रायपुर : समाजसेवा की आड़ में ठगी का आरोप, दो महीने तक गिरफ्तारी न होने से उठे सवाल…

रायपुर। समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय ममता शर्मा और उनके पति संजय शर्मा पर धोखाधड़ी, धमकी और वाहन हड़पने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। पीड़ित अनिल कुमार द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर (संख्या 0012/25) के अनुसार, उनके दो वाहनों को झूठे शपथ पत्र और फर्जी कागजात के माध्यम से अपने कब्जे में ले लिया गया।

गंभीर धाराओं के बावजूद गिरफ्तारी में देरी :


इस मामले में IPC की धारा 294 (अश्लील शब्दों का प्रयोग), 34 (सामूहिक अपराध), 420 (धोखाधड़ी) और 506 (धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसके बावजूद लगभग दो महीने तक गिरफ्तारी नहीं हुई, जिससे पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।

क्या है पूरा मामला??…


पीड़ित अनिल कुमार का आरोप है कि वर्ष 2019 में उनकी पत्नी एक अन्य मामले में आरोपी थीं। इस दौरान ममता शर्मा ने उनकी पत्नी को अपने संरक्षण में रखा और जमानत दिलाने के नाम पर उनकी गाड़ियों को अपने अधिकार में ले लिया। बाद में जब अनिल कुमार ने अपने वाहन वापस मांगे, तो आरोपियों ने उन्हें धमकाया और अनुचित भाषा का प्रयोग किया।

पुलिस की निष्क्रियता पर उठ रहे सवाल :


एफआईआर दर्ज होने के बावजूद लंबे समय तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। यह देरी कई प्रश्न खड़े करती है-

  • क्या राजनीतिक दबाव के कारण जांच धीमी हुई?
  • क्या आरोपियों को बचाने का प्रयास किया गया?
  • क्या पीड़ित को न्याय दिलाने में कोई बाधा उत्पन्न की गई?

आगे की कार्रवाई :
अब जब यह मामला जनता और मीडिया के संज्ञान में आ गया है, पुलिस पर निष्पक्ष कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है। समाज यह देखना चाहता है कि क्या न्यायिक प्रक्रिया सुचारू रूप से आगे बढ़ेगी, या फिर इस प्रकरण को प्रभावित करने की कोशिश की जाएगी। इस प्रकरण ने समाजसेवी संस्थाओं की विश्वसनीयता और पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि न्याय कब तक मिलता है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।

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