श्रीमद् देवी भागवत कथा दूसरा दिन व्यक्ति को धर्म के प्रति आसक्त होना चाहिए,सृष्टि का आधार ही प्रकृति है, नारी है

श्री पीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर सुभाष चौक सरकंडा बिलासपुर छत्तीसगढ़ में चैत्र नवरात्र उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।इसी कड़ी में नवरात्रि के दूसरे दिन माँ श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का पूजन श्रृंगार ब्रह्मचारिणी देवी के रूप में किया गया एवं इसी कड़ी में प्रातः कालीन श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक, श्री महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती देवी का श्रीसूक्त षोडश मंत्र द्वारा दूधधारियापूर्वक अभिषेक, परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का श्रृंगार,पूजन, सिद्धिविनायक जी का पूजन श्रृंगार किया गया।

पीठाधीश्वर आचार्य डॉ दिनेश जी महाराज ने बताया कि श्रीमद् देवी भागवत महापुराण आयु, आरोग्य, पुष्टि, सिद्धि एवं आनंद कथा मोक्ष प्रदान करने वाला दिव्य ग्रंथ है। देवी भागवत एक अत्यंत गोपनीय पुराण है, जिसका वर्णन सर्वप्रथम भगवान शिव ने महात्मा नारद के लिए किया, पूर्वकाल में उसे फिर स्वयं भगवान व्यास ने भक्तिनिष्ठ महर्षि जैमिनि के लिए श्रद्धापूर्वक कहा और फिर उसी को वर्तमान में प्रेषित किया जाता है। इसके श्रवण करने तथा पाठ करने में समस्त प्राणियों को पुण्य प्राप्त होता है।इसीलिए जनकल्याण एवं प्रदेश/देश की खुशहाली समृद्धि विश्व शांति की कामना से पीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर में देवी भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है।

श्री पीतांबरा पीठ कथा मंडप से कथा व्यास आचार्य श्री मुरारी लाल त्रिपाठी राजपुरोहित कटघोरा ने बताया कि संसार की सबसे श्रेष्ठ रचना माता पिता है प्रत्येक व्यक्ति को अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए जिससे व्यक्ति को अनेक तीर्थ स्थान के दर्शन का फल प्राप्त होता है इसीलिए इसीलिए शास्त्रों में लिखा है मातृ देवो भवः, पितृ देवो भवः।अर्थात् माता,पिता देवता के समान है।
बाहर के विरोधी आपकी उन्नति में बाधा पहुंचाते हैं श्री राम जी के जीवन में रावण विरोधी था जिसने राम जी की कीर्ति को इस प्रकार से धूमिल करना चाहा था उस दौरान विरोधी को साधने के लिए राम जी ने देवर्षि नारद जी से देवी भागवत की कथा सुनी और विजयादशमी को विजय के लिए प्रस्थान किया।”ऐं”मंत्र की साधना विद्या “ह्रीं”मंत्र की उपासना से धन प्राप्ति और”क्लीं” मंत्र की साधना से बाहर भीतर के शत्रुओं का नाश होता है कहना यह है कि सर्वसिद्धि केवल देवी साधना से ही संभव है।

यदि व्यक्ति के पास एक ही समय में किसी के विवाह में और किसी के यहां देवी भागवत कथा में जाना हो तो व्यक्ति को हमेशा भगवत भक्ति या कथा को ही चुनना चाहिए क्योंकि यह मार्ग व्यक्ति को परमात्मा के करीब लेकर जाता है।

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