सेंट्रल यूनिवर्सिटी हॉस्टल की छात्राओं को खाने में परोसे गए कीड़े, नाली जैसे पानी से तैयार किया जा रहा भोजन, आक्रोशित छात्राओं ने खोला मोर्चा

कैलाश यादव

बिलासपुर का गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय ऊंची दुकान, फीका पकवान साबित हो रहा है। यहां दीक्षांत समारोह के लिए महामहिम राष्ट्रपति को बुलाया जाता है लेकिन व्यवस्थाएं ऐसी है कि हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं के लिए नाली जैसे दुर्गंध युक्त पानी से भोजन तैयार किया जा रहा है । छात्राओं को खाने में कीड़े- मकोड़े परोसे जा रहे हैं । लगातार विभिन्न समस्याओं से जूझ रही छात्राओं का सब्र रविवार को उस वक्त जवाब दे गया, जब उनके भोजन में कीड़े परोस दिए गए।

खाने में कीड़ा

जब छात्राओं ने रसोई का जायजा लिया तो पाया कि जिस पानी से भोजन तैयार किया जा रहा है उसमें नाली के पानी जैसा दुर्गंध आ रहा है। एक तो दोयम दर्जे का भोजन और उस पर स्वच्छता की भारी कमी। इसके बाद रात में ही हॉस्टल की छात्राएं विश्वविद्यालय परिसर में धरने पर बैठ गई। काफी समझाइश का भी कोई असर नहीं हुआ। छात्राएं अपनी मांग को लेकर कुलपति से दखल की अपेक्षा करती रही लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं था।

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इस बीच छात्र राजनीति करने वालों ने भी बहती गंगा में हाथ धोने का भरपूर प्रयास किया। मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित कर समस्या के निदान की बजाय एबीवीपी और एनएसयूआई के परचम को ऊंचा दर्शाने और खुद को छात्राओं का मसीहा बताने का ही प्रयास हुआ।


देर रात व्यवस्था बहाली के रटा रटाया आश्वासन देकर छात्राओं को वापस लौटाया गया, लेकिन छात्राओं ने भी दो टूक जवाब देकर स्पष्ट किया है कि अगर हालात निश्चित समय तक नहीं बदले तो फिर आर पार की लड़ाई लड़ी जाएगी।

छात्राओं का आरोप है कि मोटी फीस वसूलने के बावजूद यहां सुविधा नाम मात्र को भी नहीं है । केवल दोयम दर्जे के भोजन की ही समस्या नहीं बल्कि अन्य सुविधाएं भी बेहद कमजोर है । वॉशरूम में भी पानी की सप्लाई नहीं है , जिससे छात्राओं को परेशानी उठानी पड़ती है। यूनिवर्सिटी के अस्पताल में भी महिला चिकित्सक नहीं है जिसके कारण छात्राएं इलाज करने में हिचकती है। प्रबंधन को बार-बार इन समस्याओं से अवगत कराया गया, लेकिन किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।


बिलासपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय अपने आप में एक पूरा साम्राज्य बन चुका है, जिसके अपने सीमा क्षेत्र में किसी भी बाहरी घुसपैठ को बर्दाश्त नहीं किया जाता। नियम कायदों का हवाला देकर मीडिया से लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी प्रवेश यहां निषेध है , ताकि समस्याओं की जानकारी बाहर तक ना जा सके। अनुशासन के नाम पर जिस तरह से स्टूडेंट्स का शोषण किया जा रहा है उसकी कलई रविवार रात को उतर गई। अब देखना यह है कि बड़े-बड़े दावे करने वाले शिक्षा जगत के पुरोधा, खाने में कीड़े परोसे जाने को किस प्रकार से जस्टिफाई करते हैं।

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