

बिलासपुर में प्रियंका मर्डर केस की तुलना दिल्ली के श्रद्धा मर्डर केस से की जा रही है। भिलाई सेक्टर 7 में रहने वाली 24 वर्षीय प्रियंका सिंह बिलासपुर क्षेत्र के टिकरापारा मन्नू चौक के पास गर्ल्स हॉस्टल में रहकर पीएससी की तैयारी कर रही थी। उसके पिता बैंक में मैनेजर है। परिवार साधन संपन्न है, लेकिन बेटी की पीएससी तैयारी से अधिक दिलचस्पी पैसे कमाने में थी। इसलिए वह आशीष साहू जैसे इंसान के चक्कर में फस गई।

बिलासपुर के दयालबंद में सिटी फार्मेसी के नाम से कस्तूरबा नगर निवासी आशीष साहू अपना मेडिकल स्टोर चलाता था, लेकिन उसका मेडिकल स्टोर कामयाब नहीं था, लिहाजा वह शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने लगा। प्रियंका सिंह जिस गली में पढ़ने जाती थी वहां सड़क सकरी होने की वजह से वह अक्सर अपनी स्कूटी आशीष साहू के दुकान के बाहर खड़ा कर देती और अपनी चाबी उसकी दुकान पर छोड़ देती। जिस वजह से धीरे-धीरे प्रियंका और आशीष साहू की नजदीकियां बढ़ी। इस दौरान प्रियंका सिंह को पता चला कि आशीष साहू शेयर बाजार का काम करता है। इसी वर्ष मई में प्रियंका ने आशीष के माध्यम से एक लाख रुपए शेयर बाजार में निवेश किया तो उसे 46 हज़ार का मुनाफा मिला। जिससे उसकी लालच बढ़ती चली गई और उसने जान पहचान वालों से उधार लेकर 12 लाख रुपये रुपए इन्वेस्ट कर दिए। इसकी जानकारी प्रियंका के परिवार को भी थी । बताया जा रहा है कि प्रियंका के भाई और बॉयफ्रेंड ने भी आशीष साहू की मदद से शेयर बाजार में इन्वेस्ट किया था। लेकिन पिछले कुछ समय से शेयर बाजार में नुकसान होने के चलते आशीष साहू और प्रियंका के बीच बार-बार विवाद होने लगा था। पुलिस को पता चला है कि आशीष साहू और प्रियंका के खातों में 19 लाख रुपए का ट्रांजैक्शन हुआ है। बावजूद घाटे के प्रियंका 40% मुनाफे के साथ कुल 17 लाख रुपए की मांग आशीष से कर रही थी लेकिन आशीष साहू इसे देने की स्थिति में नहीं था।

