पटवारियों के हड़ताल के 6 दिन पूरे, अपनी मांगों पर अडिग पटवारियों के हड़ताल से राजस्व विभाग पर गहरा संकट, सरकार भी झुकने को नहीं तैयार

आकाश दत्त मिश्रा

प्रदेश भर के पटवारी पिछले 6 दिनों से हड़ताल पर हैं। छत्तीसगढ़ के करीब 5000 पटवारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से पूरे राज्य भर में राजस्व विभाग के कामकाज पर गहरा असर पड़ता दिख रहा है। हालांकि राजस्व विभाग ने नियमों का हवाला देकर सभी पटवारियों को काम पर लौटने, अन्यथा कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। बावजूद इसके विभिन्न मांगों को लेकर पटवारी लामबंद नजर आ रहे हैं।
राज्य के सभी जिलों के साथ मुंगेली में भी जिले के पटवारी कलेक्ट्रेट के सामने धरना प्रदर्शन पर है। पटवारी तकनीकी दिक्कतों का हवाला दे रहे हैं , जिनका कहना है कि दिसंबर में पटवारियों द्वारा किए गए हड़ताल के बाद राज्य सरकार ने जो वादे किए थे उस वादाखिलाफी की वजह से पटवारियों को दोबारा हड़ताल पर जाना पड़ा है। आंदोलन का बिगुल फूंक चुके पटवारियों का कहना है कि शासन लगातार राजस्व विभाग के कामकाज को डिजिटल करने पर जोर दे रही है, लेकिन किसी भी पटवारी के पास कंप्यूटर , लैपटॉप और प्रिंटर की सुविधा नहीं है। लिहाजा कामकाज में तकनीकी दिक्कत आ रही है। राजस्व विभाग और राजस्व मंत्री को भी इस से अवगत कराने के बावजूद किसी तरह का सुधार नहीं हुआ है।


वही पटवारी चाहते हैं कि वरिष्ठता के आधार पर उन्हें पदोन्नत का लाभ दिया जाए। कई जिलों में पटवारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं। पटवारी इसके खिलाफ भी लामबंद नजर आ रहे हैं। पटवारी महंगाई और स्टेशनरी के लिए ₹2000 का भत्ता भी मांग रहे हैं ।साथ ही नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कार्य करने वाले पटवारियों के लिए नक्सल भत्ते की मांग की जा रही है। पटवारी अतिरिक्त हलके के प्रभार के लिए मूल वेतन का 50% राशि भत्ते के रूप में देने एवं वेतन विसंगति दूर करने की मांग कर रहे हैं।
इधर यह खबर भी आई की पटवारियों के आंदोलन में दो फाड़ हो चुका है। बेमेतरा जिले के पटवारियों ने इस आंदोलन को समर्थन न करने की बात कही, जिसे नकारते हुए मुंगेली जिला पटवारी संघ के अध्यक्ष ने कहा कि अपने सभी मांगों पर पटवारी एकजुट है और शासन द्वारा मांग पूरी किए जाने तक सभी पटवारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे। उन्होंने 4800 से अधिक पटवारियों के आंदोलन में शामिल होने का दावा किया।
इधर पटवारियों के आंदोलन पर चले जाने से राजस्व विभाग के कामकाज पर गहरा असर पड़ रहा है। प्रदेश में धान की खरीदी की जा रही है। किसानों के खेत के रकबे से जुड़ा काम पटवारियों की वजह से ठप हो चुका है। जमीन की रजिस्ट्री भी प्रभावित हुई है, लेकिन आंदोलनरत पटवारी फिलहाल झुकने को तैयार नहीं। इधर शासन आंदोलन को तोड़ने कार्यवाही की चेतावनी दे रहा है। दूसरी ओर पटवारी आंदोलन को जारी रखने पर अड़े हुए हैं । अगर यह आंदोलन लंबा खींचा तो फिर इसका असर न सिर्फ राजस्व विभाग पर बल्कि आम आदमी पर भी पड़ना तय है।

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