

बिलासपुर।
हाईकोर्ट में एक अनोखा मामला सामने आया, जहां पत्नी ने अपने ही पति को “पालतू चूहा” कहकर अपमानित किया। मामला इतना गंभीर हो गया कि फैमिली कोर्ट से होते हुए हाईकोर्ट तक पहुंच गया। अदालत ने इस अपमानजनक उपाधि को मानसिक क्रूरता करार दिया और पति को तलाक की अनुमति दे दी।
अब सवाल यह है कि आखिर “पालतू चूहा” कहे जाने पर पति को इतना बुरा क्यों लगा?
शायद इसलिए कि पालतू चूहे का काम तो पनीर कुतरना होता है, और बेचारे पति को तो पहले से ही तनख्वाह काटने और बिल भरने की आदत डलवाई जा चुकी थी।
कोर्ट का फैसला
पत्नी को आदेश दिया गया कि वह पति को आज़ाद कर दे, ताकि वह अब अपने ‘चूहेदानी’ जैसे जीवन से बाहर निकल सके।
साथ ही, पत्नी को 5 लाख रुपये का स्थायी गुजारा भत्ता और बेटे के लिए हर महीने भत्ता देने का फरमान सुनाया गया।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि पति को माता-पिता से अलग रहने पर मजबूर करना और साथ ही पालतू चूहा कहना किसी भी इंसान को पागल कर सकता है।
पति की दलील
पति ने कहा – “माननीय न्यायालय, मैं इंसान हूं, कोई लैब रैट नहीं… पत्नी मुझे रोज अपमानित करती थी। जिंदगी सचमुच नर्क बन गई थी।”
इस पर अदालत ने भी हामी भरते हुए कहा कि “पति की हालत चूहे जैसी तो हो गई थी, लेकिन अब वो आज़ाद परिंदा है।”
कानूनी पंडितों की राय
कानून विशेषज्ञों ने चुटकी लेते हुए कहा – “ये फैसला उन सभी पतियों के लिए है जो चूहेदानी में फंसे महसूस करते हैं।”
अब देखना यह है कि आने वाले समय में पति-पत्नी के झगड़ों में ‘पालतू बिल्ली’, ‘कछुआ’, ‘गधा’ जैसी उपमाएँ भी कानूनी इतिहास में जगह बनाती हैं या नहीं।
