सुप्रीम कोर्ट से मिली जीत के बाद 3 फुट कद वाले डॉ. गणेश बरैया ने संभाली पहली पोस्टिंग, चिकित्सा सेवा में कायम की मिसाल

नई दिल्ली/गुजरात।
जन्मजात बौनेपन और 72% गतिशीलता बाधा के बावजूद डॉक्टर बनने का सपना देखने वाले डॉ. गणेश बरैया ने गुरुवार को गुजरात स्वास्थ्य सेवा में मेडिकल ऑफिसर क्लास-2 के रूप में अपनी पहली पोस्टिंग ज्वाइन कर ली। यह वह ऐतिहासिक क्षण है जिसके लिए उन्होंने कई वर्षों तक कानूनी लड़ाई लड़ी और अंततः सुप्रीम कोर्ट से जीत हासिल की।

डॉ. बरैया की लंबाई सिर्फ 3 फुट है। हाथों की मूवमेंट और चलने-फिरने में कठिनाई के कारण गुजरात सरकार ने उनकी नियुक्ति रोक दी थी। सरकार का तर्क था कि मेडिकल ऑफिसर के काम में मरीजों का शारीरिक निरीक्षण, उपचार और राज्यभर में होने वाले ट्रांसफर शामिल हैं, जिसे उनकी शारीरिक स्थिति प्रभावित कर सकती है।
लोअर कोर्ट और हाई कोर्ट ने भी सरकार के निर्णय को सही ठहराते हुए कहा कि डॉ. बरैया मरीजों का उचित मुआयना नहीं कर पाएंगे और इससे इलाज में त्रुटि का खतरा रहेगा।

लेकिन सपना न छोड़ने वाले डॉ. बरैया ने हार नहीं मानी और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सर्वोच्च अदालत ने उनकी काबिलियत और अधिकार को मान्यता देते हुए गुजरात सरकार को निर्देश दिया कि जहां भी उनकी पोस्टिंग हो, वहां उपयुक्त व्यवस्था की जाए ताकि वे मरीजों का सही ढंग से परीक्षण कर सकें। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि शारीरिक विकलांगता किसी व्यक्ति की योग्यता का पैमाना नहीं हो सकती।

डॉ. गणेश बरैया की यात्रा असाधारण रही है। 12वीं में 87% अंक, इसके बाद NEET पास कर एमबीबीएस और एमडी की डिग्री हासिल की। फिर GPSC परीक्षा पास कर गुजरात स्वास्थ्य सेवा में चुने गए। बाधाओं के बावजूद उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा से साबित किया कि समर्पण किसी भी शारीरिक सीमा से बड़ा होता है।

अब अपनी पहली पोस्टिंग संभालने के बाद डॉ. बरैया ने उन लाखों दिव्यांग युवाओं के लिए उम्मीद की नई मिसाल कायम की है, जो अपनी क्षमताओं के दम पर समाज में बदलाव लाने का सपना देखते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!