छत्तीसगढ़ की हालत श्रीलंका जैसे होने वाली है!! नेताओं कि हीरोगिरी और अधिकारियों की उपेक्षा के चलते गोबर हुआ राज्य–अशीम राय

पखांजूर से बिप्लब कुण्डू–

पखांजूर,,,,
भाजपा जिला उपाध्यक्ष अशीम राय ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार अधिकारी-कर्मचारी के 80 से अधिक संघठन मिल के आंदोलन कर रहे हैं। और वो भी अपनी मूलअधिकार तनख़्वा के लिए।जब केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को 34% महँगाई भत्ता दे रहा हैं।सभी राज्य दे रहे हैं तो छत्तीसगढ़ क्यों नहीं।सरकार का कर्मचारियों को महँगाई भत्ता ना दे पाने का कारण उसका ख़स्ताहाल ख़ज़ाना हैं।
क़र्ज़ लेते लेते राज्य ब्याज इतना ज़्यादा चुका रहा हैं कि बाकि विकास कार्यों और कर्मचारियों की पूरी सैलरी देने तक के लिए पैसे नहीं हैं। छत्तीसगढ़ अब तक 80 हज़ार करोड़ से ज़्यादा का क़र्ज़ ले चुका है।जिसमें आधा क़र्ज़ बीजेपी ने अपने 15 साल के शासनकाल में लिया तो कांग्रेस के सरकार ने मात्र 3.5 साल में बाकि आधा-40 हज़ार करोड़ का क़र्ज़ ले लिया।बीजेपी ने अधिकांश क़र्ज़ इन्फ़्रास्ट्रक्चर और विकास कार्यों के लिए लिया जिससे छत्तीसगढ़ का बजट 5 हज़ार करोड़ से 1 लाख करोड़ तक पहुँच गया। बहुत से विकास के कार्य हुए और आज जैसी भीखमंगी स्थिति तो कभी नहीं आयी।

इसके उलट कांग्रेस सरकार बड़े बड़े किसानो के क़र्ज़ चुकाने, गोबर-गोमूत्र जैसे फ़र्ज़ी योजना और दूसरे मुफ़्त की योजनाओं के लिए बिना सोचे समझे क़र्ज़ लेते गयी। उसका नुक़सान आज ये हुआ की ना राजस्व में बढ़ोतरी हुई ना कोई विकास के कार्य हुए। सिर्फ़ मुफ़्त की रेवड़ी खिलाई जिसको लोग कुछ ही दिन में शराब में डकार गए। ये सरकार शराब को इतना बढ़ावा दी कि जनता के पैसे शराब में बह गया।

विकास का कोई कार्य हुआ नहीं जिससे राज्य का राजस्व नहीं बढ़ा और आज इसलिए छत्तीसगढ़ का ख़ज़ाना पूरी तरह से ख़ाली हैं। ख़स्ताहाल ख़ज़ाना का ये हाल हैं कि राज्य के 8 लाख बेघर परिवारो को आवास उपलब्ध नहीं करा सके।

पूरे देश में छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य हैं जो प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अपना हिस्से का पैसा नहीं दे पाया जिसके कारण यहाँ इस सरकार में एक भी पक्का आवास नहीं बन सका। 8 लाख बेघर परिवार मतलब 50 लाख बेघर लोग पक्के आवास से वंचित रह गए।पंखाजूर में तो कच्चे मकान धसने से पाँच लोगों की मौत हो गयी

अगर ये पक्के आवास आज बन जाए रहते तो ऐसी हालत नहीं होती। इसी तरह गाँव में सभी विकास कार्य रुक गए हैं। जो पैसे सरकार के पास थे उसको गाय,गोबर,गोमूत्र और गौठान में लगा दिए। इसका नतीजा ये हुआ कि गाय रोड पर ही घुम रहे हैं और गौठान वीरान पड़े हैं।

सरकार 4 साल से ड्रीम प्रोजेक्ट के नाम पर इस फ़्लॉप योजना को बढ़ा चढ़ा के प्रचार प्रसार करते रह गये। जो पैसे गाँव के सड़क,बिजली,नल,जल और स्कूल में खर्च कर सकती थी उसको गोबर में बहा दिए।50,000 से अधिक स्कूलों के मरम्मत के लिए अब सरकार के पास पैसे नहीं हैं।

छत्तीसगढ़ का लगभग हर रोड गड्ढों से भरे पड़े हैं पर उसके मरम्मत तक के लिए पैसे नहीं हैं। सरकारी भर्ती पूरा बंद हैं क्योंकि ख़ज़ाना ख़ाली हैं तो भर्ती कैसे करेंगे ?? पढ़े लिखे युवा बेरोज़गार घुम रहे है,चपरासी जैसे पद के लिए भी इंजीनियर लोग आवेदन दे रहे हैं।हालत तो ये हो गया हैं कि चपरासी के 91 पद के लिए 2 लाख से ज़्यादा आवेदन आते हैं।

सभी विभागों के बजट में ज़बरदस्त कटौती हुई हैं फलस्वरूप स्थानीय मज़दूरों और छोटे ठेकेदारों को कोई काम नहीं मिल पा रहा।इस वर्ष तो किसानो को खाद भी पूरा सप्लाई नहीं कर पाए।पाँच नए ज़िले बनाने के बाद भी सेटअप अब तक नही कर पाये जिससे इस वर्ष वहाँ झंडा तक ना फहरा सके।

