
आलोक मित्तल

कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और आपसी खींचतान की वजह से ही भारतीय जनता पार्टी को छत्तीसगढ़ में विधानसभा और फिर नगर निगम के चुनाव में करारी शिकस्त मिली थी, लेकिन पार्टी अब भी सबक लेती नजर नहीं आ रही। खासकर बिलासपुर में भारतीय जनता पार्टी की गुटबाजी चरम पर है। इसकी झलक एक बार फिर दिखी है।
बताया जा रहा है कि एक बड़े नेता के इशारे पर कुछ छूट भैया भाजपा नेताओं ने रेलवे क्षेत्र के पूर्व पार्षद और कद्दावर नेता वी रामाराव को पार्टी से निष्कासित करने की मांग कर दी है। इसके पीछे तार बहार क्षेत्र में रहने वाले दिलीप नारायण उर्फ डीएन की मुख्य भूमिका है। वैसे दिलीप नारायण अगर चुनाव लड़े तो उसे 50 वोट भी मिलने मुश्किल है लेकिन लंबे समय से अपनी सनक और महत्वाकांक्षा लिए दिलीप नारायण रेलवे क्षेत्र से पार्षद चुनाव लड़ना चाहते हैं और उनके लिए रामा राव बड़े प्रतिस्पर्धी है।
रेलवे क्षेत्र के पूर्व भाजपा पार्षद वी रामाराव और पूर्व विधायक के बीच के तल्ख रिश्ते से पूरा शहर परिचित है। इसी वजह से पिछले नगर निगम चुनाव में उन्हें पार्षद का टिकट तक नहीं मिला। इसके बाद रामा राव के कांग्रेस में शामिल होने की अटकले भी लगने लगी थी, लेकिन उन्होंने उपेक्षा के बावजूद पार्टी के साथ बने रहना स्वीकार किया। इसका खामियाजा भी भाजपा को ही भोगना पड़ा। रेलवे क्षेत्र की दोनों सीटें रामा राव अपने दम पर जिता सकते थे लेकिन उनकी उपेक्षा की वजह से इन दोनों सीटों पर भाजपा को हार मिली। इसकी वजह से ही भाजपा निगम की सत्ता से दूर हो गई। इसके बाद भी रिश्तो में जमा बर्फ पिघलने का नाम नहीं ले रहा।

पिछले दिनों बिलासपुर सांसद अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, जिसके बाद रामा राव द्वारा रेलवे क्षेत्र में कई होर्डिंग लगाकर उन्हें बधाई दी गई। इसी होर्डिंग में कथित तौर पर एक नेता की अनुपस्थिति को मुद्दा बनाकर दिलीप नारायण ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से रामाराव को 6 सालों के लिए निष्कासित करने की मांग कर डाली है। बताया जा रहा है कि दिलीप नारायण ने धोखे से अजय रजक, दीपक सोनवानी, अनिल राव, अभिषेक राज और मीरा नेताम जैसे कुछ लोगों के हस्ताक्षर करा लिए, जिन्हें सोमवार को इसकी हकीकत पता चली तो उन्होंने हैरानी जताई और कहा कि उनके साथ छलावा करते हुए हस्ताक्षर कराए गए हैं । उनकी ऐसी कोई मांग नहीं है। दिलीप नारायण के अलावा अन्य सभी भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस तरह की शिकायत करने की बात का खंडन किया है।
दिलीप नारायण का दावा है कि वह पिछले 35 सालों से पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं और रेलवे क्षेत्र में उनकी बड़ी दावेदारी है। वही सूत्र बता रहे है कि एक खास नेता के इर्द-गिर्द रहने वाले लोगों के इशरार पर ही दिलीप नारायण ने ऐसा कदम उठाया है।
एक दौर था जब बिलासपुर में केवल एक नेता की ही चलती थी लेकिन पार्टी ने यहां संतुलन कायम करने के लिए अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। जिसके बाद बिलासपुर में भी भाजपा को मजबूत करने की कोशिश तेज हो गई है। ऐसे में दिलीप नारायण जैसे कद वाले कार्यकर्ता की मांग पर पार्टी कार्यवाही करेगी, यह बचकानी सोच नजर आ रही है । जानकारों का मानना है कि केवल टिकट ना मिलने की नाराजगी और रामाराव की अनुपस्थिति से ही अगर भारतीय जनता पार्टी के हाथ से रेलवे क्षेत्र की सीट निकल सकती है तो फिर रेलवे क्षेत्र में उनकी पकड़ समझी जा सकती है । अगर पार्टी अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारकर रामाराव जैसे सक्षम नेता को निष्कासित करती भी है तो उनके कांग्रेस में जाने के रास्ते खुल जाएंगे । इससे रामाराव का तो तो खास अहित नहीं होगा उल्टे रेलवे क्षेत्र में भाजपा जरूर कमजोर हो जाएगी। अति महत्वाकांक्षी दिलीप नारायण ने रामाराव पर वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा, गुटबाजी और अनुशासनहीनता के अपरिपक्व आरोप लगाए हैं, जबकि रेलवे क्षेत्र में लगे होर्डिंग पोस्टर में छोटे से छोटे कार्यकर्ता से लेकर प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की भी तस्वीरें मौजूद हैं। अगर इसमें कोई एक तस्वीर गायब है तो उसके पीछे की वजह भी तलाशने होगी और यह खाई इस तरह के तेवर से तो पटने वाली नहीं है। वैसे भी व्ही रामा राव संगठन और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष के करीबी माने जाते हैं।
