बिलासपुर। गुरू घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) के माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने दिनांक 01 मार्च, 2023 को ‘11वीं मुबान चौमब्यूंग राजाभट विश्वविद्यालय थाईलैंड संगोष्ठी 2023’ में बीज वक्तव्य दिया। संगोष्ठी का विषय दि रिसर्च एंड इनोवेशन फॉर क्रिएटिव कम्यूनिटिज टूवर्ड्स सस्टेनेबल डेवेलपमेंट 2022 रहा। इस अवसर पर दोनों विश्वविद्यालयों ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
संगोष्ठी में बीज वक्तव्य देते हुए कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि एशियाई देशों की संस्कृति व ज्ञान पुरातन होने के साथ ही समृद्ध और मजबूत आधार पर स्थापित है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम में निर्धारित 17 सतत विकास लक्ष्यों को हम अपनी ज्ञान परंपरा एवं संस्कृति के उपयोग से प्राप्त कर सकते हैं। कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने 3 ‘सी’ क्रिएट, कनेक्ट एंड क्रिएटिविटी तथा 4 ‘आई’ इनजेन्यूटी, इनोवेशन, इमेजिनेशन और इंस्पायर के माध्यम से सतत् विकास के लक्ष्यों को हासिल करने का मंत्र प्रस्तुत किया।
कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने कहा कि पूरी दुनिया में भारतीय ज्ञान एवं बौद्धिकता का ढंका बज रहा है। फॉरच्यन फाइव हंर्डेड कंपनियों में भारतीय या भारतीय मूल के लोगों का दबदबा है। सिलिकॉन वैली में भारतीय ज्ञान का पूरी दुनिया लोहा मान रही है। यूनिकॉर्न स्टार्ट अप की फेहरिस्त में भी भारत का नाम प्रथम सूची में शामिल है।
सतत् विकास कार्यक्रम का चौथा लक्ष्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा है जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक क्रांतिकारी पहल है। जिसमें अनुभवजन्य शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार की चिंता और मूल्य आधारित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना शामिल है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सभी के लिए समानता, अभिगम, लचीलापन, शोध व अनुसंधान के लिए अवसर है। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में समाज के प्रति अपने दायित्वों के संपूर्ण निवार्हन के साथ राष्ट्र निर्माण के प्रति समर्पित युवाओं को तैयार किया जा रहा है।
कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने कहा कि भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा प्रारंभ किये गये स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से देश में स्वच्छता के प्रति गंभीर चेतना जागृत हुई है। यूएनडीपी के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारत अग्रणी राष्ट्र की भूमिका निभा रहा है।
कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने अंतरराष्ट्रीय पटल पर भारत की भूमिका की चर्चा करते हुए कहा कि सतत् विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दुनिया को भारत की ओर देखना चाहिए। भारत ने तुर्की में आए विनाशकारी भूंकप के दौरान सबसे पहले सहायता पहुंचाई एवं अस्थाई अस्पताल के निर्माण के साथ ही एनडीआरएफ के दस्ते को भी रवाना किया था। भारत सौर ऊर्जा, विंड एनर्जी, सोशल फारेस्ट्री, एग्रो फारेट्री, मिलेट (मोटा खाद्यान) के उपयोग पर जोर, कुपोषण मुक्त समाज, जलवायु परिवर्तन, कार्बन फुटप्रिंट में कमी, कार्बन क्रेडिट, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ ही वैश्विक शांति एवं सहयोग के लिए निरंतर प्रयासरत है।
दोनों संस्थानों के मध्य एमओयू पर हस्ताक्षर
गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय की ओर से माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल एवं डॉ. चैरित सिलाडेह, अध्यक्ष मुबान चौमब्यूंग राजाभट विश्वविद्यालय थाईलैंड ने अकादमिक एवं शोध सहयोग समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। इस एमओयू के माध्यम से दोनों संस्थान आपस में शोध एवं नवाचार के क्षेत्र में परस्पर सहयोग करेंगे।
सवाल-जवाब का चला सिलसिला
संगोष्ठी में थाईलैंड के प्रतिभागियों ने सवाल किया कि गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय सस्टेनेबल डेवेलपमेंट के क्षेत्र में क्या प्रयास किये जा रहे हैं। कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने इस सवाल के जवाब में बताया कि संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के द्वारा निर्धारित सभी 17 सतत् विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निरंतर सकारात्मक प्रयास कर रहा है।
विश्वविद्यालय ने गुरु घासीदास स्वाभिमान थाली (जीएसटी) का प्रारंभ किया है जिसमें दूरस्थ क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराना शामिल है। इसका उद्देश्य समाज सेवा, मानवता और सेवा भाव जगाना है।
विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा के साथ भी, शिक्षा के बाद भी की अवधारणा के साथ स्वावलंबी छत्तीसगढ़ योजना को प्रारंभ की गई है जिसके पोर्टल पर कंपनियों तथा विद्यार्थियों के पंजीयन कराया जा रहा है। इसमें विद्यार्थी अर्न वाइल लर्न का फायदा ले सकेंगे।
पर्यावरण को बेहतर बनाने एवं दुर्लभ प्रजाति के पौधों को बचाने के लिए बायोडायवर्सिटी पार्क की स्थापना के लिए भी कोशिशें जारी हैं। विश्वविद्यालय में हर्बल, औषधीय एवं वनस्पतिक उद्यान के निर्माण की प्रक्रिया भी जारी है। मशरूम के उत्पादन से हर्बल रंगों तक विश्वविद्यालय में निर्मित किये जा रहे हैँ।
विश्वविद्यालय में दो मेगावॉट सौर ऊर्जा केद्र बनाया जा रहा है जिससे स्वच्छ ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा मिलेगा।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के 17 सतत् विकास लक्ष्य
गरीबी की पूर्णतः समाप्ति, भुखमरी की समाप्ति, अच्छा स्वास्थ्य और जीवनस्तर, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, साफ पानी और स्वच्छता, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा, अच्छा काम और आर्थिक विकास, उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचा का विकास, असमानता में कमी, टिकाऊ शहरी और सामुदायिक विकास, जिम्मेदारी के साथ उपभोग और उत्पादन, जलवायु परिवर्तन, पानी में जीवन, भूमि पर जीवन, शांति और न्याय के लिए संस्थान और लक्ष्य प्राप्ति में सामूहिक साझेदारी। 2016 में लक्ष्यों का निर्धारण किया गया था जिन्हें 2030 तक हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।