
आकाश दत्त मिश्रा

एक तरफ लोग दुर्गा, काली लक्ष्मी सरस्वती के रूप में मातृ शक्ति की उपासना कर रहे हैं और उसी वक्त जीवित मातृशक्ति को दर-दर भटकने के लिए मजबूर किया जा रहा है। ऐसे समय में चिल्फी चौकी पुलिस की संवेदनशीलता उभर कर आईज़ जिसकी हर ओर सराहना हो रही है ।
चिल्फी चौकी प्रभारी सुशील बंछोड को सूचना मिली कि बस स्टॉप के पास एक भूखी, प्यासी बीमार महिला अपने तीन छोटे-छोटे मासूम बच्चों के साथ सड़क पर इधर-उधर भटक रही है। उसे शायद कहीं जाना है लेकिन गंतव्य तक जाने के लिए कोई सहयोग और मार्गदर्शन नहीं मिलने से वह व्याकुल और परेशान है। किसी अनहोनी की आशंका से आसपास के लोगों ने इसकी सूचना चिल्फी पुलिस को देने के साथ महिला एवं उसके बच्चों अपने साथ लाकर चिल्फी चौकी के सुपुर्द किया।
बातचीत में इतना तो स्पष्ट हुआ कि महिला दिमागी रूप से पूरी तरह स्वस्थ नहीं है, लेकिन जब चिल्फी थाना प्रभारी ने सहानुभूति पूर्वक किसी अभिभावक की तरह उससे पूछताछ की तो उसने अपना नाम सहेबिन बायी बताया। 35 वर्षीय साहेबीन बाई सीपथ क्षेत्र के गांव मुड़पार की रहने वाली थी। उसके साथ मौजूद तीनों बच्चे उसी के थे। 6 वर्षीय बेटे का नाम किशन, 4 वर्षीय बेटी काजल और एक नवजात बेटे शिवकुमार जो केवल 3 महीने का ही था, उसके साथ महिला आखिर चिल्फी क्षेत्र में क्यों भटक रही थी, जब इसकी जानकारी पुलिस को हुई तो उनकी भी आंखें नम हो गई।
पुलिस द्वारा सबसे पहले तो इन तीनों के लिए भोजन की व्यवस्था कराई गई। चौकी प्रभारी के मानवीय व्यवहार से द्रवित होकर महिला ने धीरे-धीरे अपनी पूरी व्यथा कथा कह सुनाई ।

उसने बताया कि उसका मायका पंडरिया जिला कबीरधाम के ग्राम छोटे झिरिया में है । पहले तो उसके पति और ससुराल वालों ने उसे प्रताड़ित कर घर से निकाल दिया, जिसके बाद उसने अपने मायके में आसरा ढूंढा, लेकिन जब समय बुरा आता है तो कोई भी साथ नहीं देता। इस महिला के साथ भी वही हुआ। मायके में भी उसे दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा । मायके वालों ने भी इंसानियत को तार-तार करते हुए आगा पीछा सोचे बगैर तीन मासूम बच्चों के साथ महिला को अपने घर से निकाल दिया ।
कोई आसरा ना होने पर सहेबिन बाई एक बार फिर अपने पति के पास ग्राम मुड़पार सीपत जाना चाहती थी, लेकिन ना तो पास में पैसे थे और ना ही कोई सही जानकारी। इसलिए वह पैदल ही सीपत जाने निकल पड़ी थी।
इतनी प्रताड़ना और दुख सहने के बाद उसका दिमाग भी अब ठीक से काम नहीं कर रहा था जिस कारण वो कोई निर्णय नहीं ले पा रही थी । महिला का हाल जानने के बाद तुरंत थाना प्रभारी सुशील बंछोड ने सीपत थाना प्रभारी से संपर्क किया, जहां महिला के पति संतोष डहरिया की जानकारी ली गई । महिला की जानकारी सही निकली जिसके बाद पुलिस ने उसके परिजनों को इसकी जानकारी देते हुए भटके हुए परिवार को मिलाने की कोशिश शुरू कर दी। चिल्फी थाना प्रभारी सुशील बंछोड ने अपने आला अधिकारियों के साथ एसपी चंद्रमोहन सिंह को भी पूरे मामले से अवगत कराया, जिन्होंने भी मानवीय पहलुओं को दृष्टिगत रखते हुए सबसे पहले महिला और उसके बच्चों के लिए व्यवस्था करने और उन्हें सखी सेंटर पहुंचाने का मार्गदर्शन दिया। फिलहाल महिला और उनके बच्चों को सम्मान सुरक्षित रखने के लिए सखी वन स्टॉप सेंटर मुंगेली भेजा गया है, जहां उनके परिजनों के पहुंचते हैं उन्हें उनके सुपुर्द किया जाएगा।
आमतौर पर पुलिस की रौद्र छवि ही प्रचलित है। पुलिस के इस मानवीय उजले पक्ष से अक्सर लोगों अनभिज्ञ ही रह जाते हैं लेकिन कभी कभी ही सही ऐसी घटनाओं से उजागर होता है कि खाकी वर्दी के पीछे भी एक नरम दिल इंसान हो सकता है।
इस पूरी कार्यवाही में एक तरफ जहां चिल्फी चौकी प्रभारी और स्टाफ की महत्वपूर्ण भूमिका रही वहीं मुंगेली जिले के पुलिस कप्तान एवं अन्य आला पुलिस अधिकारियों ने भी पूरी संवेदनशीलता दर्शाते हुए अपना मानवीय पक्ष प्रस्तुत किया।
