श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर मे रवि पुष्य नक्षत्र मे मनाया जाएगा छत्तीसगढ का महापर्व हरेली

सरकण्डा स्थित श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में श्रावण मास के प्रथम सोमवार के साथ ही महारुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ नमक चमक विधि द्वारा प्रारंभ हो गया है जोकि निरंतर एक माह तक चलेगा 6 जुलाई आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से लेकर आगामी 15 नवंबर 2024 कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा तक चलने वाले श्री पीतांबरा हवनात्मक महायज्ञ मे 36 लाख आहुतियाँ अर्पित की जाएगी।श्री पीताम्बरा हवनात्मक यज्ञ 133 दिन चलेगा,जिसमें 29 दिन पूर्ण हो चुके हैं और 29 दिन में 6लाख 9हजार आहुतियां दी जा चुकी है।प्रतिदिन पीताम्बरा हवनात्मक महायज्ञ रात्रि 8:00 बजे से प्रारंभ होकर रात्रि 1:00 तक निरंतर चलता है एवं रात्रि 12:45 में श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का महाआरती किया जाता है।

22 जुलाई 2024 से आरंभ सावन सोमवार के अवसर पर त्रिदेव मंदिर में श्री महारुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ का आयोजन हुआ। यह आयोजन 19 अगस्त सावन शुक्ल पूर्णिमा तक निरंतर चलेगा। इस अवसर पर नित्य प्रतिदिन प्रातः 9:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक नमक चमक विधि से किया जा रहा है। इस अवसर पर श्री विशेषर पटेल पूर्व गौ सेवा आयोग अध्यक्ष सपत्नीक महारुद्राभिषेक में सम्मिलित हुए एवं रुद्राभिषेक, पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किए।

इसी कड़ी में पीताम्बरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज जी ने बताया कि हरेली पर्व किसी भी राज्य में हर साल सावन मास के कृष्ण पक्ष के अमावस्या को मनाया जाने वाला त्यौहार है, छत्तीसढ़ में हरेली त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह एक कृषि विशेष त्यौहार है,किसान बहुत ही खुशी के साथ हरेली मनाते है। हरेली हर साल सावन में मनाया जाता है उस समय हर जगह हरियाली छाई रहती है।कृषि से जुड़े सभी औजारो की पूजा की जाती है। उस दिन सभी के घर पकवान बनता है।

पीताम्बरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज जी ने बताया कि सावन अमावस्या का धार्मिक अनुष्ठान मे विशेष महत्व है।श्रावण अमावस्या पर देवी, देवताओं की पूजा आराधना की जाती है इस वर्ष यह पर्व रवि पुष्य नक्षत्र मे मनाया जाएगा इस अवसर साधना के द्वारा मंत्रों को जागृत किया जाता है। जिसका अपना एक विशेष महत्व है एवं इसमें मंत्रों की सिद्धि भी की जाती है।जो मानसिक शांति और आत्मिक शांति के लिए महत्वपूर्ण है।यह पाप का नाश करता है और पुण्य का निर्माण करता है।सुख-समृद्धि और संपूर्णता प्राप्त होती है। सावन अमावस्या पर पितृ तर्पण किया जाता है, जो पितृ देवताओं को शांति और संतुष्टि प्रदान करता है।गांवो का मंत्रों द्वारा बंधन किया जाता है एवं निकासी निकाली जाती है। अतः रात्रि 12:00 बजे के पश्चात घर से बाहर किसी भी अवस्था में ना निकले। तंत्र-मंत्र के द्वारा घर का बंधन किया जाता है। नकारात्मकता से रक्षा हेतु नीम की टहनियां घरों के बाहर लटकाया जाता है। पशुओं को अरंडी का पत्ता एवं नमक रोगों से रोकथाम एवं बचाव के लिए खिलाया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!