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पंचांग भेद के कारण इस बार बसंत पंचमी का पर्व 2 दिन मनाया जा रहा है। एक वर्ग का दावा है कि गुरुवार को बसंत पंचमी मनाना श्रेष्ठ है तो वहीं बुधवार को भी कई स्थानों पर बसंत पंचमी का पर्व मनाते हुए देवी सरस्वती की पूजा अर्चना की गई। दरअसल बसंत पंचमी की तिथि बुधवार 10:46 से आरंभ हुई जो गुरुवार दोपहर 1:20 तक रहेगी। यही कारण है कि कई स्थानों पर बुधवार को ही विद्या की देवी सरस्वती की पूजा अर्चना की गई। सिद्धि और सर्वार्थसिद्धि के योग में इस बार बागदान ,विद्यारंभ, यज्ञोपवीथा आदी संस्कार बसंत पंचमी पर पूरे किए गए ।दावा किया जा रहा है कि इस बार ग्रह नक्षत्रों की स्थिति बेहद शुभ है। उपनिषद के अनुसार सृष्टि के प्रारंभिक काल में वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती का प्रादुर्भाव हुआ था सरस्वती को बागेश्वरी भगवती ,शारदा ,वीणा वादिनी और बाग देवी भी कहा जाता है। विद्या और बुद्धि की प्रदाता होने के साथ देवी सरस्वती संगीत की भी देवी है। बसंत पंचमी के दिन उनके प्रकट उत्सव को मनाते हुए सार्वजनिक आयोजनों में उनकी पूजा-अर्चना तो होती ही है साथ ही विद्यालयों में भी विशेष रूप से देवी सरस्वती की पूजा की जाती है । माघ शुक्ल पंचमी को मनाए जाने वाले बसंत पंचमी को लेकर हर वर्ष की तरह इस बार भी उल्लास नजर आया। रेलवे क्षेत्र स्थित बंगाली स्कूल में हर बार की तरह देवी सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की गई इसमें विशेष तौर पर प्रसाद के रूप पर बेर अर्पित किए गए। वही बसंत पंचमी का संबंध बसंत पर्व से भी है एक ओर बसंत के इस मौसम में प्रकृति श्रृंगार की हुई नजर आती है ऐसे में युवा मन पर यौवन का उत्साह और उमंग नजर आता है। बसंत पंचमी और बसंत उत्सव के इस संयुक्त बेला में छात्राएं साड़ी पहनकर भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा करती है। बसंत पंचमी को शास्त्रों में ऋषि पंचमी के रूप में भी उल्लेखित किया गया है ।

स्कूलों में विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना कर उनसे विद्या बुद्धि का वरदान मांगा गया इसी तिथि पर गायत्री प्रज्ञा पीठ में भी देवी सरस्वती की पूजा अर्चना कर हवन में आहुति अर्पित की गई।
बसंत पंचमी  यौवन और उल्लास का पर्व भी है इस अवसर पर बिलासपुर में कई स्थानों पर देवी की प्रतिमा स्थापित की गई बंगाली स्कूल परिसर में छोटा सा मेला भी लगा वही पूजा उपरांत सभी को भोग प्रसाद का वितरण भी किया गया।
 

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