भगवान परशुराम जयंती पर 22 अप्रैल को निकलेगी भव्य कलश एवं शोभायात्रा, सर्व हिंदू समाज को शामिल होने का किया गया आव्हान , तैयारियों को लेकर आयोजन समिति के सदस्यों ने की प्रेस क्लब में चर्चा

बिलासपुर। 22 अप्रैल को भगवान परशुराम की जयंती जोर शोर से मनाने की तैयारी की गई है। इस मौके पर ब्राह्मण समाज ने भव्य कलश और शोभायात्रा निकालने का निर्णय लिया है। भगवान परशुराम के जन्मदिन के दिन ही कलश यात्रा निकालकर पुरानी परंपरा को कायम रखने की कोशिश समाज के लोग कर रहे हैं। गुरुवार को बिलासपुर प्रेस क्लब पहुंचे पूर्व विधायक अरुण तिवारी,अमित तिवारी,मनोज तिवारी, सुजीत मिश्रा,श्रीधर शर्मा, विनय शुक्ला,गुड्डा पाण्डेय. मनोज शुक्ला. श्रेष्ठ पाठक नीरज राजा अवस्थी ने संयुक्त रूप से पत्रकारों से चर्चा करते हुए 22 अप्रैल को किए जाने वाले कार्यक्रम की जानकारी दी।

अरुण तिवारी ने बताया की शोभा यात्रा के माध्यम से समाज के विभिन्न लोगों तक पहुंचकर सबको एहसास दिलाया जाएगा कि वर्षों पुरानी उनकी परंपरा अभी भी बरकरार है।उन्होंने दुख जताया कि शहर में कुछ जगह पोस्टर टंगे हुए हैं जिनमें भगवान परशुराम जी की तस्वीर छोटी और नेता नुमा समाज के लोगों की तस्वीरें बड़ी हो गई है जो उचित नहीं है।उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल को निकाले जाने वाले कलश यात्रा और शोभायात्रा में वे सम्मिलित होंगे और सभी से इसमें शामिल होने की अपील भी करते हैं। अमित तिवारी ने बताया कि वर्षों पूर्व से प्रियनाथ तिवारी और रघुनाथ दुबे द्वारा शुरू की गई शोभा यात्रा को वर्तमान में भी उसी तरह बरकरार रखने की जरूरत है तारीख में बदलाव किया जाना उचित नहीं है। मनोज तिवारी ने बताया कि वर्षों पुरानी परंपरा पुराने हाईकोर्ट नॉर्मल स्कूल के पास स्थित शीतला मंदिर से अक्षय तृतीया के दिन ही शोभायात्रा निकालने की परंपरा रही है,इसलिए दूसरे दिन का सवाल ही नहीं उठता है। पुरानी परंपरा के अनुसार इस बार भी नॉर्मल स्कूल के शीतला माता मंदिर पुराना हाई कोर्ट से शाम 4:00 बजे से भव्य कलश यात्रा शोभायात्रा के रूप में निकालकर देवकीनंदन चौक में आरती पूजन के साथ इसका समापन किया जाएगा। श्रीधर शर्मा सदस्य धर्म सांसद ने कहा कि कर्मों के आधार पर सभी को चलना पड़ेगा उन्होंने सभी से आह्वान करते हुए कहा कि सभी एक होकर इस तरह के कार्यक्रमों में अपनी एकता का परिचय दें। विनय शुक्ला ने कहा कि उनका उद्देश्य समाज को बांटना नहीं है। वर्षों से चली आ रही परंपरा के तहत जन्म दिन के अवसर पर ही शोभायात्रा निकाला जाता रहा है। इसलिए उसी दिन कार्यक्रम किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पता नहीं क्या स्वार्थ है कि तारीख बदली गई उन्होंने यह भी कहा कि समाज किसी व्यक्ति से नहीं बल्कि सामूहिक रूप से चलता है। उन्होंने सभी से आग्रह किया की 22 तारीख की कलश यात्रा में वह भी शामिल हो और 23 तारीख की शोभायात्रा में हम लोग भी शामिल होंगे।

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