निर्वाचन आयोग की लापरवाही से सरपंच चुनाव में गड़बड़ी, प्रत्याशी और ग्रामीणों ने किया कलेक्ट्रेट का घेराव, बैलट पेपर पर प्रत्याशी का गलत नाम छपा तो हुई केवल 5 वोटो से हार

बिलासपुर में सरपंच चुनाव में अनियमितताओं का आरोप, प्रशासन पर उठे सवाल

बिलासपुर जिले के मस्तूरी ब्लॉक में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण में बड़ी गड़बड़ियां सामने आई हैं। ग्राम जेवरा नवापारा में हुए सरपंच चुनाव में धांधली के आरोप लगाते हुए प्रत्याशी भागवत सिंह खुसरो और उनके समर्थकों ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट का घेराव किया। मतगणना में अनियमितताओं और प्रशासन की लापरवाही के चलते ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखने को मिला।

मतगणना में अनियमितताओं के आरोप

प्रत्याशी भागवत सिंह खुसरो का आरोप है कि मतगणना के दौरान बार-बार बदलाव किए गए, जिससे चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं। उन्होंने बताया कि पहली मतगणना में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं थी, लेकिन दूसरी बार गिनती में परिणामों में बदलाव देखा गया। जब तीसरी बार पुनः मतगणना कराई गई, तो उन्हें बढ़त मिली। लेकिन चौथी बार फिर से मतगणना की मांग करने पर पीठासीन अधिकारियों ने इनकार कर दिया।

बैलेट पेपर में नाम की गड़बड़ी

इस चुनाव में सबसे गंभीर लापरवाही यह रही कि बैलेट पेपर में प्रत्याशी भागवत सिंह खुसरो का नाम गलत दर्ज किया गया था। उनके वास्तविक नाम की जगह “भागवत लहरे” लिखा गया, जिससे मतदाता भ्रमित हो गए। इस प्रशासनिक चूक के कारण चुनाव की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

प्रशासन पर पक्षपात के आरोप

जब भागवत सिंह खुसरो और उनके समर्थक अपनी शिकायत लेकर मतगणना स्थल पहुंचे, तो वहां मौजूद थानेदार ने पुलिस बल के साथ सभी को जबरन बाहर निकाल दिया। प्रत्याशी का आरोप है कि उन्हें मात्र 5 वोटों से साजिशन हराया गया और प्रशासन ने निष्पक्ष सुनवाई नहीं की।

ग्रामीणों और प्रत्याशी का कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन

चुनाव में गड़बड़ी और प्रशासन की मनमानी से नाराज प्रत्याशी और ग्रामीणों ने बिलासपुर कलेक्ट्रेट का घेराव किया और न्याय की मांग की। उनके विरोध प्रदर्शन के आगे अंततः प्रशासन को झुकना पड़ा। कलेक्टर अवनीश शरण ने उनकी शिकायत को गंभीरता से लेते हुए पुनः मतगणना के आदेश दिए। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

लोकतंत्र की निष्पक्षता पर सवाल

इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि निर्वाचन आयोग की लापरवाही के कारण मतदान प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी नहीं रही। चुनाव में नामों की गड़बड़ी, मतगणना में उलटफेर और प्रशासन की मनमानी ने लोकतांत्रिक प्रणाली की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि इस मामले में निष्पक्ष जांच और कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो जनता का लोकतंत्र पर विश्वास कमजोर हो सकता है।

अब आगे क्या?

कलेक्टर द्वारा पुनः मतगणना के आदेश दिए जाने के बाद ग्रामीणों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। लेकिन सवाल यह है कि क्या केवल मतगणना दोबारा करवाने से ही समस्या हल हो जाएगी? चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन आयोग को कड़े कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों की पुनरावृत्ति न हो।

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