बिलासपुर / प्रकृति का उपासक हिन्दू समाज वनांचल में रहने वाले अपने बंधु का कृतज्ञ है जिन्होंने तरु, मद, नीर और जीवों की पूजा के साथ मानवीय संवेदना को भी जीवंत रखा है। छत्तीसगढ़ राज्य को इस दृष्टि से सनातन मूल्यों के रक्षक के साथ सामाजिक समरसता का ध्वजवाहक भी कहा जा सकता है। जब देश के अंदर हिन्दू समाज के वैदिक और मान बिंदुओं को निशाने पर लिया जा रहा है, तब छत्तीसगढ़ की पावन धरती से संत समाज चारों दिशाओं में स्थित चार मातृ शक्ति पीठों से हिन्दू जागरण की अलख जगाने की पहल कर रहा है। सारा विश्व जानता है कि सनातन हिन्दू दर्शन वसु के साथ सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय और प्राणिमात्र के पू कल्याण का पक्षधर रहा है। कर्म की प्रधानता, सदाचारयुक्त जीवन और जाति पाती मुक्त एकजुट हिन्दू राष्ट्र सनातन का लक्ष्य रहा है। वंचित और उपेक्षित समाज के कल्याण की चिंता कर और उनको साथ लेकर संत समाज अपनी हिन्दू पहचान और सनातन परंपरा को जीवंत एवं जागृत बनाए रखना चाहता है।
ये विचार अखिल भारतीय संत समिति छत्तीसगढ़ द्वारा प्रस्तावित हिन्दू स्वाभिमान जागरण संत पदयात्रा के विषय में आयोजित बिलासपुर प्रेस क्लब में आयोजित वार्ता में यात्रा के संयोजक पूज्य स्वामी सर्वेश्वर दास जी महाराज ने व्यक्त किए। पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता और हिन्दू जागरण के निमित्त होने वाली संतों की इस पदयात्रा का शुभारंभ महाशिवरात्रि पर 18 फरवरी को छत्तीसगढ़ राज्य के चार दिशाओं में स्थित चार मातृ शक्तिपीठों से होगी और पूरे एक माह चलने वाली इस पदयात्रा का समापन 19 मार्च को रायपुर में एक विशाल हिन्दू जागरण समारोह के रूप में होगा।संत पदयात्रा के विषय में विस्तार से बताते हुए स्वामी सर्वेश्वर दास जी महाराज ने बताया कि संत समाज छत्तीसगढ़ राज्य के चार पवित्र मातृ सिद्धपीठों से इन पात्राओं का श्रीगणेश करेगा। प्रमुख शक्तिपीठों से होते हुए पदयात्रा गिरि कंदराओं और झुग्गी बस्तियों के बंधु बांधवों के घर घर और जन जन से जुड़ेगी। हिन्दू समाज के अंग अपनों के संग सनातन धर्म की चर्चा वाली संगत और उनके साथ सहभोज की पंगत सजेगी। सर्व समाज से जुड़े सभी प्रमुखों और प्रधानों को साथ लेकर हिन्दू समाज को जागृत करने का काम करेंगे। जाति पाति भाषापंथ एवं राजनीतिक विचारधारा की संकीर्णता को त्यागकर सनातन पहचान को एक स्वर में एकाकार करने का आह्वान किया जाएगा। देश में आज एक और सनातन धर्म को चोट पहुंचाने के षडयंत्र चल रहे हैं तो दूसरी और जनसंख्या का बढ़ता असंतुलन, धर्मातरण, तस्करी, लव जिहाद और भूमि जिहाद जैसी विकट समस्याएं देश के समझ बड़ी चुनौती बनकर खड़ी है। आज सबसे बड़ी आवश्यकता है हिन्दू समाज के विषमता भाव को कम कर समरसता एवं एकजुटता कायम करने की इस नेक कार्य के माध्यम और मार्गदर्शक दोनों रूपों में पूज्य संत अपनी प्रभावी भूमिका में हैं। संत इस पदयात्रा के माध्यम से वनांचत क्षेत्र से लेकर मालिन बस्तियों तक स्वयं पहुंचकर सनातन मूल्यों और हिंदुत्व की रखा का संकल्प तो दिलाएंगे ही, वे सत्संग और सहभोज के माध्यम से आदर्श और अनुकरणीय प्रेरणा भी देंगे।