहा है।


आमतौर पर अस्पतालों में इतनी बड़ी लापरवाही नहीं होती , लेकिन मुंगेली जिला अस्पताल में जो ना हो वह कम है। अस्पताल प्रबंधन अपनी गलती मानने की बजाय अब दोनों परिवार को मनाने में जुट गया है, लेकिन बच्चे की अदला-बदली के चलते अस्पताल में जमकर हंगामा मचा है। इधर यह जानकारी कलेक्टर तक भी पहुंच गई, जिन्होंने जिला अस्पताल के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ की जमकर क्लास ली। फिलहाल दोनों ही परिवार बच्चे के डीएनए जांच की मांग कर रहे हैं लेकिन अस्पताल प्रबंधन उन्हें सहयोग करता नहीं दिख रहा। बताया जा रहा है कि मुंगेली कलेक्टर राहुल देव ने भी मामले को संज्ञान में लेते हुए फिलहाल ब्लड टेस्ट के माध्यम से बच्चे के जैविक माता-पिता की पहचान करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत हुई तो दोनों बच्चों का डीएनए टेस्ट करवाया जाएगा। साथ ही उन्होंने लापरवाही बरतने वाले अस्पताल स्टाफ को भी नहीं बख्शने की बात कही है।

सच तो यह है कि बेटा या बेटी में कोई फर्क नहीं है। बेटी हो या बेटा, घर में संतान का आना ही सुखद अनुभव है, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि हर माता-पिता अपने ही जैविक संतान का पालन पोषण करना चाहता हैं। जिस तरह से दूध के बड़े पात्र में एक बूंद नींबू का रस भी दूध को फाड़ने के लिए काफी होता है , उसी तरह संदेह का एक बीज भी संबंधों में स्थायी संदेह उत्पन्न करता है । ऐसे ही संदेह के दौर से दोनों परिवार के सदस्य गुजर रहे हैं । मगर अफसोस की बात यह है कि दोनों ही परिवार बेटे पर दावा ठोक रहे हैं, जबकि जोर इस बात पर होना चाहिए कि जो बच्चा जिसका है, उसे वो मिले। अब देखना होगा कि किस तरह से मुंगेली में अपेक्षाकृत जटिल डीएनए टेस्ट किया जाता है और फिर उसके परिणाम के अनुसार बच्चे को उसके असली मां बाप तक पहुंचाया जाता है। फिलहाल मुंगेली जिला अस्पताल का यह कारनामा सुर्खियों में है, लेकिन इससे भी किसी तरह के सुधार की उम्मीद अगर आप कर रहे हैं तो आप निःसंदेह अति आशावादी व्यक्ति हैं।

क्या है पूरे मामले का सच, हमने की पड़ताल

शुक्रवार शाम को गोयेन्द्री के राजेंद्र मिरे की पत्नी सुनीता मिरे प्रसव के लिए मुंगेली जिला अस्पताल पहुंची थी। लगभग इसी दौरान ग्राम देवरी करही निवासी किशन बंजारे की पत्नी संस्कृति बंजारे भी प्रसव कराने जिला अस्पताल पहुंची थी। दोनों का ही ऑपरेशन करना पड़ा। जिला अस्पताल की डॉक्टर हिना पारेख की देखभाल में दोनों महिलाओं का प्रसव हुआ। बताया जा रहा है कि शाम करीब 7:12 पर सुनीता मिरे को लड़का पैदा हुआ , जिसका वजन 3 किलो 400 ग्राम था, जबकि संस्कृति बंजारे ने शाम करीब 7:55 पर बेटी को जन्म दिया, जिसका वजन 3 किलो 100 ग्राम था। नियमानुसार बच्चे के पैदा होने के साथ ही उसे टैग लगाया जाता है। बताया जा रहा है कि अस्पताल के कर्मचारी खुशी और जल्दबाजी में बच्चा किसी और को सौंप बैठे। ऐसा शायद मितानिन के अति उत्साह के चलते भी हुआ हो। कई बार नर्सिंग स्टाफ बख्शीश पाने के लिए भी हड़बड़ी कर बैठते हैं। मुंगेली जिला अस्पताल प्रबंधन कह रहा है कि जिस वक्त बंजारे परिवार को नवजात सौंपा गया उस वक्त तो संस्कृति का प्रसव भी नहीं हुआ था।


इस गलती के बाद एक जांच कमेटी तय की गई है जो मामले की जांच करेगी। चिकित्सकों का मानना है कि जिला अस्पताल में एक ही ओटी की वजह से ही चूक हुई है। फिलहाल बच्चों की पहचान के लिए ब्लड ग्रुप जांचा गया है। बताया जा रहा है कि सुनीता मिरे और राजेंद्र मिरे का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है और नवजात बालक का ब्लड ग्रुप भी बी पॉजिटिव ही है।
संस्कृति बंजारे और किशन बंजारे ओ पॉजिटिव ब्लड ग्रुप के हैं । नवजात बालिका का भी ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव है। इस आधार पर बच्चों को सही माता-पिता को सौंपने का दावा किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि डीएनए टेस्ट के लिए पुलिस परमिशन की आवश्यकता होगी और इसमें लंबा वक्त लगेगा। तब तक दोनों ही परिवार संशय की स्थिति में रहेंगे।

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