अवैध धर्मांतरण रोकने पर उल्टे ठाकुर राम सिंह पर एफआईआर होने से फूटा हिंदू समाज का गुस्सा, सब ने कहा- मैं भी राम सिंह, मुझे भी करो गिरफ्तार

धर्मांतरण के खिलाफ हिंदू शेरनियों का भी फूटा गुस्सा
हर बार की तरह बिंदु सिंह ने भाइयों का निभाया साथ

यह तो सबको पता है कि अवैध रूप से धर्मांतरण करना संविधान के अनुसार अपराध है, लेकिन बिलासपुर के लोग यह जानकर हैरान रह गए की धर्मांतरण रोकना भी अब अपराध बन चुका है। करीब एक महीने पहले 20 मार्च को राजेंद्र नगर चौक में अवैध धर्मांतरण के नाम पर प्रार्थना सभा के आयोजन की खबर पाकर हिंदू संगठनों ने पुलिस को सूचित किया था। मौके के प्रमाण पेश किए गए। पुलिस ने रेड किया और कुछ लोगों को पकड़ कर भी थाने ले आई , जिन पर धर्मांतरण का आरोप लगा। लेकिन एक के बाद एक धर्मांतरण के मामले उजागर कर रहे ठाकुर राम सिंह ईसाई मिशनरियों के निशाने पर आ गए। पन्नालाल नाम के एक व्यक्ति ने तो बाकायदा सोशल मीडिया पर उन्हें धमकी दी और कहा कि वह हाई कोर्ट तक मामला ले जाएगा, जहां तक पहुंचना ठाकुर राम सिंह की हैसियत भी नहीं है।

बच्चे भी आये समर्थन में

इसका असर भी दिखा। अचानक सिविल लाइन पुलिस ने करीब 1 महीने बाद ठाकुर राम सिंह पर ही मामला दर्ज कर लिया। उन पर गाली गलौज करने, धमकी देने का आरोप लगाया गया। गजब बात यह है कि उसे दौरान सर्व हिंदू समाज के अन्य कई लोग भी थे लेकिन निशाना केवल ठाकुर राम सिंह को बनाया गया क्योंकि उन्होंने अवैध धर्मांतरण के खिलाफ जंग छेड़ रखा है, जिससे ईसाई मिशनरी डरे हुए हैं और वह ठाकुर राम सिंह का हौसला तोड़ना चाहते हैं लेकिन हुआ इसका उल्टा ठाकुर राम सिंह के खिलाफ झूठा मामला दर्ज किए जाने से आक्रोशित सर्व हिंदू समाज के लोग बड़ी संख्या में बुधवार को सिविल लाइन थाने पहुंच गए। सब ने खुद को ठाकुर राम सिंह बताकर गिरफ्तार करने की पेशकश की, जिससे पुलिस के भी होश उड़ गए। क्या बच्चे, क्या जवान , क्या महिलाएं सबके हाथों में मैं भी ठाकुर राम सिंह और मुझे इंसाफ चाहिए के पोस्टर थे।

हिंदू संगठनों ने कहा कि जब धर्मांतरण की शिकायत की जाती है तो पुलिस जांच की बात कहती है लेकिन ईसाई मिशनरी के इशारे पर अपराध का भंडाफोड़ करने वाले को ही अपराधी बनाया जा रहा है। पुलिस ने जवाब में कहा कि एफआईआर होना और आरोप लगना अपराध सिद्ध नहीं करता तो फिर हिंदू संगठनो ने पलटवार करते हुए पूछा कि जब धर्मांतरण करने वालों पर आरोप लगाया जाता है तो पुलिस उनके खिलाफ एफआईआर करने में इतनी तत्परता क्यों नहीं दिखाती ?

मिला सबका साथ

इनका तो यह भी आरोप है कि पहलगाम की घटना के विरोध में हिंदुओं ने मुस्लिम बाहुल्य वाले तालापारा से आक्रोश रैली निकालनी चाही, लेकिन प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी। इसके बावजूद ठाकुर राम सिंह के नेतृत्व में यह रैली निकाली गई, जिससे प्रशासन ठाकुर राम सिंह से नाराज हो गए और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया गया। इससे कुछ समय पहले धर्मांतरण का विरोध करने गए ठाकुर राम सिंह के साथ कोनी टीआई ने भी बदसलूकी की थी। इसके बाद उनका ट्रांसफर हो गया। अब ठाकुर राम सिंह को ही सिविल लाइन पुलिस ने अपराधी बना दिया, जिससे हिंदू संगठनों का गुस्सा फूट पड़ा।
एक बार फिर हिंदुओं ने दर्शा दिया कि वे बिखरे हुए नहीं है। किसी सनातनी पर आंच आएगी तो वे पुरजोर विरोध भी करेंगे। यहां जुटे लोग जानना चाहते थे कि ट्रिपल इंजन की सरकार होने के बावजूद वह कौन नेता और अधिकारी हैं जिन्हें धर्मांतरण रोके जाने से तकलीफ है ? लेकिन किसी के पास कोई जवाब नहीं था।

ठाकुर राम सिंह ने साफ़ कहा कि वह जमानत नहीं लेंगे और अपनी गिरफ्तारी देंगे, लेकिन मामला जमानती होने के कारण उन्हें पहले गिरफ्तार किया गया और फिर मुचलके पर छोड़ भी दिया गया , लेकिन इस दौरान हिंदू संगठनों ने अपनी ताकत दिखा दी और स्पष्ट कहा कि ईसाई मिशनरी या किसी और के इशारे पर हिंदुओं का मनोबल तोड़ने की ऐसी साजिशों का मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा। इतनी बड़ी संख्या में हिंदू संगठन से जुड़े लोगों ने पहुंचकर संगठित होने का भी परिचय दिया।

ठाकुर राम सिंह ने कहा कि वह गिरफ्तार होने तो क्या गोली खाने से भी नहीं डरता। उसके खिलाफ कितने भी एफआईआर हो जाए, वह अवैध धर्मांतरण के खिलाफ जंग जारी रखेगा।
जो ईसाई मिशनरी ठाकुर राम सिंह को परेशान करना चाहती थी, उनका दांव उलट पड़ गया और उनकी इस कोशिश में ठाकुर राम सिंह हिंदू संगठनों का नया नायक बनकर उभरा है। वैसे उनके विरोधी पहले ही उन्हें हिंदुओं का राजा कहती रही है। आज की घटना ने तो उन्हें बेताज बादशाह बना दिया है।

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