आलोक मित्तल
सत्य के लिए अहिंसक लड़ाई लड़ना ना पहले कभी आसान था और ना आज है। प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी के लिए बरसों से संघर्षरत बिलासपुर के महात्मा गांधी के रूप में अपनी पहचान रखने वाले संजय आयल सिंघानी को जहां व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है तो वही शराब माफिया और गुंडे बदमाशों की नजर में वे किरकिरी बन चुके हैं।
पिछले 5 दिनों से भूख हड़ताल कर रहे कृष काय संजय सिंघानी पर अचानक असामाजिक तत्वों ने जानलेवा हमला कर दिया। 5 दिनों से भूखे- प्यासे संजय पर बेल्ट, लात, घूंसे बरसाए गए। पिछले 5 दिनों से अपनी चीता सजाकर उस पर बैठकर आमरण अनशन कर रहे संजय सिंघानी की मांग है कि 2 दिसंबर तक प्रशासन या तो शराब दुकान हटा दें नहीं तो उनकी चिता पर आग लगा दे।
क्या है पूरा मामला
बिलासपुर नगर निगम के सरकंडा क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 63 और 65 अरविंद नगर बंधवा पारा में शराब दुकान संचालित है। जिस जगह पर शराब दुकान है वहां से 50 मीटर के दायरे में स्कूल है और वही पूरा रिहाइश इलाका भी है। शराब दुकान के कारण आसपास चखना दुकान लगे हुए हैं और दिन भर यहां शराबियों और असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है, जिस वजह से यहां आए दिन मारपीट, चाकूबाजी, छेड़खानी और तमाम तरह के अपराध होते रहते हैं।
क्षेत्रीय लोगों ने कई मर्तबा शराब दुकान हटाने की मांग कलेक्टर से की। दिन भर शराब बिक्री के बाद यहां रात में अवैध तरीके से शराब उपलब्ध कराया जाता है। इसलिए रात भर यहां असामाजिक तत्वों की आवाजाही बनी रहती है। रात में शराब बेचे जाने का सीसीटीवी फुटेज भी कलेक्टर को दिया गया था लेकिन फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।
शराबबंदी की मांग को लेकर संजय पहले भी कर चुके हैं कई आंदोलन
स्थानीय लोगों के साथ तमाम सामाजिक कार्यकर्ता भी इस आंदोलन का हिस्सा बन चुके हैं। इससे पहले भी राज्य में शराबबंदी की मांग को लेकर संजय सिंघानी बिलासपुर से दिल्ली तक 1026 किलोमीटर की पदयात्रा कर चुके हैं। शराबबंदी को लेकर उनका सत्याग्रह प्रसिद्ध है। खास बात यह है कि गांधीवादी संजय सिंघानी स्वयं भी गांधी की वेशभूषा में रहते हैं। उन्होंने नेहरू चौक में भी इसी मार्ग पर 3 महीने तक धरना दिया था। वे गांधी प्रतिमा के पास भी आंदोलन में बैठ गए थे और इस बार उन्होंने अपनी ही चिता सजा ली है।
ऐसे हुआ हमला
आंदोलन के छठे दिन संजय सिंघानी सुबह करीब 9:30 बजे धूप सेंक रहे थे। उसी वक्त मोटरसाइकिल पर एक युवक पहुंचा और संजय से पूछा कि वह आंदोलन क्यों कर रहा है। संजय ने गांधीवादी तरीके से कहा कि अगर लोग शराब पीना बंद कर दे तो उन्हें आंदोलन की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। इतना सुनते ही युवक ने अपना बेल्ट उतार लिया और संजय सिंघानी की पिटाई शुरू कर दी। वहीं पास में एक सिपाही बैठा था। युवक को पिटाई करते देख महिलाएं दौड़ कर आयी और बीच-बचाव किया। इसी दौरान हमला करने वाले युवक की लोगों ने पिटाई शुरू कर दी। पुलिस उसे बचाकर पास के एज दुकान में ले गयी। बाद में उसे सरकंडा थाने ले जाया गया।
इस आंदोलन को संजय के अलावा आम आदमी पार्टी और कई अन्य संगठनों का भी समर्थन
एक तरफ बुधवार को उनकी तबीयत बिगड़ गई थी जिस वक्त उनको तुरंत इलाज की आवश्यकता थी, उस वक्त क्षेत्र के असामाजिक तत्वों ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया। हालांकि मोहल्ले के लोगों, नारी शक्ति अभियान का उन्हें पूरा समर्थन मिल रहा है। संजय सिंघानी पर हुए हमले के बाद मौके पर पुलिस पहुंची और खानापूर्ति की कार्रवाई शुरू कर दी। वैसे भी संजय सिंघानी के अल्टीमेटम का एक ही दिन शेष है। पुलिस और प्रशासन की पूरी कोशिश है कि इससे पहले ही उनकी हड़ताल खत्म कराई जाए, लेकिन शरीर से कमजोर, मगर इरादों से बेहद मजबूत संजय सिंघानी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। चिता पर लेटे इस गांधी के सत्याग्रह का असर सरकार पर पड़ता है या नहीं यह देखने वाली बात है, मगर फिलहाल उन पर हुए हमले के पीछे कौन से तत्व हैं, इसकी पड़ताल भी जरूरी है।