जब जिस राह से गुजरते हैं पुलिस कप्तान, बस उसी राह पर होती है ट्रैफिक व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त, बाकी शहर राम भरोसे

आकाश दत्त मिश्रा

बात चुभने वाली जरूर है, लेकिन पूरी तरह सच है कि मुंगेली के लोगों में ट्रैफिक सेंस बिल्कुल भी नहीं है। रेड लाइट जंप करना, किसी भी दिशा से गाड़ी मोड़ लेना, कहीं भी पार्किंग कर देना मुंगेली में आम बात है । यही वजह है कि जब नए पुलिस कप्तान ने अपना पदभार संभाला तो उन्होंने अपनी प्राथमिकताओं में मुंगेली में ट्रैफिक व्यवस्था सुधार की बात कही थी। इसके लिए उन्होंने एक महीने का वक्त मांगा था। एक की बजाय 2 महीने हो गए, लेकिन अब तक इस शहर में कहीं सुधार तो नहीं दिखा। अलबत्ता अपने अधिकारी की आंखों में धूल झोंकने के लिए मुंगेली ट्रैफिक पुलिस ने इतना जरूर किया कि इस अव्यवस्था की भनक कप्तान को ना लगे इसलिए जहां जहां से पुलिस कप्तान गुजरते हैं, वहां वहां ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से चाक चौबंद कर दी।


मुंगेली में पूरे वक्त सभी चौक चौराहों पर यातायात पूरी तरह से अव्यवस्थित नजर आता है ।लेकिन जैसे ही पुलिस कप्तान के वहां से गुजरने की सूचना मिलती है, अचानक ट्रैफिक पुलिस के जवान चौकन्ने हो जाते हैं और इस इलाके की ट्रैफिक व्यवस्था पल भर में सुधार ली जाती है। शाम तक जिस दाऊ पारा चौक की ट्रैफिक व्यवस्था अस्त-व्यस्त और बेहाल रहती है, शाम लगभग 7:00 बजे के आसपास अचानक वहां पुलिस के जवान मुस्तैदी से ट्रैफिक व्यवस्था संचालित करते नजर आने लगते हैं, क्योंकि यह वह समय होता है जब पुलिस कप्तान स्टेडियम और जिम से वर्कआउट कर लौटते हैं। जिन- जिन रास्तों से वे वर्कआउट करने जाते हैं और वापस लौटते हैं वहीं पर उन घंटों में ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त नजर आती है।


उनके लौटते ही व्यवस्था पुराने ढर्रे पर लौट आती है। यह देखकर तो अब लोग कहने लगे हैं कि काश मुंगेली पुलिस अधीक्षक पूरे वक्त शहर की सड़कों का चक्कर लगाते रहे, तभी मुमकिन है कि शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सुदृढ़ रहेगी।
लोगों का कहना है कि जिस वक्त वे दफ्तर जाते हैं और दफ्तर से लौटते हैं उस वक्त भी उन राहों पर ऐसी ही व्यवस्था बनाई जाती है। मुंगेली शहर बहुत ही छोटे से इलाके में सिमटा हुआ है । बावजूद इसके छोटे से इलाके में भी ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पा रही है। शहर के अधिकांश बाजारों और सड़क किनारे बने व्यावसायिक कॉन्प्लेक्स में पार्किंग ना होने से लोग सड़कों पर ही अव्यवस्थित तरीके से अपनी दुपहिया और चार पहिया वाहन खड़े कर देते हैं। खासकर पड़ाव चौक में स्थिति बदतर है। शहर में गिने-चुने लोग ही रेड लाइट और ट्रैफिक सिग्नल का सम्मान करते हैं। अधिकांश वाहन चालक ट्रैफिक सिग्नल जम्प करते किसी भी वक्त देखे जा सकते हैं। वहां खड़ी खड़े ट्रैफिक पुलिस के जवान ना तो ऐसे लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्यवाही करते हैं और ना ही उन्हें नोटिस दिया जाता है। यही वजह है कि लोग भी सुधरने का नाम नहीं ले रहे ।


नाम ना छापने के शर्त पर ट्रैफिक पुलिस ने बताया है कि जब भी उनके द्वारा शहर में यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए अभियान चलाया जाता है , चालान या वाहनों की जब्ती की जाती है, तो कोई ना कोई रसूखदार या पॉलीटिशियन उन्हें छुड़ा कर ले जाता है और पुलिस बेबस देखती रह जाती है। यही वजह है कि अब इस तरह की कार्रवाई को लेकर पुलिस की दिलचस्पी भी कम होती जा रही है।


इधर दूसरी ओर शहर में ऐसे नाबालिक युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है जो नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए मोटरसाइकिल पर सवार होकर शहर में किसी भी वक्त स्टंट करते देखे जा सकते हैं। मोटरसाइकिल पर तीन सवारी करते हुए फर्राटे भरते ऐसे युवा किसी हथियार से कम नहीं है, जो कभी भी किसी की भी जान लेने की ताकत रखते हैं। ऐसे युवाओं द्वारा प्रतिबंधित प्रेशर हॉर्न का भी बेधड़क इस्तेमाल किया जा रहा है। शहर के व्यस्ततम सड़कों पर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अधिक की रफ्तार में मोटरसाइकिल पर फर्राटे भरने वाले ऐसे युवाओं से राहगीर, खासकर बुजुर्ग खौफ खाते हैं। उन्हें लगता है सड़क पर चलना मौत को दावत देना है।

जानकार बताते हैं कि सड़क पर फर्राटे भरने वाले अधिकांश युवा नशे की गिरफ्त में भी कैद है। मुंगेली के कुछ ऐसे ही चिन्हित युवाओं के खिलाफ भी पुलिस कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही ।मोटर साइकिल पर स्टंट दिखाने वाले ऐसे वाहन चालकों के पास गाड़ी के दस्तावेज तक नहीं होते हैं और लाइसेंस होने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता। लेकिन कार्यवाही ना होने से उनके हौसले बुलंद है। औपचारिकता के लिए कभी-कभी ट्रैफिक पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही से खास असर पड़ नहीं रहा है। अगर पुलिस अभियान चलाकर ऐसे वाहन चालकों के अभिभावकों पर कड़ी कार्यवाही करें तो कुछ हद तक इस पर अंकुश लगाना संभव है, लेकिन मुंगेली की पुलिस मुंगेली में ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त करने की बजाय फिलहाल तो पुलिस कप्तान के सामने मायाजाल रचने में ही व्यस्त हैं।पुलिस कप्तान जिस राह से गुजरते हैं, वहां के नजारे देखकर शायद उन्हें भी यह भ्रम होगा कि मुंगेली में ट्रैफिक व्यवस्था उनके आने के बाद दुरुस्त हो चुकी है, क्योंकि सच्चाई से वे भी वाकिफ नहीं है और ऐसे में आम नागरिक सड़क पर जान जोखिम में लेकर चल रहा है। सुबह और शाम के वक्त यहां चौक चौराहों पर पहले की ही तरह जाम लग रहे हैं। सड़के इतनी संकरी हो चुकी है कि वाहन रेंग- रेंग कर आगे बढ़ रहे हैं ।लिहाजा यह साफ नजर आ रहा है कि नए कप्तान की प्राथमिकताओं में शामिल यातायात सुधार का मकसद अभी लक्ष्य से बहुत दूर है।

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