बिलासपुर। सर्वदलीय एवं जनसंगठनों के संयुक्त मंच ने शनिवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए रेल विभाग की तीन प्रमुख अनियमितताओं की ओर ध्यान आकर्षित किया।उन्होंने रेल प्रशासन द्वारा बंद की गई सड़क को खोलने की आवाज बुलंद की। रेल मंत्री द्वारा देश को गलत जानकारी देकर गुमराह करने एवं उनके कार्यकाल के पिछले एक वर्ष में 536 रेल दुर्घटनाओं के कारण, रेल मंत्री से इस्तीफा देने की मांग की। इसी प्रकार किसी वैधानिक प्रावधान के बिना सेवा निवृत्त प्राचार्य को रेल्वे परिक्षेत्र के सभी स्कूलों का मैनेजर बना दिया जाने पर आपत्ति जताई। मंच के संयोजक रवि बनर्जी,कांग्रेस नेता अभय नारायण राय,राकेश शर्मा,ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के शौकत अली,ट्रेड यूनियन कौंसिल राजेश शर्मा सहित अन्य पदाधिकारियों ने बताया कि भारत माता स्कूल के बगल से जाने वाली सड़क को रेल प्रशासन द्वारा स्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। इस विषय में 09.04.2024 को जिला निर्वाचन अधिकारी (कलेक्टर) के साथ विभिन्न राजनैतिक दलों की बैठक में यह मुद्दा उठाया गया था। जिला प्रशासन ने इस पर आवश्यक कार्यवाही करने का आश्वासन दिया था। पुनः 14.04.2024 को लिखित ज्ञापन जिला निर्वाचन अधिकारी (कलेक्टर) को इसी बाबत दिया गया। ज्ञापन की प्रतिलिपि दिनांक 15.04.2024 को महाप्रबंधक द.पू. म. रेल्वे बिलासपुर को भी दी गई। दिनांक 21.04.2024 को स्थानीय विधायक एवं पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल को भी सूचित किया गया। विधायक ने महाप्रबंधक द. पू.म.रे. बिलासपुर से इस बाबत् दूरभाष पर चर्चा की। दिनांक 23.04.2024 को जिला निर्वाचन अधिकारी (कलेक्टर), बिलासपुर के साथ राजनैतिक दलों की बैठक में रेल प्रशासन द्वारा बंद किये गए इस मार्ग को आवागमन हेतु खोले जाने के लिये की गई कार्यवाही पर हमने पुनः प्रश्न किया। लोक सभा चुनाव के समय दिनांक 07.05.2024 को कुछ दिनों तक यह मार्ग खोल दिया गया जिससे आम जनता का आवागमन
सुमन हो गया, परंतु कुछ दिनों के बाद यह मार्ग स्थायी रूप से बंद कर दिया गया। भारत माता स्कूल से निकलने वाले बच्चे इस मार्ग के बंद होने पर सीधे स्टेशन को जाने वाली व्यस्त मुख्य मार्ग पर निकलते है। जिससे दुर्घटना की सदैव आशंका बनी रहती है। यह मार्ग अस्पताल जाने वाले मरीजों, नौकरी पेशा, महिलाओं, रेल कर्मचारियों एवं आम जनता द्वारा बहुतायत से प्रयोग किया जाता है। शहर की आम जनता को इस मार्ग के बंद हो जाने से बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसे अविलंब खोले जाने की सर्वदलीय एवं जन संगठनों के सुयक्त संगठनों का मंच मांग करता है।
सर्वदलीय एवं संयुक्त संगठनों के संयुक्त मंच द्वारा कंचनजंगा एक्सप्रेस की दुर्घटना के लिये रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव को जिम्मेदार मानते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है। अगरतला से सियालदाह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस सिलीगुडी से 12 कि.मी. दूर रंगापानी एवं चाटेरहाट स्टेशन के बीच दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। कंचनजमा एक्सप्रेस को मालगाडी ने पीछे से आकर टक्कर मार दिया था। जिसमें अब तक 10 लोगों की मौत एवं 70 से अधिक घायल है। विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सिग्नल 6 घंटे से फल था एवं सबसे बड़ी लापरवाही की बात यह है कि रेल्वे द्वारा सिग्नल में टेनेंस का कार्य प्राइवेट ठेकेदारों द्वारा करवाया जाता है। रेल्वे के नियमानुसार ड्राईवर को आठ घंटे की ड्यूटी के पश्चात् अनिवार्यतः विश्राम दिया जाना है, परंतु दुर्घटनाग्रस्त मालगाड़ी के ड्राइवर को लगातार तीन पालियों में रात्रि की ड्यूटी करने के पश्चात् विश्राम करते से उठाकर दबावपूर्वक