शिव पार्वती हॉस्टल में रहने वाली प्रियंका 15 नवंबर की दोपहर करीब 1:30 बजे एक बार फिर आशीष साहू की एजेंसी पहुंची और अपना पैसा मांगने लगी। दुकान के बाहर शोर मचाने पर आशीष साहू उसे दुकान के भीतर ले गया और शटर गिरा कर धीरे बात करने की बात कही लेकिन प्रियंका चिल्लाती रही। आशीष साहू का कहना है कि प्रियंका की हत्या करने का उसका कोई इरादा नहीं था लेकिन अचानक परिस्थितियां ऐसी बन गई जो उसकी खुद समझ में नहीं आयी। पहले तो उसने प्रियंका की आवाज दबाने उसके मुंह में दुकान में मौजूद रूई ठूंस दिया और फिर भी जब वह नहीं मानी तो उसका गला दबा दिया। प्रियंका का जिस्म शांत हो गया तो आशीष साहू के होश उड़ गए। उसने प्रियंका की लाश को अपने ही दुकान में फ्रिज के पीछे छुपा दिया।
15 नवंबर को प्रियंका के अचानक गायब हो जाने के बाद उसके परिजन परेशान होने लगे। सहेलियों से भी कुछ पता नहीं चला तो प्रियंका का भाई हिमांशु सिंह 16 तारीख को बिलासपुर पहुंचा। दिलचस्प बात यह है कि कोतवाली थाने में जब हिमांशु , प्रियंका की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने गया तो उसके साथ उसका कातिल आशीष साहू भी था। सीसीटीवी में प्रियंका आशीष साहू की एजेंसी में जाती नजर आई। पुलिस को शुरू से ही आशीष पर शक था लेकिन वह पुलिस को बरगलाने में कामयाब रहा। यहां तक कि कोतवाली पुलिस की टीम जब आशीष साहू के एजेंसी गई थी, उस वक्त वहां प्रियंका की लाश फ्रिज के पीछे पड़ी थी। बताया जा रहा है कि उस वक्त एजेंसी में बदबू भी महसूस की गई तो आशीष ने बताया कि दुकान में चूहे मर गए हैं , इसलिए बदबू आ रही है । बदबू छुपाने वह लगातार रूम फ्रेशनर और अगरबत्तियों का इस्तेमाल करता रहा। लेकिन उसे पता चल गया कि अधिक दिन तक ऐसा करना संभव नहीं इसलिए उसने लाश को ठिकाने लगाने की योजना बनाई । आशीष साहू प्रियंका की लाश को कहीं सुनसान में ले जाकर जला देना चाहता था ।शनिवार तड़के करीब 4:00 बजे वह अपनी कार लेकर एजेंसी पहुंचा, जहां उसने प्रियंका सिंह की 4 दिन पुरानी लाश को चादर में लपेटा और उसे अपनी कार की पिछली सीट पर रखकर कस्तूरबा नगर स्थित अपने बाड़ी में ले गया। पता चला कि आशीष साहू शनिवार रात को प्रियंका सिंह की लाश को जलाकर ठिकाने लगाने की योजना बना चुका था लेकिन वह ऐसा कर पाता इससे पहले ही पकड़ा गया। 4 दिन पुरानी लाश को उसने कार में रखकर मोहल्ले में छोड़ दिया, जिससे उठती बदबू ने उसका राज फास कर दिया। पता चला है कि सबूत छुपाने के लिए आशीष साहू ने प्रियंका का मोबाइल तारबाहर अंडर ब्रिज के पास नाली में फेंक दिया था, पुलिस ने उसे भी बरामद कर लिया है । कस्तूरबा नगर निवासी आशीष साहू ने चौकसे कॉलेज से फार्मेसी किया है जिसके बाद उसने दयालबंद में सिटी फार्मेसी के नाम से मेडिकल स्टोर खोला था। वही साल 2020 में उसकी शादी हो गई थी । शुरू में कहा जा रहा था कि प्रियंका और आशीष साहू के बीच प्रेम संबंध है लेकिन अब पता चला है कि प्रियंका और उसके बीच केवल व्यापारिक संबंध थे। प्रियंका का बॉयफ्रेंड कोई और है। इस घटना की जानकारी होने पर बॉयफ्रेंड खुद बिलासपुर पहुंचा था। वही यह भी बताया जा रहा है कि प्रियंका के बॉयफ्रेंड ने भी आशीष साहू की मदद से शेयर बाजार में 3 लाख रुपये निवेश किए थे।
प्रियंका होनहार विद्यार्थी थी इसीलिए वह पीएससी की तैयारी कर रही थी। बताते हैं कि प्रियंका सबकी खूब मदद भी करती थी। अपने उदार स्वभाव के लिए प्रियंका सहेलियों के बीच भी लोकप्रिय थी । पंजाबी कॉलोनी में टुटेजा ट्यूटोरियल्स में पढ़ाई करने के दौरान प्रियंका अपनी गाड़ी सिटी फार्मेसी मेडिकल स्टोर के सामने खड़ा करती थी, जिस वजह से उसकी आशीष से दोस्ती हुई थी। प्रियंका होशियार होने के बावजूद यह नहीं समझ पाई कि शेयर बाजार में केवल मुनाफा नहीं होता। कभी-कभी घाटा भी होता है। लेकिन उसने नासमझी दिखाते हुए घाटे के बावजूद पहले की ही तरह 40% लाभांश के साथ पैसा देने की जिद जारी रखी। इतना ही नहीं, वह अकेले ही आशीष के एजेंसी में जाकर वसूली करने का दुस्साहस कर बैठी, जो उसकी मौत की वजह बनी।

रविवार को प्रियंका का पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंपा गया है। वही पुलिस मर्डर सीन रीक्रिएट करने आशीष साहू को लेकर दयालबंद उसके सिटी फार्मेसी पहुंची। वैसे दिल दहला देने वाली इस घटना से बहुत कुछ सबक लिया जा सकता है। इस मामले का दिलचस्प पहलू यह है कि प्रियंका की हत्या करने के बाद शातिर आशीष साहू उसके भाई और बॉयफ्रेंड के साथ थाने रिपोर्ट लिखाने जाता रहा। प्रियंका को ढूंढने में उनकी मदद करता रहा। बार-बार पुलिस की पूछताछ में भी पुलिस को गुमराह करता रहा। लेकिन पुलिस को उस पर शक होने लगा था। घटना के बाद से उसकी दुकान बंद थी। उसके दुकान से से बदबू भी महसूस की गई थी । सीसीटीवी फुटेज में प्रियंका आखरी बार उसके एजेंसी में जाती दिखी थी। इकबालिया बयान के बाद जब पुलिस ने सीसीटीवी देखी तो शनिवार तड़के आशीष साहू लाश को ठिकाने लगाता भी नजर आ गया।
जिस तरह आफताब ने श्रद्धा की लाश को ठिकाने लगाया मौका, मिलता तो आशीष साहू भी वैसा ही कुछ कर गुजरता, लेकिन इस मामले में बिलासपुर पुलिस पहले पहुंच गई।
