मरीजों का नहीं अपना हित है जिनके लिए सर्वोपरि , ऐसे ही कुछ कामचोर कर्मचारियों द्वारा आयुष विभाग के अस्पताल को पुराने जर्जर भवन में शिफ्ट करने के लिए रची जा रही है साजिश, अपने ही लोगों के माध्यम से फर्जी आवेदन जनदर्शन में भेजकर कलेक्टर को भ्रम में डालने का किया जा रहा प्रयास

आकाश दत्त मिश्रा

राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के वरिष्ठ नागरिकों को आयुर्वेदिक इलाज उपलब्ध कराने के लिए ‘सियान जतन’ अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत 60 वर्ष से अधिक उम्र के मरीजों का आयुर्वेदिक पद्धति से राष्ट्रीय आयुष मिशन, जिला आयुष विभाग एवं जिला स्वास्थ्य समिति राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा मुंगेली में भी इलाज किया जा रहा है। आयुष विभाग द्वारा पूर्व में पुराना बस स्टैंड स्थित निवर्तमान जिला अस्पताल परिसर में ही अस्पताल संचालित किया जा रहा था। मई महीने के दूसरे सप्ताह में सियान जतन कैंप में पहुंचे तत्कालीन कलेक्टर गौरव सिंह जिला अस्पताल में लगे शिविर से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने स्थाई रूप से आयुष विभाग सियान जतन क्लिनिक वर्तमान जिला अस्पताल में ही संचालित करने का निर्देश दिया और यही योजना का हिस्सा भी था। तब से विभाग द्वारा यही आयुर्वेदिक पद्धति से बुजुर्गों का इलाज किया जा रहा है।


यह फैसला कई मायनो में प्रभावशाली रहा है। इससे मरीजों की परेशानी भी कम हुई है। दूर दराज गांव से यहां पहुंचने वाले मरीजों को अगर जांच के बाद एलोपैथी इलाज या सर्जरी की आवश्यकता होती है तो उन्हें तत्काल परिसर में ही मौजूद जिला अस्पताल में भर्ती कर उनका इलाज संभव है, लेकिन अगर यह अस्पताल पुराना बस स्टैंड के पास स्थित पुराने भवन में संचालित होता तो मरीजों को बेवजह भटकना पड़ता, क्योंकि जिला अस्पताल और पुराना बस स्टैंड के बीच करीब 3 किलोमीटर की दूरी है। आने जाने के लिए कोई साधन भी उपलब्ध नहीं है, तो वहीं सड़क भी पहुंच जर्जर है। यही वजह है कि जब से जिला अस्पताल में सियान जतन अभियान चलाया जा रहा है, यहां रिकॉर्ड संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि विभाग के ही कुछ कामचोर कर्मचारी इससे परेशान है। जब आयुष विभाग का संचालन पुराना बस स्टैंड के पास किया जा रहा था तो गिने-चुने मरीज ही वहां पहुंचते थे ,इसलिए अधिकांश कर्मचारी आराम की ड्यूटी कर रहे थे। मगर जिला अस्पताल में मरीजों की बढ़ती तादाद और अधिकारियों के लगातार निरीक्षण से ऐसे कर्मचारी परेशान हैं, जिनके द्वारा तरह तरह के तिकड़म किये जा रहे हैं।


सूत्रों से पता चला है कि ऐसे ही कर्मचारियों द्वारा अपने ही कुछ लोगों के माध्यम से कलेक्टर राहुल देव के जनदर्शन में इस तरह के फर्जी आवेदन दाखिल किए जा रहे हैं जिसमें आयुष विभाग के अस्पताल को पुनः पुराना बस स्टैंड स्थित भवन में शिफ्ट करने का निवेदन किया जा रहा है।
सोचने वाली बात है कि आखिर जब मरीजों को एक ही स्थान पर सारा इलाज मिल रहा है तो फिर वे क्यों बेवजह उस जर्जर भवन में अपना इलाज कराने की मांग करेंगे जो अव्यवहारिक है और जहां कोई सुविधा भी नहीं है। नए सर्व सुविधा युक्त भवन के बावजूद पुराने भवन में अस्पताल संचालित करने की बात ही बेतुकी है। पुराने भवन के प्रति मरीजों का कितना विश्वास था इसका खुलासा इस बात से भी होता है कि वहां गिनती के ही मरीज पहुंचते थे, जबकि जिला अस्पताल में जब से आयुष विभाग अस्पताल संचालित कर रहा है तब से मरीजों की संख्या बढ़ी है । कुछ चालाक कर्मचारियों को लगता है कि नए कलेक्टर इन सब बातों से वाकिफ नहीं है, लिहाजा उन्हें आसानी से अपनी बातों में उलझा कर अपनी मंशा पूरी करते हुए वापस पुराने भवन में अस्पताल को शिफ्ट किया जा सकता है , ताकि वहां फिर से काम चोरी की जा सके।

पुराना भवन


सूत्रों से पता चला है कि हाल ही में बड़े अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान कुछ कर्मचारी नदारद पाए गए थे। असल मे जिला अस्पताल में आयुष अस्पताल के संचालन होने से ऐसे ही लोग परेशान हैं, जो जनहित को दरकिनार कर अपने हित में षड्यंत्र रच रहे हैं । नए कलेक्टर अगर जनदर्शन में की गई झूठी शिकायतों पर विश्वास कर आयुष विभाग अस्पताल को वापस पुराने भवन में शिफ्ट कर देते हैं तो फिर इससे बुजुर्ग मरीजों को परेशानी उठानी पड़ेगी और इसका लाभ केवल उन कामचोर कर्मचारियों को मिलेगा जो बिना मेहनत वेतन लेने के आदी हो चुके हैं, इसलिए जनहित में आवश्यक है कि कलेक्टर कोई भी निर्णय लेने से पहले वस्तु स्थिति को बेहतर ढंग से समझे ताकि इससे कुछ मौकापरस्त कर्मचारियों का हित नहीं बल्कि आम नागरिकों का वास्तविक हित हो सके।

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