बिलासपुर। गुरू घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) में दिनांक 02 अक्टूबर, 2022 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 153वीें एवं राष्ट्रनिर्माता पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की 119वीं जयंती पर राष्ट्रीय एकता रैली एवं भजनों की प्रस्तुति के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने 75वें आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत सुबह 9 बजे प्रबंध अध्ययन विभाग प्रांगण में गांधी जी के तैल चित्र एवं लाल बहादुर शास्त्री जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर माननीय कुलपति महोदय के नेतृत्व में प्रबंध अध्ययन विभाग से रजत जयंती सभागार तक अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस एवं राष्ट्रीय एकता रैली में विश्वविद्यालय परिवार ने पूरे उमंग, उत्साह एवं उल्लास के वातावरण में भाग लिया।
रजत जयंती सभागार के हॉल क्रमांक 1 में आयोजित कार्यक्रम में अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर मां सरस्वती, संत गुरु घासीदास जी, महात्मा गांधी एवं शास्त्री जी के तैल चित्र पर पुष्प अर्पण किया। अतिथियों का स्वागत नन्हें पौधों से हुआ। स्वागत उद्बोधन कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. एम.एन. त्रिपाठी अधिष्ठाता छात्र कल्याण ने दिया। तत्पश्चात तरंग बैंड ने महात्मा गांधी के प्रिय भजनों की 6 भाषाओं में मनमोहक प्रस्तुति दी।
इस पावन अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय प्रो. चक्रवाल ने देश के दो सपूतों राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं राष्ट्र निर्माता स्व. श्री लाल बहादुर शास्त्री को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि जीवन में सत्य, अहिंसा, कर्तव्य, निष्ठा और ईमानदारी जैसे मूल्यों को आत्मसात करने की आवश्यकता है।
प्रो. चक्रवाल ने सभी से आव्हान किया कि वे परनिंदा के दोष से मुक्त होने का प्रयास करें। जीवन में चरित्र की अहमियत को समझें क्योंकि व्यक्ति शरीर और पद से नहीं बल्कि चरित्र से महान बनता है। मनुष्य को एक दूसरे की पीड़ा को समझना चाहिए, वही दोनों महापुरुषों के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. नीलांबरी दवे, पूर्व कुलपति सौराष्ट्र विश्वविद्यालय राजकोट गुजरात ने कहा कि हमें जीवन के महान लक्ष्यों के प्रति सादगी एवं चैतन्य भाव के साथ आगे बढ़ना चाहिए। हमें स्वयं से अधिक दूसरे के हितों के लिए स्वयं को न्योछावर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में युवाओं को दोनों महान विभूतियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरणा तथा आदर्शों को आत्मसात करना चाहिए। उनके महान विचारों से हम एक बार पुनः विश्व गुरु बन सकेंगे। उन्होंने दोनों महामानवों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस श्रृंखला में धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. प्रो. मनीष श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. भास्कर चैरसिया, सांस्कृतिक समन्वयक ने किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ। इस अवसर पर अध्यापनेत्तर कर्मचारी श्री सतीश सराफ द्वारा विश्वविद्यालय को दो साइकिलें भेंट की। कार्यक्रम में समस्त विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।