पखांजुर से बिप्लब कुण्डू–23.2.22
पखांजूर–
ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम के अंतर्गत आने के कारण शासकीय योजनाओं का पूरा लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाने से चिंतित मर्रामपारा के ग्रामीणों ने मर्रामपारा को राजस्व ग्राम का दर्जा दिए जाने और विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को प्रदान किए जाने की मांग को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
साथ ही जिला कार्यालय पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि आज भी उनके गांव तक सड़क का विस्तार नहीं हो सका है। जिसके कारण उनके गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है। बीमार होने की स्थिति में मरीज को चारपाई के सहारे कंधे पर उठाकर सड़क तक ले जाने पड़ता है।
जिले के कोयलीबेड़ा के ब्लाक के ग्राम पंचायत आलपरसर के आश्रित ग्राम गुंदूल के मर्रामपारा से ग्रामीण जिला कार्यालय पहुंचे। ग्रामीणों ने बताया कि मर्रामपारा बस्ती पिछले 80 वर्षों से बसी हुई है। आश्रित ग्राम गुंदूल से इसकी दूरी पांच किलोमीटर है। लेकिन यहां के लोगों को शासकीय योजनाओं का सही ढंग से लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर मांग की कि मर्रामपारा को नया राजस्व ग्राम घोषित किया जाए, जिससे ग्रामीणों को शासकीय योजनाओं का लाभ मिल सके।
साथ ही ग्रामीण राजूराम आंचला, सुकलाल कड़ियाम, बारसुराम उइके ने मीडिया कर्मियों को बताया कि मर्रामपारा में स्कूल व आंगनबाड़ी तो हैं, लेकिन गांव तक पक्की सड़क का निर्माण नहीं हुआ है। चारपहिया वाहनों में केवल ट्रेक्टर ही गांव तक पहुंच पाता है।
बारिश के दिनों में कच्ची सड़क और अधिक खराब होने के कारण आवागमन और भी मुश्किल हो जाता है। आपात स्थिति में एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंचा पाता है। मरीज को चारपाई के सहारे कंधे में रखकर 10 किलोमीटर तक चलना पड़ जाता है। कोयलीबेड़ा से ग्राम डूट्टा तक ही सीसी सड़क है, जिसके बाद कच्ची सड़क है, जो मर्रामपारा तक आते-आते पूरी तरह से खराब हो जाती है। उन्होंने कहा कि जिसके कारण भी उन्हें परेशानी होती है। इस दौरान ग्रामीण रमेश कुमार आंचाल, राजेश आंचला, लोकेश उसेंडी, धनराज आंचला, कमलाबाई ध्रुव, सुंदरबती उसेंडी, मुनारोबाई आंचला मौजूद थे।