भोगी दहन के साथ दक्षिण भारतीय तेलुगू समाज के चार दिवसीय पोंगल उत्सव की शुरुआत हुई।आंध्र प्रदेश समेत तेलंगाना, तमिलनाडु ,कर्नाटक, महाराष्ट्र यहां तक की श्रीलंका में भी यह पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है।
बिलासपुर में रहने वाले प्रवासी दक्षिण भारतीय भी पूरे उल्लास के साथ यह उत्सव मानते हैं। भोगी पर अक्सर लोग पुरानी और परित्यक्ता चीजों का त्याग करते हुए दहन करते हैं। इसे परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है। भोगी उत्सव में लोग लकड़ी के लट्ठे , कंडे, पुराने फर्नीचर आदि को दहन करते हैं। इसी से मिलता जुलता उत्सव है लोहड़ी। यह पंजाब में नये फसल के स्वागत में लोहड़ी जलाकर उसमें नवान्न अर्पित किया जाता है । बिलासपुर में कई स्थानों के साथ तोरवा गुरु नानक चौक के पास स्थित श्री साईं भूमि आवासीय कल्याण विकास समिति में रहने वाले दक्षिण भारतीय परिवारों ने भी सोमवार तड़के भोगी उत्सव मनाया, जिसमें दक्षिण भारतीय परिवारों के साथ परिसर में रहने वाले हर समाज के लोग शामिल हुए। रविवार तड़के सभी की उपस्थिति में भोगी का दहन किया गया, जिसमें श्री सांई भूमि आवासीय कल्याण विकास समिति के अध्यक्ष नागभूषण राव, सचिव नवल वर्मा, तेलुगु और अन्य समाज के सदस्य बड़ी संख्या में मौजूद थे।भोगी दहन के पश्चात सभी ने एक दूसरे को मकर संक्रांति एवं पोंगल की बधाई दी।