ड्यूटी में भेज दिया गया। रेल मंत्री दुर्घटना की जांच पूर्ण हुए बिना मालगाड़ी के ड्राईवर को इस दुर्घटना का जिम्मेदार बताकर देश की आम जनता के समक्ष गलत तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं। सुरक्षा से लापरवाही के कारण रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के पिछले पांच साल के कार्यकाल में 536 रेल दुर्घटनाएं हुई है। इन दुर्घटनाओं का मूल कारण रेलवे की संरक्षा (सेफ्टी) के डेढ़ लाख पद खाली हैं एवं कुल रिक्तियों तीन लाख से अधिक है। सवारी रेलगाड़ी की संख्या लगातार बढ़ रही है। काम का दबाव बढ़ रहा है। यार्ड, पटरी एवं प्लेटफॉर्म की संख्या सीमित है, परंतु सवारी एवं माल
गाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 1974 में 24 लाख रेल कर्मी सेवा में थे। की संख्या 100 गुना बढ़ चुकी है। कर्मचारियों के स्वीकृत पद 15 लाख परंतु अभी 12 लाख कर्मचारी कार्यरत है एवं 3 लाख पद खाली है। जिसकी वजह से सुरक्षा से अनवरत खिलवाड़ हो रहा है। बुलेट ट्रेन, वंदेभारत जैसी नई ट्रेन बालाने की बजाए रेलवे की आधारभूत संरचना का विकास आज की प्राथमिक आवश्यकता है। नई भर्ती करके ड्राईवर एवं पैसेंजर के जीवन से खिलवाड़ बंद किया जाये। रेलवे के निजीकरण/ ठेकाकरण को तत्काल रोका जाना चाहिये। इसमें रेलवे में कार्यरत कर्मचारी संगठनों की भी जिम्मेदारी है कि वे देश हित में निजीकरण/ठेकाकरण का विरोध करते हुए अपनी भूमिका का सही निर्वहन करे एवं आम जनता के जानमाल एवं रेलवे की बहुमूल्य संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करे। खाली पदों को भरे जाने से देश के बेरोजगारों के आर्थिक हित को सुनिश्चित करते हुए रेलवे की संरक्षा को मजबूत करे।
बिलासपुर रेल प्रशासन द्वारा स्कूल मैनेजर के पद पर एक सेवा निवृत्त रेल्वे स्कूल के प्राचार्य को रेलवे द्वारा तमाम नियमों को ताक पर रखकर नियुक्त करके 50,000/- प्रतिमाह वेतन भुगतान किया जा रहा है। एस.ई.सी. आर बिलासपुर को छोड़कर पूरे भारत वर्ष में मैनेजर का पद कही भी नहीं है। रेलवे स्कूल के पूर्व प्राचार्य के.के. मिश्रा सबसे पहले संविदाकर्मी के रूप में सर्वो स्कूल चक्रधरपुर डिवीजन में नियुक्त हुए उसके बाद सीधे बिलासपुर में गणित शिक्षक के रूप में उनकी नियुक्ति हुई थी। प्राइवेट ट्यूशन करने के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया था। अपनी संघ का फायदा उठाकर एक माह में अपना निलंबन उन्होंने वापस करवा लिया। कुछ समय बाद एस.ई. रेल्वे में मिक्सड हायर सेकेण्डरी इंग्लिश मीडियम स्कूल में अनेक वरिष्ठ शिक्षकों की वरिष्ठता का उल्लंघन करते हुए उन्हें प्राचार्य नियुक्त कर दिया गया। प्राचार्य बनने के बाद स्कूल के विकास के बजाये अपने व्यक्तिगत प्रचार, प्रसार में लगे रहे। उनके कार्यकाल में किसी भी बोर्ड परीक्षा या विश्व विद्यालय में कोई भी छात्र मेघावी छात्र के रूप में मेरिट लिस्ट में जगह नहीं बना पाया है और न ही यूनिवर्सिटी में टॉप किया है। जबकि पूर्व में रेलवे स्कूल से कई मेधावी छात्र अपने
स्कूल एवं शहर का नाम रोशन कर चुके है, जिनमें प्रमुखतः डॉ. चंद्रशेखर रहालकर, डॉ. संदीप गुप्ता, आर.पी. मण्डल, कलेक्टर एवं मुकुल सिन्हा कानपुर आई.आई.टी है।
तथाकथित मैनेजर द्वारा प्राचार्यों के कार्यों में हस्तक्षेप किया जा रहा है। के.के. मिश्रा द्वारा एक निजी स्कूल अन्नपूर्णा कॉलोनी, बिलासपुर एवं तारबाहर में मेडिकल शॉप का संचालन किया जा रहा है एवं वह स्वयं उसके मालिक हैं। हाल ही में रेलवे को दो करोड़ रूपये स्कूल डेवलपमेंट के रूप में रेलवे प्रशासन को आबंठित हुआ है। जिसके दुरूपयोग से इंकार नहीं किया जा सकता। हमारी मांग यह है कि रेलवे प्रशासन के.के. मिश्रा को तत्काल स्कूल मैनेजर के पद से हटाए एवं रेल प्रशासन एवं एजेंसियों द्वारा इनके अनुपातहीन संपत्ति की जांच कराए।