


रंग पर्व होली पर किसी ने हर्बल रंग, किसी ने अबीर गुलाल तो किसी ने ना छूटने वाले केमिकल रंग से गुलाल खेला। कुछ अति उत्साही लोग तो मोबिल ऑयल, पेंट, वार्निश से भी होली खेलते देखे गए, लेकिन विगत कुछ वर्षों की तरह इस बार भी समाज को नई दिशा देते और भारतीय प्राचीन परंपराओं का पालन करते हुए बिलासपुर गौ सेवा धाम में पंचगव्य से होली खेली गई। बिलासपुर के श्याम टॉकीज क्षेत्र में स्थित गौ सेवा धाम में प्रातः से ही बड़ी संख्या में गौ सेवक पहुंचे, जिन्होंने दूध, दही, घी, गोबर और गोमूत्र से निर्मित पंचगव्य से होली खेली। एक दूसरे पर पंचगव्य का छिड़काव करने के बाद सबने पंचगव्य से स्नान किया और गौ माता की आरती कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। गौ भक्तों ने कामना की कि गौ माता राष्ट्र की माता बने। गौमाता राष्ट्रमाता के नारे लगाए गए और प्रदेशवासियों की खुशहाली की कामना की गई।

गाय को कामधेनु माना जाता है । गाय से प्राप्त सभी वस्तुएं मानव के लिए अमृत समान है। पंचगव्य से स्नान करने मात्र से ही कई रोग जाते रहते हैं और दिव्यता प्राप्त होती है। गौ माता को मान सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाने के उद्देश्य के साथ बिलासपुर गौ सेवा धाम विगत कुछ वर्षों से होली पर्व पर पंचगव्य से होली मनाता रहा है। इस वर्ष भी इस परंपरा का पालन किया गया।

