आकाश दत्त मिश्रा

सोमवार सुबह धूमा मोड़ पर आसपास के नागरिकों ने अपने जनप्रतिनिधियों के साथ चक्का जाम कर दिया। बाईपास रोड पर चक्का जाम होने से यहां आवाजाही प्रभावित हुई। जानकारी मिलते ही पुलिस और तहसीलदार अतुल वैष्णव भी मौके पर पहुंच गए। धूमा से मानिकपुर जाने वाली सड़क बेहद जर्जर है और इसकी चौड़ाई भी आनुपातिक रूप से बेहद कम है, लेकिन इसी क्षेत्र में कई फैक्ट्री खुल जाने से यहां से दिन- रात भारी वाहन गुजर रहे हैं। इससे एक तरफ जहां लगातार दुर्घटनाएं हो रही है,तो वही दिन भर सड़क पर उड़ते धूल से हो रहे प्रदूषण के चलते लोग बीमार पड़ रहे हैं । धूल और प्रदूषण का दुष्प्रभाव फसलों पर भी पड़ रहा है, जिससे तंग आकर स्थानीय नागरिकों ने यहां अपनी मांग मनवाने चक्का जाम कर दिया।

क्यो है ग्रामीण नाराज ?


हाथों में रोड नहीं- तो वोट नहीं की तख्तियां लेकर लोगों ने अपने गुस्से का इजहार किया। विरोध प्रदर्शन कर रहे नागरिकों का कहना है कि या तो इस सड़क का चौड़ीकरण किया जाए या फिर भारी वाहनों का प्रवेश निषेध किया जाए ।
धूमा से मानिकपुर जाने वाली सड़क गांव की सड़क होने के कारण सामान्य तौर पर कम चौड़ी है और बरसों से इसकी मरम्मत तक नहीं हुई, जिस कारण से सड़क पूरी तरह से उखड़ चुकी है। इस पर भारी वाहनों की आवाजाही ने हालात और बदतर कर दी है, जिसे लेकर स्थानीय नागरिकों का आक्रोशित होना वाजिब है।

आश्वासन के बाद खत्म हुआ चक्का जाम

मौके पर पहुंचे तहसीलदार और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों ने नागरिकों को शांत करते हुए जल्द ही सड़क का मरम्मत आरंभ करने और भारी वाहनों की आवाजाही बंद करने के लिए बेरिकेडिंग करने का आश्वासन दिया, जिसके बाद चक्का जाम समाप्त हुआ। हालांकि चक्का जाम करने वाले जनप्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि अगर उनकी मांग समय सीमा पर पूरी नहीं हुई तो इससे भी उग्र आंदोलन किया जाएगा। इस चक्का जाम में धूमा, सिलपहरी, नयापारा , महमंद, लाल खदान और सिरगिट्टी क्षेत्र के ग्रामीण बड़ी संख्या में मौजूद रहे। सुबह 8:00 बजे से आरंभ चक्का जाम दोपहर करीब 12:00 बजे जाकर समाप्त हुआ।

इस आंदोलन के पीछे कहीं उसी चर्चित भू माफिया का तो नहीं है हाथ ?

इस पूरे मामले का एक दूसरा पहलू भी है। इसी क्षेत्र में शहर के एक भूमाफिया ने बड़ी जमीन खरीद रखी है। उसका इरादा यहां इंटरनेशनल स्कूल खोलने का है लेकिन सड़क सकरी और जर्जर होने के चलते उसके मंसूबे पूरे नहीं हो रहे, जिसके द्वारा पिछले सात-आठ सालों से लगातार यह प्रयास किया जा रहा है कि यह सड़क किसी तरह से बन जाए तो उसकी जमीन की कीमत आसमान छूने लगे और वह एक बड़ा स्कूल बनाकर खूब मुनाफा कमा सके। बताते हैं, इसके लिए उसने कुछ जनप्रतिनिधियों और लोगों को भी अपने पाले में कर लिया है। सूत्रों के अनुसार उसने पैसे देकर इससे पहले भी कई मर्तबा इस तरह के आंदोलन करवाए हैं, इसलिए जांच का विषय है कि कहीं इस आंदोलन के पीछे भी उसकी भूमिका तो नहीं है ? क्योंकि पहले ही स्थानीय विधायक डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी यह आशंका जता चुके हैं कि अगर गांव के भीतर की सड़क चौड़ी और बढ़िया हो जाएगी तो यहां से भारी वाहन फर्राटा भरेंगे, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका लगातार बढ़ेगी । गांव की सुरक्षा के लिए कम चौड़ी सड़क की उन्होंने वकालत की थी। इस पहलू पर भी ध्यान देना आवश्यक है।

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