

महासमुंद जिले में धान खरीदी व्यवस्था की अव्यवस्था ने एक किसान की जान लगभग ले ली। पिथौरा ब्लॉक के बोडरीदादर गांव के रहने वाले 60 वर्षीय किसान मनबोध तांडी ने धान बेचने के लिए लगातार हो रही परेशानियों से तंग आकर शनिवार सुबह ब्लेड से अपना गला काटकर खुदकुशी की कोशिश की। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है और उन्हें रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
टोकन नहीं कट रहा था, आधार लिंक न होने से पंजीयन अटका

स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, किसान मनबोध पिछले कई दिनों से सोसाइटी में टोकन कटवाने के लिए चक्कर काट रहे थे। आधार लिंक न होने और पंजीयन कैरी फॉरवर्ड न होने की वजह से उनका नाम खरीदी सूची में शामिल नहीं हो पा रहा था। चॉइस सेंटर में भी तीन दिनों से लगातार जाकर प्रयास करने के बावजूद उनका पंजीयन अपडेट नहीं हो सका।
ध्यान देने योग्य है कि इस बार खरीदी की शुरुआत कर्मचारियों की हड़ताल से हुई थी, और अब पंजीयन सुधार की धीमी प्रक्रिया ने किसानों की दिक्कतें और बढ़ा दी हैं।
खेत के पास गला काटकर किया आत्महत्या का प्रयास
शनिवार सुबह मनबोध मवेशियों को चराने निकले थे। इसी दौरान पास के एक खेत के किनारे उन्होंने ब्लेड से गला काट लिया। लगभग 9 बजे गुजर रहे राहगीरों ने उन्हें खून से लथपथ हालत में तड़पते देखा। तुरंत परिजनों और पुलिस को सूचना दी गई।
ग्रामीणों की मदद से उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, फिर जिला अस्पताल महासमुंद ले जाया गया। गले में गहरी चोट होने के कारण उन्हें रायपुर रेफर कर दिया गया।
कलेक्टर बोले – किसान खरीदी केंद्र पहुंचा ही नहीं
घटना पर कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने कहा कि खरीदी केंद्र में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई है।
उन्होंने दावा किया कि “किसान टोकन कटवाने खरीदी केंद्र पहुंचा ही नहीं। संभवतः कहीं और प्रयास किया होगा। सोसाइटियों में फिलहाल किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है। किसान का इलाज करवाया जा रहा है।”
1 एकड़ 40 डिसमिल जमीन में ली थी फसल, 15 दिन से घर में रखा था धान
मनबोध तांडी मवेशी चराने का काम करते हैं। जो थोड़ी सी जमीन है, उस पर खेती कर लेते हैं। इस बार उन्होंने 1 एकड़ 40 डिसमिल में धान की खेती की थी। धान काटकर पिछले 15 दिनों से घर में रखा हुआ था, लेकिन टोकन न मिलने के कारण वह बेच नहीं पा रहे थे।
120 से अधिक किसान भी परेशानी में, रिकॉर्ड में गड़बड़ी
खेमड़ा खरीदी केंद्र में पंजीयन और रिकॉर्ड सुधार की समस्या लंबे समय से चल रही है।
- 120 से अधिक किसानों के रकबे का रिकॉर्ड गलत दर्ज है।
- कई किसानों का एग्रीस्टेक पंजीयन भी लंबित है।
- खसरों में गलत जानकारी दिखाई देने से किसान रोज़ सोसाइटी और चॉइस सेंटर के चक्कर काट रहे हैं।
मुनगासेर शाखा प्रबंधक ने पुष्टि की कि मनबोध तांडी का पंजीयन खेमड़ा सोसाइटी में किया गया था।
फिलहाल हालत नाजुक, प्रशासन पर सवाल
किसान की गंभीर स्थिति और खरीदी व्यवस्था में जारी अव्यवस्थाओं के बीच प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय पर पंजीयन और टोकन की सुविधा मिल जाती, तो किसान को ऐसा कदम नहीं उठाना पड़ता।
प्रशासनिक दावों और जमीनी हकीकत के बीच बड़ा अंतर साफ दिखाई दे रहा है।
