मो नासीर
कोविड 19 को लेकर लागू किए गए सारे नियम शिथिल कर दिए गए हैं। एक बार फिर से जनजीवन को सामान्य करने का प्रयास किया जा रहा है। जिला प्रशासन के इस प्रयास से शायद रेलवे अछूता है। रेलवे प्रशासन द्वारा कोरोना की पहली लहर के दौरान ही रेलवे अस्पताल को कोविड-19 अस्पताल बनाए जाने पर रेलवे ऑफिसर कॉलोनी से स्ट्रक्शन कॉलोनी को जोड़ने वाली सड़क, जिस मार्ग पर रेलवे अस्पताल स्थित है, उसे आम नागरिकों के उपयोग के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था ।
इस सड़क का इस्तेमाल इसके आरंभ काल से ही शहरवासी करते रहे हैं। इस सड़क के उपयोग से भारत माता स्कूल के सामने की मुख्य सड़क पर यातायात का दबाव भी कम होता है, लेकिन रेलवे प्रशासन इस सड़क को बंद करने के बाद जैसे इसे खोलना ही भूल गया है । मजे की बात यह है कि जिस रेलवे अस्पताल के नाम पर यह कवायद की गई थी, उस रेलवे अस्पताल को ही पूरी तरह खोल दिया गया है ,जहां लोगों की आवाजाही आम है । लेकिन इस सड़क का प्रवेश मार्ग प्रतिबंधित है, जिससे एक तरफ जहां तितली चौक से लेकर बड़ा गिरजा चौक तक यातायात पर दबाव पड़ रहा है और दुर्घटनाएं हो रही है ,वही रेलवे अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को भी बेवजह की तकलीफ हो रही है। खासकर रात को यहां एंबुलेंस नहीं पहुंच पा रहे। उन्हें संकरी गलियों से होकर अस्पताल पहुंचना पड़ रहा है। इतना ही नहीं रेलवे कंस्ट्रक्शन कॉलोनी में रहने वाले लोगों को भी बेवजह लंबा चक्कर लगाकर जाना पड़ रहा है।
रेलवे प्रशासन की मनमानी और तानाशाही रवैया के खिलाफ कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए एनएसयूआई ने इस सड़क को वापस खोलने की मांग की है, ताकि लोग डीआरएम निवास होते हुए गणेश मंदिर मार्ग से तार बाहर पहुंच सके। इससे लोगों की असुविधा कम होगी। वर्तमान में यह सड़क करीब 2 वर्ष से बंद होने से यहां जंगल जैसे नजारे हो गए हैं। पेड़ों की बढ़ी हुई टहनियां सड़क पर लटक रही है और भयावह नजारे पेश कर रहे हैं। सड़क की साफ-सफाई भी बरसों से नहीं हुई है और स्थिति जर्जर होने की कगार पर है। एनएसयूआई प्रदेश सचिव ने ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि अगर दो-तीन दिनों में इस सड़क को नहीं खोला गया तो उनके द्वारा रेलवे अधिकारियों का घेराव किया जाएगा।