बिलासपुर की जीवनदायिनी अरपा नदी पर बैराज निर्माण अधूरा: कांग्रेस नेता महेश दुबे ने सरकार की नीयत और नीति पर उठाए सवाल

बिलासपुर – शहर की हृदयरेखा कही जाने वाली अरपा नदी को बारहमासी जलधारा देने की महत्वाकांक्षी योजना अधर में लटकी हुई है। अरपा नदी के शिव घाट और पचरी घाट में दो बैराजों के निर्माण की योजना, जो कभी कांग्रेस सरकार के समय प्रारंभ हुई थी, अब भाजपा सरकार के कार्यकाल में भी पूर्ण नहीं हो पाई है। परिणामस्वरूप, इस वर्ष की बारिश के मौसम में भी नदी लगभग सूखी है और बैराज अनुपयोगी साबित हो रहे हैं।

कांग्रेस नेता महेश दुबे ने इस मुद्दे को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने अरपा को 12 महीने बहती नदी बनाने और यातायात दबाव को कम करने की एक ठोस योजना बनाई थी, जिसमें दो बैराजों के साथ-साथ नदी के दोनों किनारों पर सुसज्जित, सुरक्षित और व्यवस्थित सड़क निर्माण भी शामिल था। उन्होंने आरोप लगाया कि इस योजना का लगभग 80% कार्य पूरा हो चुका था, लेकिन वर्तमान सरकार की उदासीनता और अनदेखी के कारण न केवल परियोजना अधूरी है, बल्कि मौजूदा स्थिति भी बदतर होती जा रही है।

दुबे ने कहा, “आज बारिश के बावजूद अरपा सूखी पड़ी है। बैराज और सड़क दोनों अधूरी हैं, जो इस बात का संकेत है कि सरकार की नीति और नीयत में कहीं न कहीं गंभीर खामी है। लागत लगभग डेढ़ गुना बढ़ चुकी है, लेकिन परिणाम शून्य हैं। अगर समय पर काम पूरा हो गया होता, तो आज अरपा नदी पानी से लबालब होती और बिलासपुर की जनता को दोनों किनारों पर सड़क की सुविधा भी प्राप्त होती।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस परियोजना में जानबूझकर लेटलतीफी की गई, जिससे निर्माण लागत में भारी इजाफा हुआ है और सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है। वहीं आम जनता को जिन सुविधाओं का लाभ मिलना था, वे अब भी एक अधूरी उम्मीद में तब्दील हो चुकी हैं।

बिलासपुर की जनता अरपा नदी से भावनात्मक और भौगोलिक दोनों ही तरह से जुड़ी हुई है। गर्मी में सूखती नदी और बारिश में बहाव के बिना ठहरी धारा न केवल पर्यावरणीय असंतुलन का कारण बन रही है, बल्कि शहर की सुंदरता और उपयोगिता को भी प्रभावित कर रही है।

जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और प्रशासनिक लापरवाही के चलते यह परियोजना अपने उद्देश्य से भटकती नजर आ रही है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेती है और क्या वाकई अरपा को उसका ‘जीवन’ वापस दिलाया जा सकेगा या यह योजना भी राजनीति की भेंट चढ़ जाएगी।

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