मो नासीर
कोटा में घोंघा जलाशय के वेस्ट वियर के पास बुधवार को मिली अधजली लाश की गुत्थी को पुलिस ने महज कुछ घंटों में ही सुलझा लिया। हालांकि इस उपलब्धि का श्रेय सोशल मीडिया को जाना चाहिए । कोरी डैम के पास जंगल में एक व्यक्ति की सड़ी गली लाश मिली थी, जिसमें से बदबू आने की सूचना लोगों ने पुलिस को दी थी। यह लाश कई दिन पुरानी थी। यह लाश वन विभाग के चौकीदार राजेश कुमार धृतेश ने देखी थी। रोज की तरह वह जंगल में घूम रहा था, तभी उसे सडांध आयी।किसी जंगली जानवर के मरे होने के अंदेशे में उसने पास जाकर देखा तो एक व्यक्ति का शव गड्ढे में पड़ा हुआ था, जिसे पहचान छुपाने के लिए किसी ने जला दिया था। शव से तेज बदबू आ रही थी। वहीं घटनास्थल पर खून के दाग और खून से सना हुआ एक पत्थर में मिला। पास ही खाली डिस्पोजल गिलास, खाली शराब की शीशी, पानी पाउच ,चाकू और लाल रंग की टोपी पड़ी हुई थी । देखकर अंदाजा लग रहा था कि किसी ने मृतक को पत्थर से कुचल कर मार दिया है और सबूत मिटाने के लिए लाश को जलाया गया है।
पुलिस ने जांच के दौरान घटनास्थल तक पहुंचने वाले रास्ते में लगे सीसीटीवी के फुटेज की जांच की। वही क्षेत्र के शराब दुकान में जाकर सीसीटीवी की जांच भी की गयी। मृतक के पास पड़े ऊनी टोपी, शव की तस्वीर और मृतक के चप्पलों के फोटो व्हाट्सएप के जरिए वायरल किया गया। जिसे देखकर काठा कोनी में रहने वाले अजय रात्रे ने मृतक की पहचान अपने नाबालिग बेटे के रूप में की। उन्होंने बताया कि 2 फरवरी को उनका बेटा गांव के ही कुछ अपने हमउम्र दोस्तों के साथ कोटा डैम घूमने गया था। जहां से उसका बेटा वापस नहीं आया। जब उन्होंने उसके नाबालिग दोस्तों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि वे उसे छोड़ कर आ गए थे। इसके बाद भी उनका बेटा पिछले 7 दिनों से वापस नहीं लौटा था। परिवार वाले उसकी तलाश कर रहे थे ।इसी दौरान उसके शव की तस्वीरें दिखी। पुलिस ने मृतक के दोस्तों की जानकारी ली तो पता चला कि वे सकरी थाना क्षेत्र के पुराने अपराधी है, लिहाजा उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की गई।
उन नाबालिक हत्यारों ने बताया कि बताया कि 2 फरवरी को यह लोग औरा पानी और कोरी डैम घूमने गए थे। कोटा डैम के पास जंगल में यह सभी शराब पी रहे थे। तभी उनके बीच किसी बात को लेकर विवाद हुआ और फिर दो दोस्तों ने मिलकर चाकू से अपने ही हमप्याला दोस्त का गला काटकर और फिर उसके सर में पत्थर मारकर उसकी जान ले ली। सबूत मिटाने के लिए इन लोगों ने वहीं पड़े सूखे पत्ते एवं कपड़ों की मदद से उसके शव में आग लगा दी और घर लौट गए। उन्हें लगा था कि उनकी करतूत किसी को पता नहीं चलेगी , मगर इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले नाबालिक दोस्त कानून के शिकंजे में फंसे ही गए। इस अंधे कत्ल की गुत्थी को सुलझाने में अनुविभागीय अधिकारी पुलिस विभाग कोटा आशीष अरोड़ा, थाना प्रभारी कोटा, थाना प्रभारी सकरी और कोटा पुलिस स्टाफ की महत्वपूर्ण भूमिका रही। खास बात यह थी कि इस दिन कोटा एसडीओपी आशीष अरोरा का जन्मदिन भी था, इसके बावजूद उन्होंने इस गुत्थी को सुलझाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। एक बार फिर यह देखा गया कि नशे की आगोश में आकर किसी की जान ली गई है। बिलासपुर और आसपास लगातार घटने वाले अपराधों में नशे की महत्वपूर्ण भूमिका रही है ,यह चिंता का विषय है।