
आकाश दत्त मिश्रा

छत्तीसगढ़ में बढ़ते धर्मांतरण के आरोपों के बीच बिलासपुर के नॉर्थ ईस्ट स्टेट मैदान में 17 और 18 नवंबर को होने वाले प्रार्थना महोत्सव को 14 साल विरोध के बाद निरस्त कर दिया गया है। पिछले कुछ दिनों से इस कार्यक्रम के लिए किए जा रहे प्रचार के दौरान पोस्टर में आयोजक मसीही मंदिर प्रोफेटिक चर्च का उल्लेख कर रहे थे। एक साथ मंदिर और चर्च के उल्लेख के बाद हिंदू संगठनों ने आपत्ति जताई थी। उनका कहना था इस तरह का कोई मंदिर सनातन धर्म में नहीं होता और अगर मंदिर है तो चर्च नहीं हो सकता, अगर चर्चे तो मंदिर नहीं। बताया जा रहा था कि इस आयोजन में पंजाब के पास्टर अमृत संधू अपनी बात रखने आने वाले थे। इसे धर्म प्रचार के माध्यम से धर्म परिवर्तन का षड्यंत्र बताते हुए हिंदू संगठन लगातार विरोध कर रहे थे।

इसी मुद्दे पर रेलवे के अधिकारियों से भी हिंदू संगठनों ने चर्चा की, जिन्होंने बिना पुख्ता अनुमति के आयोजन स्थल नहीं देने पर अपनी सहमति जताई थी। जिसके बाद अलग-अलग संगठनों के लोगों ने मंथन सभा कक्ष में इसे लेकर अहम बैठक की और इस आयोजन का विरोध करने का निर्णय लिया गया। ईसाई प्रार्थना सभा के साथ मंदिर शब्द के उल्लेख पर आपत्ति जताते हुए इसे भोले भाले हिंदुओं के साथ छलावा करार दिया गया। चौतरफा विरोध के बाद इस प्रार्थना सभा को निरस्त कर दिया गया है। इसके पीछे मुख्य वजह यह है कि हिंदू संगठनों के विरोध के बाद रेलवे ने भी इस कार्यक्रम के लिए अपना मैदान और हॉल देने से मना कर दिया है।

इस बारे में पोस्टर आशीष साइमन ने सूचना जारी करते हुए कहा कि तमाम विरोध की वजह से फिलहाल प्रार्थना महोत्सव का आयोजन स्थगित किया जा रहा है, जिसे आगामी दिनों में वापस किया जाएगा। तो वही हिंदू संगठनों ने कहा है कि ईसाई अपने धर्म के पालन के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है लेकिन धर्म प्रचार के नाम पर प्रलोभन या छलावे से धर्म परिवर्तन की अनुमति किसी को भी नहीं दी जाएगी।
