
शशि मिश्रा

रायपुर/धमतरी
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला अस्पताल से एक मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। अस्पताल की जीवन दीप समिति में वार्ड आया पद की भर्ती प्रक्रिया के दौरान एक आदिवासी महिला उम्मीदवार से शारीरिक संबंध बनाने की मांग की गई। आरोपी कोई बाहरी व्यक्ति नहीं, बल्कि भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा समिति का सदस्य राहुल निर्मलकर था। महिला की शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। यह मामला न केवल भ्रष्टाचार और दलाली के तंत्र को उजागर करता है, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में व्याप्त नैतिक पतन की भी भयावह तस्वीर पेश करता है।
आवेदन के दो दिन बाद शुरू हुआ दबाव
जानकारी के अनुसार, शहर की एक आदिवासी महिला ने जीवन दीप समिति में वार्ड आयुक्त पद के लिए आवेदन किया था। आवेदन के महज दो दिन बाद, समिति सदस्य राहुल निर्मलकर ने उससे संपर्क किया। पहले तो उसने नौकरी लगवाने के नाम पर पैसे की डिमांड की, लेकिन जब महिला ने अपनी खराब आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए देने से इंकार किया, तो आरोपी ने शर्मनाक प्रस्ताव रख दिया —
“अगर पैसे नहीं दे सकती तो दो बार मेरे साथ शारीरिक संबंध बना लो, मैं सर्जन से बात करके तुम्हें नौकरी दिलवा दूंगा। कलेक्टर भी तुम्हारी मदद नहीं कर पाएगा।”
महिला ने जब यह प्रस्ताव ठुकरा दिया, तो आरोपी लगातार फोन कर धमकाने और परेशान करने लगा।
हिम्मत दिखाकर पहुंची थाने — आरोपी अब जेल में
बार-बार की गई अश्लील हरकतों और धमकियों से परेशान होकर पीड़िता ने आखिरकार पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
मामला दर्ज होते ही पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी राहुल निर्मलकर को गिरफ्तार कर लिया। अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी पिछले कई महीनों से भर्ती प्रक्रिया में दलाली और लेनदेन के जरिए सक्रिय था और अस्पताल के कुछ कर्मचारियों से सांठगांठ रखता था।
“कलेक्टर भी कुछ नहीं कर सकता…”
महिला के बयान में यह बात भी सामने आई है कि आरोपी खुद को प्रभावशाली व्यक्ति बताता था और दावा करता था कि वह अस्पताल के सर्जन और प्रशासनिक अधिकारियों से सीधा संपर्क रखता है।
उसने कहा था —
“कलेक्टर भी तेरी नौकरी नहीं लगवा सकता, अगर मेरे कहने पर चलोगी तो वार्ड आयुक्त बना दूंगा।”
यह बयान केवल व्यक्तिगत अपराध नहीं, बल्कि उस सिस्टम की सड़ांध को दिखाता है जहां सरकारी नौकरी दलालों और सिफारिश तंत्र की जकड़ में है।
दलाल तंत्र और भर्ती में भ्रष्टाचार की पोल खुली
धमतरी के इस प्रकरण ने जिला अस्पतालों की भर्ती प्रक्रिया में गहरे बैठे भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है।
“जीवन दीप समिति” जैसी संस्थाएं, जिनका उद्देश्य अस्पताल प्रबंधन को जनसहयोग से बेहतर बनाना था, अब राजनीतिक रसूख और निजी स्वार्थ के अड्डे बनते जा रहे हैं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, भर्ती में लंबे समय से अनुचित सिफारिश, पैसों का खेल और मनचाही चयन प्रक्रिया को लेकर शिकायतें मिलती रही हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं हो पाई।
अब सवाल सिस्टम पर
यह घटना केवल एक आरोपी की करतूत नहीं, बल्कि इस सवाल को जन्म देती है —
“क्या जिला अस्पतालों में नौकरी अब योग्यता से नहीं, दलालों की मर्जी से तय होती है?”
क्या “जीवन दीप समिति” जैसी संस्थाओं में निगरानी व्यवस्था पूरी तरह निष्क्रिय हो चुकी है?
फिलहाल पुलिस ने आरोपी को जेल भेज दिया है, लेकिन यह मामला राज्य के स्वास्थ्य तंत्र की नैतिक और प्रशासनिक जवाबदेही पर गहरा प्रश्नचिह्न छोड़ गया है।
आरोपी समिति सदस्य राहुल निर्मलकर लंबे समय से समिति से जुड़ा था।
भर्ती प्रक्रिया में नकद लेनदेन और सिफारिश नेटवर्क के संकेत पहले भी मिले हैं।
प्रशासन ने अभी तक जीवन दीप समिति को भंग करने या पुनर्गठन पर कोई निर्णय नहीं लिया है।
यह मामला राज्य की स्वास्थ्य भर्ती प्रणाली में सुधार की तत्काल आवश्यकता की ओर इशारा करता है।