क़र्ज़ लेते लेते राज्य ब्याज इतना ज़्यादा चुका रहा हैं कि बाकि विकास कार्यों और कर्मचारियों की पूरी सैलरी देने तक के लिए पैसे नहीं हैं। छत्तीसगढ़ अब तक 80 हज़ार करोड़ से ज़्यादा का क़र्ज़ ले चुका है।जिसमें आधा क़र्ज़ बीजेपी ने अपने 15 साल के शासनकाल में लिया तो कांग्रेस के सरकार ने मात्र 3.5 साल में बाकि आधा-40 हज़ार करोड़ का क़र्ज़ ले लिया।बीजेपी ने अधिकांश क़र्ज़ इन्फ़्रास्ट्रक्चर और विकास कार्यों के लिए लिया जिससे छत्तीसगढ़ का बजट 5 हज़ार करोड़ से 1 लाख करोड़ तक पहुँच गया। बहुत से विकास के कार्य हुए और आज जैसी भीखमंगी स्थिति तो कभी नहीं आयी।

इसके उलट कांग्रेस सरकार बड़े बड़े किसानो के क़र्ज़ चुकाने, गोबर-गोमूत्र जैसे फ़र्ज़ी योजना और दूसरे मुफ़्त की योजनाओं के लिए बिना सोचे समझे क़र्ज़ लेते गयी। उसका नुक़सान आज ये हुआ की ना राजस्व में बढ़ोतरी हुई ना कोई विकास के कार्य हुए। सिर्फ़ मुफ़्त की रेवड़ी खिलाई जिसको लोग कुछ ही दिन में शराब में डकार गए। ये सरकार शराब को इतना बढ़ावा दी कि जनता के पैसे शराब में बह गया।

विकास का कोई कार्य हुआ नहीं जिससे राज्य का राजस्व नहीं बढ़ा और आज इसलिए छत्तीसगढ़ का ख़ज़ाना पूरी तरह से ख़ाली हैं। ख़स्ताहाल ख़ज़ाना का ये हाल हैं कि राज्य के 8 लाख बेघर परिवारो को आवास उपलब्ध नहीं करा सके।

पूरे देश में छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य हैं जो प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अपना हिस्से का पैसा नहीं दे पाया जिसके कारण यहाँ इस सरकार में एक भी पक्का आवास नहीं बन सका। 8 लाख बेघर परिवार मतलब 50 लाख बेघर लोग पक्के आवास से वंचित रह गए।पंखाजूर में तो कच्चे मकान धसने से पाँच लोगों की मौत हो गयी

अगर ये पक्के आवास आज बन जाए रहते तो ऐसी हालत नहीं होती। इसी तरह गाँव में सभी विकास कार्य रुक गए हैं। जो पैसे सरकार के पास थे उसको गाय,गोबर,गोमूत्र और गौठान में लगा दिए। इसका नतीजा ये हुआ कि गाय रोड पर ही घुम रहे हैं और गौठान वीरान पड़े हैं।

सरकार 4 साल से ड्रीम प्रोजेक्ट के नाम पर इस फ़्लॉप योजना को बढ़ा चढ़ा के प्रचार प्रसार करते रह गये। जो पैसे गाँव के सड़क,बिजली,नल,जल और स्कूल में खर्च कर सकती थी उसको गोबर में बहा दिए।50,000 से अधिक स्कूलों के मरम्मत के लिए अब सरकार के पास पैसे नहीं हैं।

छत्तीसगढ़ का लगभग हर रोड गड्ढों से भरे पड़े हैं पर उसके मरम्मत तक के लिए पैसे नहीं हैं। सरकारी भर्ती पूरा बंद हैं क्योंकि ख़ज़ाना ख़ाली हैं तो भर्ती कैसे करेंगे ?? पढ़े लिखे युवा बेरोज़गार घुम रहे है,चपरासी जैसे पद के लिए भी इंजीनियर लोग आवेदन दे रहे हैं।हालत तो ये हो गया हैं कि चपरासी के 91 पद के लिए 2 लाख से ज़्यादा आवेदन आते हैं।

सभी विभागों के बजट में ज़बरदस्त कटौती हुई हैं फलस्वरूप स्थानीय मज़दूरों और छोटे ठेकेदारों को कोई काम नहीं मिल पा रहा।इस वर्ष तो किसानो को खाद भी पूरा सप्लाई नहीं कर पाए।पाँच नए ज़िले बनाने के बाद भी सेटअप अब तक नही कर पाये जिससे इस वर्ष वहाँ झंडा तक ना फहरा सके।

ज़िले के सेटअप बनाने में ही 500 करोड़ की लागत हैं।राजस्व के कमी के चक्कर में शराब तक बंद नहीं कर पा रहे। आज छत्तीसगढ़ की इतनी दयनीय स्थिति होने के पीछे पुरी तरह से इन नौसीखिए नेताओं का हाथ हैं जिनके दिमाग़ में सिर्फ़ गोबर भरा हुआ हैं। अधिकारियों की उपेक्षा करके ये खुद अपना दिमाग़ लगा के ऊल जुलूल नीति बनाना चालू कर दिए।

अधिकारियों को तो ये चना मुर्रा के तरह 4 साल से ट्रांसफर,पोस्टिंग और सस्पेंड करते रह गए।राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा पास करके आए इन अधिकारियों को ये गाय गरुआ समझते रह गए और अपने आपको ये अनपढ़ नेता चाणक्य समझने लगे।

नतीजा आज ये हैं कि राज्य दिवालिया के कगार पर हैं। अच्छे काबिल अधिकारी या तो आज लूपलाइन में पोस्टेड हैं या तो केंद्र सरकार में डेप्युटेशन पर जा रहे हैं। फ़ील्ड में बैठे हैं तो वसूलीबाज अधिकारी। जिनका पोस्टिंग ही ऑक्शन से हुआ हैं।

जो जितना ज़्यादा इन नेताओ को कमा के देगा उसको उतना अच्छा पोस्टिंग मिलता हैं।

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