मुंगेली के एसपी भोजराम पटेल बने सनातन परंपराओं के प्रतीक तो विरोधियों के माथे पर आई शिकन

आकाश दत्त मिश्रा

मुंगेली।
त्रेता युग में जब ऋषि-मुनि हवन और धार्मिक अनुष्ठान करते थे तो राक्षसों को पीड़ा होती थी और वे विघ्न डालने पहुंच जाते थे। आज के दौर में वही भूमिका कथित वामपंथियों ने अपना ली है। आज भी उनके निशाने पर सनातन धर्म है, क्योंकि सनातनी एकता ने उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया है। यही कारण है कि वे समय-समय पर सनातनी परंपराओं पर उंगली उठाने से नहीं चूकते।

इन दिनों उनका नया निशाना बने हैं मुंगेली जिले के पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल, जिनकी संपूर्ण कहानी यदि आमजन को ज्ञात हो जाए तो लोग उन्हें पूजने लगें।

ग्रामीण पृष्ठभूमि से आईपीएस तक का सफर

साधारण परिवार में जन्मे भोजराम पटेल ने शिक्षा कर्मी के रूप में जीवन की शुरुआत की। उनकी माता जी ने ही उन्हें प्रेरित किया कि वे बड़े लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाएं। उसी प्रेरणा और अपने अदम्य संकल्प से उन्होंने आईपीएस बनने का कठिन लक्ष्य हासिल किया। वर्दी में आने के बाद भी उनकी सादगी और ग्रामीण सरलता कभी नहीं बदली। उनके भीतर अब भी एक शिक्षक बसता है, यही कारण है कि पुलिस की कठोरता उनमें दिखाई नहीं देती।

आमतौर पर पुलिस अधिकारी किसी मामले के निपटारे के साथ ही उससे अपना संबंध तोड़ लेते हैं, लेकिन मुंगेली जिले के कप्तान भोजराम पटेल की संवेदनाएं इतनी गहरी हैं कि वे विवेचना के दौरान पीड़ित पक्ष से पारिवारिक रिश्ता बना लेते हैं।

लाली के लिए पिता समान बने एसपी

तीन माह पूर्व जिले में सात वर्षीय मासूम बालिका लाली उर्फ माहेश्वरी गोस्वामी को अंधविश्वास के चलते उसके ही रिश्तेदारों ने बलि चढ़ा दिया था। बच्ची के गरीब परिजनों के पास अंतिम संस्कार और श्राद्ध करने तक की स्थिति नहीं थी। ऐसे में यह जिम्मेदारी भी एसपी भोजराम पटेल ने खुद निभाई।

पितृपक्ष चल रहा है, जिसमें परंपरा अनुसार दिवंगत आत्माओं के लिए तर्पण और श्राद्ध किया जाता है। अधिकांश लोग अपने परिजनों के लिए यह क्रिया करते हैं, लेकिन भोजराम पटेल ने अपनी संवेदनाओं को विस्तार देते हुए लाली के मोक्ष के लिए श्राद्ध कराया। यही नहीं, उन्होंने शहीद और स्वर्गवासी पुलिस कर्मियों की आत्मा की शांति के लिए भी श्रीमद् भागवत पुराण ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया।

पुलिस परिवार और श्रद्धालु बने सहभागी

मुंगेली में आयोजित इस भागवत कथा में पुलिस परिवार के सदस्य और आम श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचे। भक्ति रस में डूबे इस आयोजन के दौरान स्वयं एसपी भोजराम पटेल भी भजनों पर झूमते हुए दिखाई दिए। पारंपरिक वेशभूषा, माथे पर चंदन का टीका और भक्ति से ओतप्रोत चेहरे वाली उनकी छवि आमजन के बीच खूब सराही जा रही है।

विरोधियों को क्यों खटक रही भक्ति?

भोजराम पटेल की यह भक्ति और मानवीय पहल उनके विरोधियों को नागवार गुजर रही है। कथित वामपंथी मीडिया और उनके पोषक वर्ग ने इसे अनुशासनहीनता तक बता दिया। सवाल उठाए जा रहे हैं कि एक वर्दीधारी अधिकारी धार्मिक अनुष्ठानों में कैसे शामिल हो सकता है।

लेकिन सवाल यह भी है कि क्या कभी ऐसे ही मीडिया ने पुलिस अधिकारियों के ईद या क्रिसमस जैसे आयोजनों में शामिल होने पर सवाल उठाए? वर्दी में नमाज पढ़ते और अन्य धर्मों के कार्यक्रमों में शामिल होते पुलिसकर्मियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भरी पड़ी हैं, लेकिन उन पर कोई आपत्ति नहीं जताई जाती। ऐसे में साफ है कि निशाने पर भोजराम पटेल नहीं, बल्कि सनातन धर्म है।

धर्म और आस्था पर दोहरा मापदंड

क्या पुलिस अधिकारी मनुष्य नहीं होता? क्या उसकी अपनी कोई आस्था नहीं होती? क्या वर्दी पहनते ही वह अपने आराध्य देवताओं का स्मरण और माता-पिता का आशीर्वाद लेना छोड़ दे? सनातन मनीषियों ने कहा है “धर्मो रक्षति रक्षितः” यानी जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। स्वयं पुलिस का सूत्र वाक्य “परित्राणाय साधुनाम” गीता से ही लिया गया है।

विडंबना यह है कि जिस भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश से प्रेरणा लेकर पुलिस ने यह सूत्र वाक्य अपनाया, उन्हीं की भक्ति में लीन होने पर भोजराम पटेल को दोषी ठहराया जा रहा है।

जब निंदा ने बढ़ाया सम्मान

इस पूरे प्रसंग में वामपंथी मीडिया और उनके पोषक तत्वों ने इसे तूल देने का प्रयास किया। लेकिन इसका नतीजा उल्टा निकला। न केवल मुंगेली बल्कि पूरे प्रदेश में भोजराम पटेल की मानवीय छवि और भक्ति भाव की चर्चा होने लगी। विरोधियों के प्रचार ने अनजाने में ही उनकी छवि को और ऊंचा कर दिया।

आज वे न केवल पुलिस परिवार में बल्कि आमजन के बीच भी नायक के रूप में उभरे हैं। उनकी भक्ति और संवेदना को अपराध की तरह प्रस्तुत करने की कोशिश दरअसल उस कुटिल सोच को उजागर करती है जो सनातन परंपराओं के विरोध में हमेशा सक्रिय रहती है।

भोजराम पटेल जानते हैं कि वे जिस महान उद्देश्य से धार्मिक आयोजन कर रहे हैं, उसमें विरोध और आलोचना स्वाभाविक है। रामायण काल से लेकर आज तक असुरी शक्तियों ने धर्म का विरोध किया है और हर युग में उनका पराजय हुआ है। इस बार भी होना तय है।

मुंगेली के एसपी भोजराम पटेल के कार्य केवल एक पुलिस अधिकारी की भूमिका तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे समाज और सनातन संस्कृति के प्रहरी के रूप में सामने आ रहे हैं। उनके प्रयासों से पुलिस की छवि कठोरता से परे संवेदनशीलता और मानवीयता की मिसाल बन रही है।

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