आकाश दत्त मिश्रा

बिलासपुर में रविवार को इंतकाम और कत्ल की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है ।अपने पिता पर हमला करने वाले से बदला लेने के लिए एक 17 साल के नाबालिग हत्या के आरोपी ने बाल सुधार गृह से छूटने के बाद पूरी साजिश रच कर मृतक को अपने जाल में फंसाया।
बताया जा रहा है कि बिलासा चौक निवासी सतीश तिवारी 22 वर्ष ने नाबालिग हत्यारे के पिता पर कातिलाना हमला किया था जिसका बदला लेने के लिए उसने इंस्टाग्राम में लड़की बनकर सतीश तिवारी से दोस्ती की और फिर उसे अपने जाल में फंसा कर रविवार को एसबीआर कॉलेज के पास मिलने बुलाया।
17 वर्षीय नाबालिक हत्या के आरोप में कुछ समय पहले ही बाल संप्रेक्षण गृह से छूट कर आया था। योजनाबद्ध तरीके से उसने सतीश तिवारी को लड़की बनकर अपने जाल में फंसाया और फिर उसे मिलने के लिए एसबीआर कॉलेज के पास बुलाया जहां नाबालिग अपने चार पांच साथियों के साथ मौजूद था। वहां पहुंचते ही सतीश समझ गया कि वह जाल में फंस चुका है लेकिन उसके पास भागने का मौका नहीं था। नाबालिक ने अपने पिता पर हुए हमले का बदला लेने के लिए सतीश पर चाकू से ताबड़तोड़ हमले कर दिए जिससे उसकी मौत हो गई।

सतीश तिवारी भी दूध का धुला हुआ नहीं था। बताया जा रहा है कि 4 जनवरी की रात उसने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर हत्यारे के पिता पर चाकू से हमला किया था, जिस के आरोप में उसे जेल भेजा गया था। इस हमले में सतीश के एक साथी को ढूंढते हुए नाबालिक 30 मार्च को हटरी चौक स्थित उसके कूलर खस की दुकान पहुंचा था लेकिन वहां संबंधित युवक ना मिलने पर उसने उसके भाई पर चाकू से हमला कर दिया, जिसकी बाद में मौत हो गई। इस हत्या के आरोप में नाबालिग को बाल सुधार गृह भेजा गया था।
कुल मिलाकर पूरा मामला किसी गैंगवार की तरह है। हैरानी इस बात की है कि कम उम्र के नाबालिक मामूली बात पर एक दूसरे की जान लेने पर उतारू है और यह सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा।

17 साल के नाबालिग ने अपने पांच दोस्तों के साथ मिलकर एक और हत्या को अंजाम दे दिया, जिसमें बिलासा चौक निवासी 22 वर्षीय सतीश तिवारी की जान चली गई। पता नहीं दो- दो जान जाने के बाद भी इंतकाम की यह आग बुझेगी या फिर यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा । मुश्किल यह है कि अगर पुलिस इन्हें गिरफ्तार कर भी लेती है तो नाबालिक होने की वजह से आरोपी फिर से आसानी से छूट जाएंगे, इसीलिए कानून के जानकार नाबालिक की परिभाषा को दोबारा परिभाषित करने की मांग लंबे समय से करते रहे हैं, इस पर शीघ्र फैसला लेना अब जरूरी हो गया है।

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