जब पिछले वर्ष ही हो गया निर्णय तो फिर दिवाली 31 को मानने को लेकर हंगामा क्यों -आचार्य डॉ. दिनेश महाराज

विगत कुछ वर्षों से सनातन पर्वों की तिथि और मुहूर्त को लेकर भ्रम की स्थिति निर्मित हो रही है। एक ही पर्व दो-दो दिन मनाये जा रहे हैं । एक तरफ ऐसी स्थिति के पीछे जहां मीडिया जिम्मेदार है तो वही अलग-अलग पंचांग को मानने वाले भी भ्रम की स्थिति निर्मित कर रहे हैं। इस वर्ष शारदीय नवरात्र पर भी ऐसा ही प्रभाव दिखा। शरद पूर्णिमा भी दो दिन मनाई गई और अब दिवाली कब मनाना है, इसे लेकर भी भ्रम की स्थिति निर्मित हो रही है। कोई कह रहा है कि 31 अक्टूबर को ही दीपावली है, तो कोई 1 नवंबर को दिवाली मनाने की सलाह दे रहा है। इस बीच श्री पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि 1 नवंबर को ही दीवाली मनाना शुभ होगा।

हालांकि दूसरा मत कह रहा है कि दिवाली के लिए अमावस्या का होना बेहद आवश्यक है, जबकि 1 नवंबर की रात अमावस्या ही नहीं होगी। गोवर्धन पूजा में उदय तिथि का महत्व होता है ऐसे में गोवर्धन पूजा 2 नवंबर और भाई दूज 3 नवंबर को मनाया जाएगा। इस तरह इस बार दिवाली का त्योहार 6 दिन तक मनाया जाएगा। जानकर बताते हैं कि दिवाली में रात्रि व्यापिनी अमावस्या का महत्व होता है। इस बार 31 अक्टूबर की रात ही अमावस्या है। मान्यता है कि अमावस्या की रात मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करती है और भक्तों के घर जाकर आशीर्वाद देती है । गणितीय पंचांग को देखे तो इसमें भ्रम की स्थिति नहीं है ।

लेकिन आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज का कहना है कि पिछले वर्ष ही कांची पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी शंकर विजेंद्र सरस्वती के सानिध्य में पंचांग सभा की बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय हो गया था कि 2024 में 1 नवंबर को ही दीपावली मनाई जाएगी। इसलिए 31 अक्टूबर पर हंगामा मचाने वालों को उन्होंने भ्रम न फैलाने की सलाह दी । गत वर्ष कांची पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी शंकर विजेंद्र सरस्वती के साथ देश भर के पंचांगकारो ने विचार मंथन किया । हालांकि यहां भी मतभेद उभर कर आए लेकिन सर्वसम्मति से इसे दूर किया गया। जहां राय बनी कि 2024 में 1 नवंबर को दीपावली पर लक्ष्मी की पूजा की जाएगी। इस बैठक में 15 राज्यों के पंचांग कार सम्मिलित हुए, जिन्होंने केवल दिवाली ही नहीं अन्य प्रमुख पर्वो को लेकर भी अपनी स्थिति स्पष्ट की।

आचार्य दिनेश चंद्र ने बताया कि सूर्य सिद्धांत से 1 नवंबर 2024 को सूर्यास्त पूर्व अमावस्या समाप्त होने से दिवाली 31 अक्टूबर को पड़ेगी, जबकि दृश्य पद्धति के पंचांगों की गणित से 2024 में पहली नवंबर को दीपावली होगी। कारण यह है कि प्रदोष पद्धति से पहले नवंबर 2024 को प्रदोष में अमावस्या रहेगी। इसमें धर्मशास्त्र के अनुसार पहले नवंबर 2024 को दीपावली मनाया जाएगा। काशी के प्रसिद्ध गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने बताया कि नवीन पंचांग के अनुसार भी 2024 में 1 नवंबर को ही दीपावली पर लक्ष्मी पूजन होगी। विद्वानों की बैठक में पंडित भागीरथ जोशी, महामंडलेश्वर पंडित मदन व्यास, पंडित रमेश पांडे, पंडित दामोदर शर्मा आदि विद्वानों ने अपनी राय रखी, जिन्हें सामने रखते हुए आचार्य दिनेश ने कहा कि इस वर्ष 1 नवंबर को ही दीपावली मनाना श्रेयकर होगा ।
अगर आपको भी इस बात को लेकर कोई भ्रम है कि इस बार दिवाली कब मनाई जाएगी तो आपको भी विद्वान ज्योतिष आचार्य और धर्माचार्य की बात माननी चाहिए। पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3:52 पर आरंभ होगी और एक नवंबर को शाम 6:18 पर समाप्त होगी। मां लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 1 नवंबर को शाम 5:36 से शाम 6:16 तक है, इसलिए दिवाली 1 नवंबर 2024 को ही मनाई जाएगी। धनतेरस 29 अक्टूबर, नरक चतुर्दशी 31 अक्टूबर और लक्ष्मी पूजा 1 नवंबर को की जाएगी । गोवर्धन पूजा 2 नवंबर और भैया दूज 3 नवंबर को मनाया जाएगा। इसका कारण यह है कि प्रदोष की अमावस्या के दिन दिवाली मनाना शुभ रहता है। 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों दिन प्रदोष अमावस्या पड़ रही है, लेकिन 1 नवंबर को आयुष्मान योग और स्वाति नक्षत्र का शुभ सहयोग बन रहा है। इसलिए 1 नवंबर को दिवाली मनाने का फैसला लिया गया है।

इस बार कौन से दिनांक में कौन सा पर्व मनाया जाएगा

श्रीदेव पंचांग के अनुसार भी धनतेरस से लेकर भाई दूज की तिथि स्पष्ट की गई है। इस वर्ष 29 अक्टूबर बुधवार को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा। 31 अक्टूबर गुरुवार को नरक चतुर्दशी, 1 नवंबर शुक्रवार को अमावस्या के दिन दिवाली मनाई जाएगी। इसके अगले दिन गोवर्धन पूजा होगी और 3 नवंबर 2024 सोमवार को भाई दूज मनाया जाएगा।

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