यूनुस मेमन
रतनपुर,,,,,,,लोकतंत्र को मजबूत करने हेतु जनहित में तीन कानूनों की मांग को लेकर महापरिवर्तन जन आंदोलन की पदयात्रा जनतंत्र की धरती बिहार के वैशाली से 26 जनवरी को शुरू हुई जो आज रतनपुर पहुंच चुकी है। जिसका नेतृत्व छत्तीसगढ़ की बेटी प्रियंका मिश्रा कर रही हैं इनके साथ जय सिंह राजपूत, नवीन ठाकुर, सुरेश बाबू पचौरी साथ चल रहे हैं। इनकी तीन मांग है। पहला राइट टू रिजेक्ट के अधिकार को विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में लागू किया जाए जिससे कोई जनप्रतिनिधि अपने विधानसभा या संसदीय क्षेत्र में भ्रष्टाचार करता है या विकास कार्यों अपने वादों के अनुरूप पूरा नहीं करता है तो इस कानून के तहत जनता उसे वर्तमान पद से खारिज कर सकती है खारिज होने के उपरांत संवैधानिक रूप से सुनिश्चित कार्यकाल तक यह अपने पद पर तो रहेंगे लेकिन उनका वेतन, भत्ता और उन्हें अपने क्षेत्र के विकास हेतु मिलने वाले राशि से बंचित रहेंगे तथा उनके बदले क्षेत्र के सम्पूर्ण विकास की जिम्मेवारी क्रमशः विधानसभा या लोकसभा के अध्यक्ष की होगी। और जब कोई पुलिस या प्रशासनिक अधिकारी किसी व्यक्ति का राजनीति, आर्थिक या सामाजिक रूप से शोषण करते हुए भ्रष्टाचार करता है या कानून का दुरुपयोग करता पाया जाता है तो उसे इस कानून के तहत खारिज किया जा सकता है खारिज होने के उपरांत उनका वेतन और भता तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाएगा और उनके ऊपर अपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाएगा और उनके बदले किसी दूसरे अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। निराकरण इस कानून के लागू होने के उपरान्त सभी स्तर के जनप्रतिनधियों के आवास या कार्यालय के बाहर एक कार्य समीक्षा वोटिंग मशीन लगायी जाएगी और उसमें उस क्षेत्र के सभी मतदाताओं का डाटा रहेगा ताकि कोई भी मतदाता राईट टू रिजेक्ट के तहत अपने फिंगर प्रिंट से वोटिंग करके इस कानून के अंतर्गत भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों का अंत कर सके।
दूसरा नए कानून के बनने पर जनमत संग्रह का अधिकार जनता को मिलनी चाहिए जिससे किसी ऐसे कानून को रोकना जो हमारे आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक जीवन की स्वतंत्रता को सीमित करता हो या जिसके लागु हो जाने पर जनता का शोषण होने की आशंका हो ऐसी परिस्थिति में इस अधिकार के तहत हम अपना बचाव करते हुए गैरवाजिब कानून को खारिज कर सकते हैं। जिससे लोकतंत्र की कमान सीधे जनता के हाथों में रहेंगी।
तीसरा राईट टू प्रयोज अमेडमेंट कानून सुधार में सहभागिता का अधिकार,कोई भी कानून जिसके प्रति जनता संतुष्ट तो है लेकिन कुछ बिन्दुओं पर आपति रखती है और उसमे समाज के बुद्धिजीवियों की ओर से कुछ संशोधन करवाना चाहती है तो इस अधिकार के तहत यह संभव है. अगर किसी कारणवश राज्य या केंद्र सरकार जनता की तरफ से दिए गए सुझावों को नहीं मानती तो राईट टू रेफरेंडम के तह नया कानून लागू नहीं हो पाएगा अतः सरकार को पुनर्विचार करना ही होगा।यह पदयात्रा 9 राज्यों से गुजरते हुए लगभग 2000 किलोमीटर की पदयात्रा के उपरांत 28 अप्रैल को दिल्ली पहुंचेगी जहां से जन अधिकार के लिए अनिश्चितकालीन देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।,
पदयात्रियों ने बताया की कमोबेश सभी राज्यों के शासन और प्रशासन के लोग हमारी सुरक्षा आए व्यवस्था के प्रति उदासीन हैं।