महंगाई और गृह भाड़ा भत्ता की मांग पर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर डटे कर्मचारियों को समर्थन देने पहुंचे भाजपा नेता कौशिक एवं बांधी, राज्य सरकार पर किये तीखे हमले

आलोक मित्तल

मांग अनुरूप महंगाई और गृह भाड़ा भत्ता ना मिलने से नाराज शासकीय कर्मचारी एक बार फिर 22 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। प्रांत व्यापी जिला स्तरीय अनिश्चितकालीन हड़ताल के तहत कलम बंद , काम बंद, मोबाइल सेवा बंद हड़ताल करते हुए शासकीय कर्मचारी बिलासपुर के नेहरू चौक पर डटे हुए हैं ।छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के आह्वान पर प्रदेश के 100 से अधिक कर्मचारी संगठनों के लाखों कर्मचारी छठवें दिन भी आंदोलन स्थल पर डटे हुए हैं। इससे सरकारी कामकाज पूरी तरह से ठप हो चुका है। दफ्तरों में सन्नाटा पसरा हुआ है । सरकार द्वारा महंगाई भत्ता बढ़ोतरी को अपर्याप्त बताया जा रहा है। कर्मचारी 34% डीए और हाउस रेंट एलाउंस पर अड़े हुए हैं। राज्य सरकार ने 6% महंगाई भत्ता बढ़ाने का आदेश जारी किया है। इसके बाद भी कर्मचारी नाराज है। महंगाई भत्ता 12% बढ़ाये जाने की मांग को लेकर यह प्रदर्शन किया जा रहा है।


कर्मचारी केंद्र सरकार के समान महंगाई भत्ते की मांग कर रहे हैं। आंदोलित कर्मचारी केंद्र की तरह 34% महंगाई भत्ता और सातवें वेतन में गृह भाड़ा भत्ता की घोषणा की मांग कर रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि उन्होंने कर्मचारियों की मांग पूरी कर दी है। इसके बाद भी अगर कर्मचारी आंदोलन करना चाहते हैं तो उनकी मर्जी। इधर शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी के नेता कर्मचारियों का समर्थन करने पहुंच गए। पूर्व नेता प्रतिपक्ष और बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक एवं मस्तूरी विधायक डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी नेहरू चौक स्थित आंदोलन स्थल पर पहुंचे और कहा कि भाजपा फेडरेशन के साथ खड़ी है। उन्होंने बताया कि भाजपा 2 तरीके से कर्मचारियों की मदद कर रही है। अव्वल आंदोलन में शामिल होकर और दूसरी ओर सरकार से लगातार बातचीत करके समाधान की तलाश की जा रही है। इस दौरान धर्म लाल कौशिक ने कहा कि भूपेश सरकार चाहे तो इसकी घोषणा कर सकती है लेकिन वह कर्मचारियों का हित नहीं चाहती। एक बार फिर राज्य सरकार पर हमला करते हुए धर्म लाल कौशिक ने कहा कि प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों के साथ गांव का किसान और ग्रामीण भी परेशान है। विकास कार्य पूरी तरह ठप है। जो भी विकास कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे हैं वह विधायक, सांसद निधि और वित्तीय आयोग के पैसे से हो पा रहा है। हालांकि इससे पहले कर्मचारियों ने कहा था कि उनकी मांग बरसों पुरानी है और भाजपा सरकार में भी उनकी मांग पूरी नहीं हुई थी, इसलिए उन्हें किसी भी राजनीतिक दल से कोई उम्मीद नहीं। लेकिन बहती गंगा में हाथ धोने भाजपा कर्मचारियों के बहाने अपना हित साधने में लगी है।

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