


साहित्य के उपासक मंच का वार्षिक उत्सव दिनांक 28.06.2025 को आभासीय रूप से उत्सवित किया गया. कार्यक्रम का आरम्भ क्रमशः जबलपुर की रचनाकारा अर्चना द्विवेदी जी द्वारा गणेश वंदना एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद (लखनऊ महानगर इकाई) के अध्यक्ष श्री निर्भय नारायण जी गुप्त द्वारा सरस्वती वंदना की मधुर प्रस्तुतियों से हुआ. तदोपरान्त सिवनी की कविता नेमा नें स्वागत गीत द्वारा सभी का अभिनन्दन किया. कार्यक्रम में रायबरेली की नवोदित कवियित्री सुश्री गरिमा सिंह नें अपनी रचना ‘दायरा’ की प्रस्तुति द्वारा सभी को प्रभावित किया. इन्दौर की सोनम उपाध्याय नें अपनी कविता ‘हिन्द के ललाट पे’ द्वारा मातृभूमि के गौरव को वंदन किया. अर्चना द्विवेदी ‘गुदालू’ जी नें अपनी रचना झूला झूलें कजरी गायें की मधुर प्रस्तुति देकर सभी को आनंदित किया. लखनऊ की निवेदिता श्रीवास्तव जी की ‘विश्वास की है माला साँसों की यह लड़ी है’ भी आकर्षण का केन्द्र रही. निर्भय जी नें अपनी भक्ति रचना ‘बिना कहे हर बात समझते अन्तर्यामी हैं द्वारा हनुमान जी को वंदन किया. लखनऊ के ही व्यंग्यकार श्री अयोध्या प्रसाद जी नें अपनी रचना ‘नानी के गाँव की याद बहुत आती है’ के माध्यम से अपने बचपन के स्वर्णिम काल का स्मरण किया. धनबाद की पूर्णिमा सुमन एवं लखनऊ की डॉ. मधु पाठक ‘मांझी’ नें क्रमश: ‘संस्कृति संग पली बढ़ी हूँ” एवं ‘मैं तुम्हारे संग प्रियतम रहूंगी सदा’ द्वारा सभी के अंतस पर अपने भावों की गहन छाप छोड़ी. बंगलौर की गरिमा सक्सेना नें अपने अनमोल गीत ‘दर्द होता रहा… हम छिपाते रहे’ की सुन्दर प्रस्तुति से सभी को भावविभोर कर दिया. उज्जैन के प्रशांत माहेश्वरी नें अपनी रचना ‘हे प्रभु हम सबको तुम अपनी कृपा प्रदान करो’ द्वारा ईश्वर से मंच की अबाध उन्नति की कामना की. इन्दौर दिव्या भट्ट की प्रस्तुति ‘प्रेम में करुणा बसी है… प्रेम में संसार’ भी अत्यंत मनोहारी रही. उज्जैन की डॉ. गीतांजलि मिश्रा, कानपुर की मधु प्रधान, इन्दौर की शीला बड़ोदिया एवं कविता नेमा की प्रस्तुतियाँ भी अतिउत्तम रहीं. संचालन मंच के संस्थापक प्रशांत माहेश्वरी नें किया. अंत में प्रशांत माहेश्वरी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ वार्षिक उत्सव सह आनन्द सम्पन्न हुआ.